मुझे नाटकीय मोड़ों और जीवन के लिए बहुमूल्य शिक्षाओं से भरी हुई योना नबी की कहानी बहुत पसन्द है। परमेश्वर के वचन बाइबल में दी गई इस कहानी का नायक, परमेश्वर का नबी योना, परमेश्वर से निर्देश पाता है कि गैरयहूदी और दुष्ट निनवे-वासियों के पास जाए और उन्हें पश्चाताप कर के परमेश्वर की ओर मुड़ने को कहे क्योंकि उनकी दुष्टता बहुत बढ़ गई है और परमेश्वर का न्याय उन पर आने वाला है। योना, जो निनवे-वासियों से बैर रखता था, अपनी ढिठाई में परमेश्वर के निर्देश की अवहेलना करता है, परन्तु परमेश्वर उसे उस ज़िम्मेदारी से भागने नहीं देता और अन्ततः योना निनवे जाकर वहाँ पापों से पश्चाताप और परमेश्वर की ओर मुड़ने का प्रचार करता है। उसके एक ही प्रचार से वहाँ बड़ा परिवर्तन आता है और वहाँ के राजा से लेकर प्रजा तक का हर व्यक्ति पश्चाताप में परमेश्वर के सामने झुक जाता है। उनके इस पश्चाताप को देख कर परमेश्वर उन पर आने वाले दण्ड की अपनी आज्ञा रोक लेता है और उन्हें क्षमा कर देता है।
योना के इस प्रचार और उसके अद्भुत प्रभाव से निश्चय ही वह अपने समय का सफलतम प्रचारक बन गया होगा, और हर कोई यह आशा रखेगा कि निनवे के लोगों के पश्चाताप और परमेश्वर की ओर मुड़ने तथा परमेश्वर के उन्हें क्षमा कर देने को देख कर योना बहुत प्रसन्न हुआ होगा; लेकिन इसके विपरीत योना परमेश्वर की इस क्षमा को देखकर बहुत खिसिया! यद्यपि योना ने बाहर से परिवर्तित प्रतीत होकर परमेश्वर के निर्देशानुसार सही स्थान पर सही कार्य तो करा, लेकिन उसका व्यवहार दिखाता है कि योना में अन्दरूनी परिवर्तन नहीं हुआ था; वह निनवे के लोगों के प्रति अपने बैर को दबाए नहीं रख सका, और परमेश्वर के महान कार्य को वहाँ होता देख कर भी वह निनवे-वासियों के प्रति अपने बैर में बना ही रहा।
यदि हम मसीही विश्वासी भी सचेत ना रहें तो हम भी योना के समान ही बाहर से परमेश्वर के आज्ञाकारी दिखने वाले किंतु अन्दर से परमेश्वर से दूर रहने वाले हो सकते हैं। परमेश्वर हमारे बाहरी स्वरूप और कार्यों को नहीं देखता वरन हमारे हृदय की दशा और अन्दरूनी विचार-व्यवहार पर नज़र रखता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा है कि, "क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग कर के, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है" (इब्रानियों 4:12); और परमेश्वर अपने इसी वचन से हमारी आत्मिक शल्य-चिकित्सा करता है, हमारे हृदय की गहराइयों में छिपे और बसे लोभ, बेईमानी, घृणा, घमण्ड, स्वार्थ आदि दुर्भावनाओं को प्रकट करता, उन्हें काटता तथा बाहर निकालता है।
इसलिए जब अगली बार परमेश्वर का वचन आपकी वास्तविकता आपको दिखाए तथा परमेश्वर का पवित्र आत्मा आपको किसी बात के लिए कायल करे तो अपनी आत्मिक-शल्यचिकित्सा के लिए अपने आप को उसे पूर्ण रूप से सौंप दीजिए, उसकी बातों को ध्यान पूर्वक सुनिए और जो कुछ दूर करना है उसे कीजिए जिससे वह अन्दरूनी परिवर्तन के द्वारा आपको वास्तविक रीति से और भी बेहतर एवं आशीशित बना सके। - जो स्टोवैल
जब परमेश्वर आपको अन्दर से नियंत्रित करेगा तब ही आप बाहर से खरे रहेंगे।
हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए। - 2 तिमिथियुस 3:16-17
बाइबल पाठ: योना 4:1-11
Jonah 4:1 यह बात योना को बहुत ही बुरी लगी, और उसका क्रोध भड़का।
Jonah 4:2 और उसने यहोवा से यह कह कर प्रार्थना की, हे यहोवा जब मैं अपने देश में था, तब क्या मैं यही बात न कहता था? इसी कारण मैं ने तेरी आज्ञा सुनते ही तर्शीश को भाग जाने के लिये फुर्ती की; क्योंकि मैं जानता था कि तू अनुग्रहकारी और दयालु परमेश्वर है, विलम्ब से कोप करने वाला करूणानिधान है, और दु:ख देने से प्रसन्न नहीं होता।
Jonah 4:3 सो अब हे यहोवा, मेरा प्राण ले ले; क्योंकि मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही भला है।
Jonah 4:4 यहोवा ने कहा, तेरा जो क्रोध भड़का है, क्या वह उचित है?
Jonah 4:5 इस पर योना उस नगर से निकल कर, उसकी पूरब ओर बैठ गया; और वहां एक छप्पर बना कर उसकी छाया में बैठा हुआ यह देखने लगा कि नगर को क्या होगा?
Jonah 4:6 तब यहोवा परमेश्वर ने एक रेंड़ का पेड़ लगा कर ऐसा बढ़ाया कि योना के सिर पर छाया हो, जिस से उसका दु:ख दूर हो। योना उस रेंड़ के पेड़ के कारण बहुत ही आनन्दित हुआ।
Jonah 4:7 बिहान को जब पौ फटने लगी, तब परमेश्वर ने एक कीड़े को भेजा, जिसने रेंड़ का पेड़ ऐसा काटा कि वह सूख गया।
Jonah 4:8 जब सूर्य उगा, तब परमेश्वर ने पुरवाई बहा कर लू चलाई, और घाम योना के सिर पर ऐसा लगा कि वह मूर्च्छा खाने लगा; और उसने यह कह कर मृत्यु मांगी, मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही अच्छा है।
Jonah 4:9 परमेश्वर ने योना से कहा, तेरा क्रोध, जो रेंड़ के पेड़ के कारण भड़का है, क्या वह उचित है? उसने कहा, हां, मेरा जो क्रोध भड़का है वह अच्छा ही है, वरन क्रोध के मारे मरना भी अच्छा होता।
Jonah 4:10 तब यहोवा ने कहा, जिस रेंड़ के पेड़ के लिये तू ने कुछ परिश्रम नहीं किया, न उसको बढ़ाया, जो एक ही रात में हुआ, और एक ही रात में नाश भी हुआ; उस पर तू ने तरस खाई है।
Jonah 4:11 फिर यह बड़ा नगर नीनवे, जिस में एक लाख बीस हजार से अधिक मनुष्य हैं, जो अपने दाहिने बाएं हाथों का भेद नहीं पहिचानते, और बहुत घरेलू पशु भी उस में रहते हैं, तो क्या मैं उस पर तरस न खाऊं?
एक साल में बाइबल:
- भजन 31-33