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शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

सृष्टि

 

          मैं नैशनल जियोग्राफिक का एक वीडियो देख रही था, जिस में कैलिफोर्निया के निकट के समुद्र तट में चार हज़ार फीट गहराई में एक बहुत ही कम देखी जाने वाली जेली फिश को पानी की गहरी धाराओं के प्रवाह के साथ ‘नाचते हुए दिखाया गया था; उसका शरीर, पानी के कालेपन की तुलना में, चमकीले नीले, बैंगनी, और गुलाबी रंगों की विभिन्न छायाओं से चमक रहा था; और घंटे समान उसके शरीर से निकलने वाले अनेकों लचीले और चमकीले टेंटेकल्स उसके शरीर के प्रत्येक सपंदन के साथ थिरक रहे थे। उस अद्भुत वीडियो को देखते समय मैं विचार कर रही थी कि परमेश्वर ने जेलेटिन के समान इस सुन्दर जन्तु की सृष्टि कितनी अद्भुत रीति से की है; और न केवल उसकी, वरन उन् 2000 से भी अधिक प्रजातियों की जेली फिश की भी जिन्हें अक्तूबर 2017 तक वैज्ञानिक पहचान चुके थे।

          यद्यपि हम परमेश्वर को सृष्टिकर्ता स्वीकार करते हैं, फिर भी क्या हम कभी कुछ धीमे होकर परमेश्वर के वचन बाइबल के पहले अध्याय में प्रकट किए गए विलक्षण सच्चाइयों पर विचार करते हैं? हमारे विस्मयकारी परमेश्वर ने इस विविध प्रकार की रचनाओं से भरे संसार में अपनी ज्योति और जीवन को डाला है। उसने,इसलिये परमेश्वर ने जाति जाति के बड़े बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते फिरते हैं जिन से जल बहुत ही भर गया” (उत्पत्ति 1:21)। अभी तक वैज्ञानिक उसका और उन जीव-जंतुओं का, जो परमेश्वर ने बनाए हैं, केवल एक छोटा सा अंश ही जानने और समझने पाए हैं।

          न केवल जीव-जन्तु, वरन परमेश्वर ने प्रत्येक मनुष्य को भी एक अनुपम सृष्टि बनाया है, और सभी को अपने अपने अनुपम कार्य और जिम्मेदारियां सौंपी हैं (भजन 139:13–16)। परमेश्वर की विभिन्न रचनाओं का आनन्द लेते समय हम उसके प्रति अपनी कृतज्ञता और धन्यवाद भी अर्पित करें कि उसने हमें अपने स्वरूप में बनाया, हम में अपना श्वास फूंका, और हमें अपनी महिमा के लिए प्रयोग भी करता है। - सोहचील डिक्सन

 

प्रभु पिता, हमारे सृष्टिकर्ता परमेश्वर, हमारी अद्भुत सृष्टि के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।


मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं। - भजन 139:14

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 1:1-21

उत्पत्ति 1:1 आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।

उत्पत्ति 1:2 और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था।

उत्पत्ति 1:3 तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया।

उत्पत्ति 1:4 और परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया।

उत्पत्ति 1:5 और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहिला दिन हो गया।

उत्पत्ति 1:6 फिर परमेश्वर ने कहा, जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए।

उत्पत्ति 1:7 तब परमेश्वर ने एक अन्तर कर के उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया।

उत्पत्ति 1:8 और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया।

उत्पत्ति 1:9 फिर परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे; और वैसा ही हो गया।

उत्पत्ति 1:10 और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

उत्पत्ति 1:11 फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से हरी घास, तथा बीज वाले छोटे छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्हीं में एक एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें; और वैसा ही हो गया।

उत्पत्ति 1:12 तो पृथ्वी से हरी घास, और छोटे छोटे पेड़ जिन में अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक एक की जाति के अनुसार उन्हीं में होते हैं उगे; और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

उत्पत्ति 1:13 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार तीसरा दिन हो गया।

उत्पत्ति 1:14 फिर परमेश्वर ने कहा, दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां हों; और वे चिन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों के कारण हों।

उत्पत्ति 1:15 और वे ज्योतियां आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देने वाली भी ठहरें; और वैसा ही हो गया।

उत्पत्ति 1:16 तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियां बनाईं; उन में से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया: और तारागण को भी बनाया।

उत्पत्ति 1:17 परमेश्वर ने उन को आकाश के अन्तर में इसलिये रखा कि वे पृथ्वी पर प्रकाश दें,

उत्पत्ति 1:18 तथा दिन और रात पर प्रभुता करें और उजियाले को अन्धियारे से अलग करें: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

उत्पत्ति 1:19 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार चौथा दिन हो गया।

उत्पत्ति 1:20 फिर परमेश्वर ने कहा, जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें।

उत्पत्ति 1:21 इसलिये परमेश्वर ने जाति जाति के बड़े बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते फिरते हैं जिन से जल बहुत ही भर गया और एक एक जाति के उड़ने वाले पक्षियों की भी सृष्टि की: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • 1 शमूएल 30-31
  • लूका 13:23-35