ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 6 मई 2018

आनन्द



   बॉब और इवौन पौट्टर, और उनके तीन किशोर बच्चे एक जिंदादिल परिवार थे, जब उनके जीवन ने एक अद्भुत मोड़ लिया। उन्होंने 1956 में बिली ग्राहम के एक मसीही प्रचार सभा में भाग लिया, और अपने जीवन मसीह यीशु को समर्पित कर दिए। इसके कुछ समय बाद उनके अन्दर अपने विश्वास और मसीह यीशु के बारे में सच्चाई को सँसार के अन्य लोगों को बताने की लालसा उठी, और उन्होंने अपने घर को प्रति शनिवार संध्या को परमेश्वर के वचन बाइबल के अध्ययन के लिए खोल दिया, तथा बाइबल में रुचि रखने और आने वाले हाई-स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों को परमेश्वर के वचन की शिक्षा देने लगे। एक मित्र ने मुझे भी आमंत्रित किया, और मैं भी बाइबल अध्ययन के लिए उनके घर नित्य जाने लगा।

   वहाँ होने वाला बाइबल अध्ययन गंभीर होता था, जिसमें पाठ के विषय तैयारी करना और पवित्र-शास्त्र के भाग कंठस्थ करना सम्मिलित होता था। एक आनन्द, मित्रता और खिलखिलाहट से भरे हुए वातावरण में हम बाइबल के विषय एक-दूसरे को चुनौतियां देते रहते थे, सीखते थे और प्रभु हमारे जीवन बदलता जा रहा था।

   बाद के वर्षों में भी मैं पौट्टर परिवार के संपर्क में बना रहा, और मुझे बॉब से अनेकों पत्र तथा कार्ड मिलते रहे, जो सदा अपने पत्रों और कार्डों को इन शब्दों के साथ अन्त करता था: “मुझे इस से बढ़कर और कोई आनन्द नहीं, कि मैं सुनूं, कि मेरे लड़के-बाले सत्य पर चलते हैं” (3 यूहन्ना 1:4)। जैसे कि प्रेरित यूहन्ना ने यह पत्री अपने मित्र गयुस को लिखते हुए किया था, बॉब भी, अपने संपर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रभु परमेश्वर के साथ निष्ठा के साथ चलते रहने के लिए प्रेरित करता था।

   कुछ वर्ष पहले मैं बॉब की यादगारी में रखी गई सभा में भाग लेने के लिए गया। वह एक आनंदपूर्ण समय था जहाँ ऐसे लोग एकत्रित थे जो विश्वास के मार्ग पर निष्ठा के साथ चल रहे थे – क्योंकि एक जवान दंपत्ति ने अपने घर के दरवाजों को औरों के लिए खोला था और अपने सच्चे मन से उनकी सहायाता की थी कि वे प्रभु की निकटता में चलें और बढ़ें, तथा औरों तक प्रभु के सुसमाचार को पहुँचाएँ। - डेविड मैक्कैस्लैंड


आज किसी के लिए प्रोत्साहन की आवाज़ बनें।

वह वहां पहुंचकर, और परमेश्वर के अनुग्रह को देखकर आनन्‍दित हुआ; और सब को उपदेश दिया कि तन मन लगाकर प्रभु से लिपटे रहो। - प्रेरितों 11:23

बाइबल पाठ: 3 यूहन्ना 1:1-8
3 John 1:1 मुझ प्राचीन की ओर से उस प्रिय गयुस के नाम, जिस से मैं सच्चा प्रेम रखता हूं।।
3 John 1:2 हे प्रिय, मेरी यह प्रार्थना है; कि जैसे तू आत्मिक उन्नति कर रहा है, वैसे ही तू सब बातों मे उन्नति करे, और भला चंगा रहे।
3 John 1:3 क्योंकि जब भाइयों ने आकर, तेरे उस सत्य की गवाही दी, जिस पर तू सचमुच चलता है, तो मैं बहुत ही आनन्‍दित हुआ।
3 John 1:4 मुझे इस से बढ़कर और कोई आनन्द नहीं, कि मैं सुनूं, कि मेरे लड़के-बाले सत्य पर चलते हैं।
3 John 1:5 हे प्रिय, जो कुछ तू उन भाइयों के साथ करता है, जो परदेशी भी हैं, उसे विश्वासी के समान करता है।
3 John 1:6 उन्होंने मण्‍डली के साम्हने तेरे प्रेम की गवाही दी थी: यदि तू उन्हें उस प्रकार विदा करेगा जिस प्रकार परमेश्वर के लोगों के लिये उचित है तो अच्छा करेगा।
3 John 1:7 क्योंकि वे उस नाम के लिये निकले हैं, और अन्यजातियों से कुछ नहीं लेते।
3 John 1:8 इसलिये ऐसों का स्‍वागत करना चाहिए, जिस से हम भी सत्य के पक्ष में उन के सहकर्मी हों।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 21-22
  • लूका 23:26-56