मैंने अपनी छोटी बेटी को बताया कि तीन माह का एक शिशु हमारे घर मिलने आने वाला है, और वह यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुई। मेज़बानी के बच्चों वाले भाव के साथ उसने सुझाव दिया कि हम अपने भोजन में से कुछ उस शिशु के साथ बाँटेंगे और रसोई की मेज़ पर रखे रसीले संतरे भी शायद उसे पसंद आएं। मैंने बेटी को समझाया कि वह शिशु अभी हमारे समान आहार को लेने के लिए बहुत छोटा है और अभी केवल दूध ही पी सकता है; जब वह बड़ा हो जाएगा तब वह संतरे और अन्य ठोस आहार लेना पसंद करेगा।
परमेश्वर का वचन बाइबल भी ऐसे ही उदाहरणों के द्वारा मसीही विश्वासी के आत्मिक आहार के बारे में समझाती है। मसीही विश्वास के मूलभूत सिद्धांत दूध के समान हैं जो नए विश्वासियों को बढ़ने और फलवन्त होने का बल देते हैं (1 पतरस 2:1-2)। इसकी तुलना में, बाइबल बताती है, "पर अन्न सयानों के लिये है, जिन के ज्ञानेन्द्रिय अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिये पक्के हो गए हैं" (इब्रानियों 5:14)। जिन मसीही विश्वासियों ने मसीही विश्वास के मूलभूत सिद्धांतों को समझ लिया है, उन्हें अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लिया है, वे फिर और आगे बढ़कर बाइबल की अन्य शिक्षाओं और गूढ़ बातों को सीख-समझ सकते हैं उन्हें औरों को सिखा-समझा सकते हैं। इस आत्मिक परिपक्वता का फल होता है परमेश्वर की सच्चाईयों को औरों तक पहुँचा पाना (पद 12), सयाना - अर्थात सही-गलत में भेद करने की समझ रखने वाला होना (पद 14) तथा सब बातों के लिए परमेश्वर से समझ-बूझ प्राप्त करना (1 कुरिन्थियों 1:26)।
अपने बच्चों से प्रेम करने वाले माता-पिता के समान, हमारा परमेश्वर पिता भी चाहता है कि हम आत्मिक जीवन में बढ़ें। वह यह भी जानता है कि हमारी इस बढ़ोतरी के लिए केवल आत्मिक दूध ही पीते रहना काफी नहीं है। वह चाहता है कि हम अपने मसीही विश्वास के जीवन में बाइबल से ठोस आत्मिक आहार लेना भी सीखें और उसे दूसरों तक पहुँचाने वाले भी हो सकें। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट
आत्मिक जीवन में बढोतरी विश्वास के सही पोषण द्वारा होती है।
इसलिये सब प्रकार का बैर भाव और छल और कपट और डाह और बदनामी को दूर करके। नये जन्मे हुए बच्चों की नाईं निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिये बढ़ते जाओ। - 1 पतरस 2:1-2
बाइबल पाठ: इब्रानियों 5:5-14
Hebrews 5:5 वैसे ही मसीह ने भी महायाजक बनने की बड़ाई अपने आप से नहीं ली, पर उसको उसी ने दी, जिसने उस से कहा था, कि तू मेरा पुत्र है, आज मैं ही ने तुझे जन्माया है।
Hebrews 5:6 वह दूसरी जगह में भी कहता है, तू मलिकिसिदक की रीति पर सदा के लिये याजक है।
Hebrews 5:7 उसने अपनी देह में रहने के दिनों में ऊंचे शब्द से पुकार पुकार कर, और आंसू बहा बहा कर उस से जो उसको मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्थनाएं और बिनती की और भक्ति के कारण उस की सुनी गई।
Hebrews 5:8 और पुत्र होने पर भी, उसने दुख उठा उठा कर आज्ञा माननी सीखी।
Hebrews 5:9 और सिद्ध बन कर, अपने सब आज्ञा मानने वालों के लिये सदा काल के उद्धार का कारण हो गया।
Hebrews 5:10 और उसे परमेश्वर की ओर से मलिकिसिदक की रीति पर महायाजक का पद मिला।
Hebrews 5:11 इस के विषय में हमें बहुत सी बातें कहनी हैं, जिन का समझना भी कठिन है; इसलिये कि तुम ऊंचा सुनने लगे हो।
Hebrews 5:12 समय के विचार से तो तुम्हें गुरू हो जाना चाहिए था, तौभी क्या यह आवश्यक है, कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा फिर से सिखाए ओर ऐसे हो गए हो, कि तुम्हें अन्न के बदले अब तक दूध ही चाहिए।
Hebrews 5:13 क्योंकि दूध पीने वाले बच्चे को तो धर्म के वचन की पहिचान नहीं होती, क्योंकि वह बालक है।
Hebrews 5:14 पर अन्न सयानों के लिये है, जिन के ज्ञानेन्द्रिय अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिये पक्के हो गए हैं।
एक साल में बाइबल:
- यिर्मयाह 43-45
- इब्रानियों 5