यद्यपि मैं अनुग्रहकारी परमेश्वर में विश्वास
करती हूँ, फिर भी कभी-कभी मेरी प्रवृत्ति रहती है कि मुझे उसकी सहायता तब ही
उपलब्ध होगी, जब मैं उसके योग्य बनूँगी; और ऐसे में मेरा विचार रहता है, ‘ये
मुसीबत मैंने ही अपने लिए खड़ी की है; अब मुझे ही इस में से निकलने का मार्ग भी
बनाना होगा।’
परमेश्वर के वचन बाइबल में हम याकूब के जीवन
से देखते हैं कि यह धारणा रखना कितना गलत है। याकूब ने अपनी नियति बदलने के लिए हर
संभव प्रयास किया। वह दो भाइयों में से छोटा था, और उन दिनों में पहलौठे पुत्र को
पिता की आशीषें दी जाती थीं, और माना जाता था कि यह उनके संपन्न भविष्य को निश्चित
करता था। इसलिए अपने पिता की आशीषों को प्राप्त करने के लिए याकूब ने हर हथकंडा
अपना लिया। अंततः, उसने धोखे के द्वारा, अपने पिता की पहलौठे की आशीषें प्राप्त तो
कर लीं (उत्पत्ति 27:19-29), परन्तु परिणाम परिवार का विभाजन था, और उसे अपने बड़े
भाई के क्रोध से अपनी जान बचा कर भागना पड़ा (पद 41-43)।
रात में अकेले, मैदान में पत्थर को तकिया बना
कर लेटे हुए, उसे परमेश्वर ने दर्शन दिया, उस से बातचीत की (उत्पत्ति 28:11); और
याकूब ने जाना कि आशीषें पाने के लिए उसे दुस्साहसिक योजनाएँ बनाने की आवश्यकता
नहीं है, वह तो पहले से ही आशीषित है। उसकी नियति, उसके जीवन का उद्देश्य, जो
सांसारिक समृद्धि और सम्पन्नता से कहीं बढ़कर था (पद 14), उस परमेश्वर के हाथों में
सुरक्षित था, जो उसे कभी नहीं छोड़ेगा (पद 15)। यह एक ऐसा पाठ था, जिसकी शिक्षाएँ
याकूब जीवन भर सीखता रहा।
यही हम मसीही विश्वासियों के लिए भी सत्य है।
हम चाहे कितनी भी निराशाएँ जीवन में लेकर चलें, या हमें परमेश्वर कितना भी दूर
प्रतीत हो, परन्तु वह सदा हमारे पास है, हमारे साथ है, हमारे लिए उपलब्ध है। वह
कोमलता से हमें हमारी मुसीबतों में से निकालकर, अपनी आशीषों में लिए चलता रहता है।
- मोनिका ब्रैंड्स
हमारे जीवनों के
लिए उस के प्रेम और निर्धारित उद्देश्यों को परमेश्वर कभी नहीं छोड़ता है।
और मुझे इस बात
का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है,
वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा। - फिलिप्पियों 1:6
बाइबल पाठ: उत्पत्ति
28:10-22
उत्पत्ति 28:10
सो याकूब बेर्शेबा से निकल कर हारान की ओर चला।
उत्पत्ति 28:11
और उसने किसी स्थान में पहुंच कर रात वहीं बिताने का विचार किया, क्योंकि सूर्य अस्त हो गया था; सो उसने उस स्थान के
पत्थरों में से एक पत्थर ले अपना तकिया बना कर रखा, और उसी
स्थान में सो गया।
उत्पत्ति 28:12
तब उसने स्वप्न में क्या देखा, कि एक सीढ़ी पृथ्वी पर खड़ी
है, और उसका सिरा स्वर्ग तक पहुंचा है: और परमेश्वर के दूत
उस पर से चढ़ते उतरते हैं।
उत्पत्ति 28:13
और यहोवा उसके ऊपर खड़ा हो कर कहता है, कि मैं यहोवा,
तेरे दादा इब्राहीम का परमेश्वर, और इसहाक का
भी परमेश्वर हूं: जिस भूमि पर तू पड़ा है, उसे मैं तुझ को और
तेरे वंश को दूंगा।
उत्पत्ति 28:14
और तेरा वंश भूमि की धूल के किनकों के समान बहुत होगा, और
पच्छिम, पूरब, उत्तर, दक्खिन, चारों ओर फैलता जाएगा: और तेरे और तेरे वंश
के द्वारा पृथ्वी के सारे कुल आशीष पाएंगे।
उत्पत्ति 28:15
और सुन, मैं तेरे संग रहूंगा, और जहां
कहीं तू जाए वहां तेरी रक्षा करूंगा, और तुझे इस देश में
लौटा ले आऊंगा: मैं अपने कहे हुए को जब तक पूरा न कर लूं तब तक तुझ को न छोडूंगा।
उत्पत्ति 28:16
तब याकूब जाग उठा, और कहने लगा; निश्चय
इस स्थान में यहोवा है; और मैं इस बात को न जानता था।
उत्पत्ति 28:17
और भय खा कर उसने कहा, यह स्थान क्या ही भयानक है! यह तो
परमेश्वर के भवन को छोड़ और कुछ नहीं हो सकता; वरन यह स्वर्ग
का फाटक ही होगा।
उत्पत्ति 28:18
भोर को याकूब तड़के उठा, और अपने तकिए का पत्थर ले कर उसका
खम्भा खड़ा किया, और उसके सिरे पर तेल डाल दिया।
उत्पत्ति 28:19
और उसने उस स्थान का नाम बेतेल रखा; पर उस नगर का नाम पहिले
लूज था।
उत्पत्ति 28:20
और याकूब ने यह मन्नत मानी, कि यदि परमेश्वर मेरे संग रहकर
इस यात्रा में मेरी रक्षा करे, और मुझे खाने के लिये रोटी,
और पहिनने के लिये कपड़ा दे,
उत्पत्ति 28:21
और मैं अपने पिता के घर में कुशल क्षेम से लौट आऊं: तो यहोवा मेरा परमेश्वर
ठहरेगा।
उत्पत्ति 28:22
और यह पत्थर, जिसका मैं ने खम्भा खड़ा किया है, परमेश्वर का भवन ठहरेगा: और जो कुछ तू मुझे दे उसका दशमांश मैं अवश्य ही
तुझे दिया करूंगा।
एक साल में बाइबल:
- नहेम्याह 10-11
- प्रेरितों 4:1-22