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सोमवार, 15 जून 2020

प्रेम के योग्य


     मेरी बेटी एक प्रातः तैयार हो रही थी, और अचानक ही बड़े उत्साह और आनन्द के साथ ऊँची आवाज़ में बोली “Lovable (प्रेम-योग्य);” मुझे समझ नहीं आया उसका अभिप्राय क्या था। मेरे चहरे के भाव को देखकर उसने अपनी टी-शर्ट पर लिखे हुए शब्द की ओर संकेत किया, जहाँ पर बड़े अक्षरों में लिखा था, “Lovable (प्रेम के योग्य)।” मैंने उसे गले से लगाया, और वह आनन्द से मुस्कुराने लगी, और जब मैंने उस से कहा, “तुम प्रेम के योग्य हो” तो उसकी मुस्कराहट और भी बड़ी हो गई; और वह इस शब्द को बारंबार दोहराती हुई कूदती हुई बाहर चली गई।

     मैं कोई सिद्ध पिता तो नहीं हूँ, परन्तु वह पल सिद्ध पल था। उस स्वाभाविक, मनोहर वार्तालाप में मैंने अपने बेटी के दमकते हुए चेहरे में देखा कि बिना किसी शर्त के मिलने वाले प्रेम को प्राप्त करना कैसा होता है: वह पूर्ण आनन्द की छवि थी। वह अच्छे से समझ रही थी कि उस की शर्ट पर लिखी बात उसके प्रति उसके पिता की भावनाओं से पूर्णतः मेल खा रही थी।

     हम में से कितने हैं जो अपने हृदय से इस बात पर पूर्ण विश्वास रखते हैं कि हमारा स्वर्गीय परमेश्वर पिता हमें असीम और अनंतकालीन प्रेम करता है? कभी-कभी हम इस सत्य को लेकर संघर्ष करते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि इस्राएलियों ने भी किया। वे सोचने लगे कि क्या उन की परीक्षाओं का यह अर्थ है कि अब परमेश्वर उन से प्रेम नहीं करता है। परन्तु यिर्मयाह 31:3 में भविष्यद्वक्ता ने उन्हें वह स्मरण करवाया जो परमेश्वर ने उन से पहले ही कह रखा था, “मैंने तुझ से सदा प्रेम रखता आया हूँ।”

     हमारी भी लालसा ऐसे ही सिद्ध प्रेम को पाने की होती है। परन्तु जो घाव, निराशाएं और गलतियाँ हम अनुभव करते हैं, वे हमें अपने आप को उस ‘प्रेम के योग्य’ समझ पाने में आड़े आती हैं। परन्तु हमारा प्रभु परमेश्वर अपनी बाहें फैलाए हमें अपने पास आ कर उस प्रेम को अनुभव करने और उसके सिद्ध प्रेम में विश्राम करने के लिए आमंत्रित करता है। - एडम होल्ज़

 

हमारे परमेश्वर पिता के समान कोई हम से प्रेम नहीं कर सकता है।


मेरी दृष्टि में तू अनमोल और प्रतिष्ठित ठहरा है और मैं तुझ से प्रेम रखता हूं, इस कारण मैं तेरी सन्ती मनुष्यों को और तेरे प्राण के बदले में राज्य राज्य के लोगों को दे दूंगा। - यशायाह 43:4

बाइबल पाठ: यिर्मयाह 31:1-6

यिर्मयाह 31:1 उन दिनों में मैं सारे इस्राएली कुलों का परमेश्वर ठहरूंगा और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यही वाणी है।

यिर्मयाह 31:2 यहोवा यों कहता है: जो प्रजा तलवार से बच निकली, उन पर जंगल में अनुग्रह हुआ; मैं इस्राएल को विश्राम देने के लिये तैयार हुआ।

यिर्मयाह 31:3 यहोवा ने मुझे दूर से दर्शन देकर कहा है। मैं तुझ से सदा प्रेम रखता आया हूँ; इस कारण मैं ने तुझ पर अपनी करुणा बनाए रखी है।

यिर्मयाह 31:4 हे इस्राएली कुमारी कन्या! मैं तुझे फिर बसाऊंगा; वहां तू फिर सिंगार कर के डफ बजाने लगेगी, और आनन्द करने वालों के बीच में नाचती हुई निकलेगी।

यिर्मयाह 31:5 तू शोमरोन के पहाड़ों पर अंगूर की बारियां फिर लगाएगी; और जो उन्हें लगाएंगे, वे उनके फल भी खाने पाएंगे।

यिर्मयाह 31:6 क्योंकि ऐसा दिन आएगा, जिस में एप्रैम के पहाड़ी देश के पहरुए पुकारेंगे: उठो, हम अपने परमेश्वर यहोवा के पास सिय्योन को चलें।    

 

एक साल में बाइबल: 

  • नहेम्याह 1-3
  • प्रेरितों 2:1-21