परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह के 18 अध्याय में ऐसा लगता है कि सारा संसार परमेश्वर के लोगों के विरुद्ध युद्ध में उतरने के लिए तैयार है; लेकिन ऐसे में परमेश्वर का प्रत्युत्तर है, "...धूप की तेज गर्मी वा कटनी के समय के ओस वाले बादल की नाईं मैं शान्त हो कर निहारूंगा" (यशायाह 18:4)। ऐसा प्रतीत हो सकता है कि परमेश्वर का यह शान्त होकर बैठना उसके लोगों के विरुद्ध संसार की साज़िश की मूक स्वीकृति है; लेकिन ऐसा था नहीं। परमेश्वर का यह शान्त प्रत्युत्तर इस बात का स्मरण करवाना था कि वह तब कार्य करता है जब समय सही होता है - उसके अनुसार और उसकी इच्छा में।
प्रभु यीशु मसीह का अपने मित्र लाज़र की मृत्यु के बाद चार दिन तक प्रतीक्षा करते रहने के बारे में विचार कीजिए, जब कि लाज़र कब्र में पड़ा हुआ था (यूहन्ना 11:39)। क्या प्रभु लाज़र कि स्थिति से अनभिज्ञ था? क्या प्रभु को लाज़र की कोई परवाह नहीं थी? प्रभु यीशु को परवाह भी थी और वह लाज़र की स्थिति को अच्छे से जानता भी था, लेकिन उसे उस सही समय की प्रतीक्षा थी जब वह अपनी सामर्थ भी दिखा सके था और उस घटना को लेकर जो शिक्षाएं उसे देनी थीं उन्हें सही रीति से दे भी सके।
बाइबल में अनेक स्थानों पर ऐसे उल्लेख हैं जहाँ लगता है कि परमेश्वर ने विलंब कर दिया, ऐसी परिस्थितियाँ जिनमें वह विलंब मानवीय दृष्टिकोण से समझ से बाहर है। लेकिन परमेश्वर का प्रत्येक विलंब उसकी बुद्धिमता और प्रेम की गहराइयों से आता है और हमारी भलाई ही के लिए होता है। यदि और कुछ नहीं तो वह विलंब हमें कुछ सदगुण, जैसे कि नम्रता, धैर्य, सहनशीलता, दृढ़ता से डटे रहना इत्यादि सिखाता है, जो संभवतः हम किसी अन्य रीति से सीखने के लिए तैयार नहीं होते।
क्या आप किसी परेशानी में हैं? क्या आपको लगता है कि परमेश्वर आप से दूर और अलग हो गया है, उसे आपकी परवाह नहीं है? स्मरण तथा विश्वास रखिए कि वह आपके कष्ट से अनभिज्ञ नहीं है और ना ही उसने आपकी प्रार्थनाएं अनसुनी करी हैं। वह अपने उद्देश्यों और समय के पूरा होने की प्रतीक्षा कर रहा है, और फिर सही समय पर वह हस्तक्षेप करेगा और आपके लिए सर्वोत्तम करके देगा। परमेश्वर कभी जल्दबाज़ी में नहीं होता, परन्तु सही समय पर अवश्य होता है। - डेविड रोपर
परमेश्वर का समय सदा सही समय होता है, उसकी प्रतीक्षा करना सर्वोत्तम है।
और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28
बाइबल पाठ: यशायाह 18:1-7
Isaiah 18:1 हाय, पंखों की फड़फड़ाहट से भरे हुए देश, तू जो कूश की नदियों के परे है;
Isaiah 18:2 और समुद्र पर दूतों को नरकट की नावों में बैठा कर जल के मार्ग से यह कहके भेजता है, हे फुर्तीले दूतो, उस जाति के पास जाओ जिसके लोग बलिष्ट और सुन्दर हैं, जो आदि से अब तक डरावने हैं, जो मापने और रौंदने वाला भी हैं, और जिनका देश नदियों से विभाजित किया हुआ है।
Isaiah 18:3 हे जगत के सब रहने वालों, और पृथ्वी के सब निवासियों, जब झंड़ा पहाड़ों पर खड़ा किया जाए, उसे देखो! जब नरसिंगा फूंका जाए, तब सुनो!
Isaiah 18:4 क्योंकि यहोवा ने मुझ से यों कहा है, धूप की तेज गर्मी वा कटनी के समय के ओस वाले बादल की नाईं मैं शान्त हो कर निहारूंगा।
Isaiah 18:5 क्योंकि दाख तोड़ने के समय से पहिले जब फूल फूल चुकें, और दाख के गुच्छे पकने लगें, तब वह टहनियों को हंसुओं से काट डालेगा, और फैली हुई डालियों को तोड़ तोड़कर अलग फेंक देगा।
Isaiah 18:6 वे पहाड़ों के मांसाहारी पक्षियों और वन-पशुओं के लिये इकट्ठे पड़े रहेंगे। और मांसाहारी पक्षी तो उन को नोचते नोचते धूपकाल बिताएंगे, और सब भांति के वनपशु उन को खाते खाते जाड़ा काटेंगे।
Isaiah 18:7 उस समय जिस जाति के लोग बलिष्ट और सुन्दर हैं, और जो आदि ही से डरावने होते आए हैं, और मापने और रौंदने वाले हैं, और जिनका देश नदियों से विभाजित किया हुआ है, उस जाति से सेनाओं के यहोवा के नाम के स्थान सिय्योन पर्वत पर सेनाओं के यहोवा के पास भेंट पहुंचाई जाएगी।
एक साल में बाइबल:
- मत्ती 26-28