ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 6 जुलाई 2011

दिल पर हावी

अपनी बैसाखियों के कारण रौजर कभी खेल-कूद में भाग नहीं ले सका, लेकिन वह अपनी पढ़ाई में सदा अच्छा स्थान बनाए रहा, सदा हँसमुख रहता था और उसके साथ के लोग उसे बहुत पसन्द करते थे। बहुत समय तक उसकी इस असमर्थता के बारे में किसी ने उससे कुछ नहीं पूछा, लेकिन एक दिन उसके एक अच्छे मित्र ने उस से पूछ ही लिया। रौजर ने उसे बताया कि उसकी यह असमर्थता बचपन में हुई पोलियो की बीमारी के कारण थी। उसके मित्र ने फिर पूछा "इतनी कठिनाईयों और तकलीफों के बावजूद तुम्हारे अन्दर कोई कडुवाहट क्यों नहीं दिखाई देती?" रौजर ने अपने दिल की ओर ऊँगुली का इशारा करते हुए और मुस्कुराते हुए उत्तर दिया "क्योंकि मैंने इसे अपने दिल पर कभी हावी नहीं होने दिया।"

हो सकता है कि कोई लोग ऐसे भी हों जिन्होंने कभी क्लेषों का सामना नहीं किया हो। लेकिन हम में से अधिकांश लोगों के लिये क्लेष - शारीरिक, मानसिक अथवा भावनाओं से जुड़े हुए, अनजान नहीं हैं; देर-सवेर, किसी न किसी रूप में, ये हमारे जीवनों में आ ही जाते हैं और तब हमारी स्वाभाविक प्रतिक्रिया इनसे बचने और राहत पाने की होती है। परमेश्वर का वचन बाइबल कभी कहीं यह आश्वासन नहीं देती कि हमारे जीवन सदा क्लेषों से मुक्त होंगें और हम पर कभी कोई असमर्थता नहीं आएगी, और ना ही कोई ऐसा आश्वासन देती है कि क्लेषों से मुक्ति की प्रत्येक प्रार्थना का उत्तर हमारी इच्छानुसार ही होगा, यद्यपि कभी ऐसा होता भी है। लेकिन परमेश्वर का वचन हमें यह आश्वासन अवश्य देता है कि हर क्लेष में हमारा परमेश्वर और उसकी शांति तथा सामर्थ हमारे साथ बनी रहेगी और हर क्लेष में वह हमारे अविनाशी आत्मा को संभाले रहेगा, जो नशवर शरीर से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

यदि हम किसी ऐसी व्याधि से होकर निकलें, जिसका निवारण परमेश्वर तुरंत और हमारी इच्छानुसार नहीं कर देता तो हमें निराश और हताश होकर अपने जीवनों में कडुवाहट, आत्मग्लानि और परमेश्वर के प्रति विरोध और विद्रोह को आने नहीं देना चाहिए। ऐसी परिस्थितियों में अवश्य ही इस प्रकार के विचार हमारे मनों में घर बनाने का प्रयास करेंगे। जब जब ऐसा हो तो बड़ी सच्चाई और साधारण विश्वास के साथ हमें अपनी इन भावनाओं को परमेश्वर के सामने मान लेना चाहिए, क्योंकि वह न केवल सब कुछ जानता है वरन हमारी दशा को समझता भी है और हमसे प्रेम तथा सहानुभुति भी रखता है। ऐसा करने से न केवल हम परिस्थितियों पर जयवंत होंगे और हमारे जीवनों में परमेश्वर की शांति राज करेगी, वरन परमेश्वर भी हमें अपने प्रेम और सामर्थ का उदाहरण बना कर दूसरों तक अपनी गवाही को पहुँचाने पाएगा जिससे कि उनके जीवनों में भी निराशा राज न करने पाए।

यदि हर परिस्थिति में हम अपने जीवन परमेश्वर के आगे खुले रखेंगे तो कोई परिस्थिति कभी हमारे दिलों पर हावी नहीं हो सकेगी। - डेनिस डी हॉन


शरीर का ऐसा कोई क्लेष नहीं है जिससे आत्मा सामर्थ न पा सके।

जब वह व्याधि के मारे सेज पर पड़ा हो, तब यहोवा उसे सम्भालेगा; तू रोग में उसके पूरे बिछौने को उलटकर ठीक करेगा। - भजन ४१:३


बाइबल पाठ: भजन ४१

Psa 41:1 क्या ही धन्य है वह, जो कंगाल की सुधि रखता है! विपत्ति के दिन यहोवा उसको बचाएगा।
Psa 41:2 यहोवा उसकी रक्षा करके उसको जीवित रखेगा, और वह पृथ्वी पर भाग्यवान होगा। तू उसको शत्रुओं की इच्छा पर न छोड़।
Psa 41:3 जब वह व्याधि के मारे सेज पर पड़ा हो, तब यहोवा उसे सम्भालेगा; तू रोग में उसके पूरे बिछौने को उलटकर ठीक करेगा।
Psa 41:4 मैं ने कहा, हे यहोवा, मुझ पर अनुग्रह कर, मुझ को चंगा कर, क्योंकि मैं ने तो तेरे विरूद्ध पाप किया है!
Psa 41:5 मेरे शत्रु यह कह कर मेरी बुराई करते हैं: वह कब मरेगा, और उसका नाम कब मिटेगा?
Psa 41:6 और जब वह मुझ से मिलने को आता है, तब वह व्यर्थ बातें बकता है, जब कि उसका मन अपने अन्दर अधर्म की बातें संचय करता है; और बाहर जाकर उनकी चर्चा करता है।
Psa 41:7 मेरे सब बैरी मिलकर मेरे विरूद्ध कानाफूसी करते हैं; वे मेरे विरूद्ध होकर मेरी हानि की कल्पना करते हैं।
Psa 41:8 वे कहते हैं कि इसे तो कोई बुरा रोग लग गया है, अब जो यह पड़ा है, तो फिर कभी उठने का नहीं।
Psa 41:9 मेरा परम मित्र जिस पर मैं भरोसा रखता था, जो मेरी रोटी खाता था, उस ने भी मेरे विरूद्ध लात उठाई है।
Psa 41:10 परन्तु हे यहोवा, तु मुझ पर अनुग्रह करके मुझ को उठा ले कि मैं उनको बदला दूं!
Psa 41:11 मेरा शत्रु जो मुझ पर जयवन्त नहीं हो पाता, इस से मैं ने जान लिया है कि तू मुझ से प्रसन्न है।
Psa 41:12 और मुझे तो तू खराई से सम्भालता, और सर्वदा के लिये अपने सम्मुख स्थिर करता है।
Psa 41:13 इस्राएल का परमेश्वर यहोवा आदि से अनन्तकाल तक धन्य है आमीन, फिर आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३२-३३
  • प्रेरितों १४