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सोमवार, 8 फ़रवरी 2021

प्रेम और शान्ति

 

          मैं हमेशा इससे आश्चर्यचकित होती हूँ कि कैसे हमारे सबसे अधिक दुःख की घड़ी में भी शान्ति – अद्भुत, शक्तिशाली, समझ से बाहर शान्ति (फिलिप्पियों 4:7) – किसी-न-किसी रीति से हमारे हृदयों को भर सकती है। मैंने हाल ही में इस अपने दिवंगत पिता की स्मृति में रखी गई सभा के समय अनुभव किया। सभा के बाद हमारे जानकारों, मित्रों, और रिश्तेदारों की लम्बी कतार में लोग हमें सांत्वना देते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे; उनमें अपने हाई स्कूल के दिनों  के एक अच्छे मित्र को भी देखकर मुझे बहुत राहत अनुभव हुई। उसने बिना कुछ भी कहे मुझे एक लम्बे आलिंगन में ले लिया। शांत रहते हुए भी इस दुःख के समय में मेरे प्रति उसकी समझ ने मुझे शान्ति से भर दिया। उस कठिन दिन में शान्ति अनुभव करने का वह मेरा पहला अवसर था; जो एक शक्तिशाली याद दिलाना भी था कि मैं इस संसार में उतनी अकेली नहीं हूँ, जितना मुझे लग रहा था; मुझसे प्रेम करने वाले लोग भी हैं।

          जैसे कि परमेश्वर के वचन बाइबल में दाऊद ने भजन 16 में ब्यान किया है, परमेश्वर हमारे जीवनों में जो शान्ति और आनन्द ले कर आता है वह, अपने कठिन समयों में हमारे द्वारा भावनाओं को दबाकर संवेदनहीन होने के प्रयास से नहीं आता है। वरन, यह एक उपहार के समान है जिसे हम तब अनुभव करते हैं जब हम अपने भले परमेश्वर की शरण में चले जाते हैं (पद 1-2)।

          किसी प्रिय जन की मृत्यु से होने वाली दुखद पीड़ा को हम अपने आप को कुछ अन्य बातों में व्यस्त करने के द्वारा, उस दुःख से अपना ध्यान बंटाने के द्वारा, कम करने के प्रयास कर सकते हैं, यह विचार रखते हुए कि इन ‘पराए देवताओं की ओर ध्यान लगाने से हमारे दुःख का निवारण हो जाएगा। किन्तु ऐसे में हमें देर-सवेर यह एहसास हो ही जाता है कि दुःख से ध्यान बंटाने के द्वारा हमारा दुःख और अधिक बढ़ता ही है (पद 4)।

          या फिर, हम परमेश्वर की ओर मुड़ सकते हैं, इस भरोसे के साथ कि चाहे हमें समझ न भी आए, लेकिन जो जीवन उसने हमें दिया है, वह – इन दुखों के होते हुए भी – भला और मनोहर है (पद 6-8)। और तब हम उसकी प्रेम भरी बाँहों में अपने आप को समर्पित करके आश्वस्त हो सकते हैं कि हमारे दुखों में भी वह हमें एक ऐसी शान्ति और आनन्द में लेकर चल सकता है जिसे मृत्यु भी कभी कम नहीं कर सकती है (पद 11)। - मोनिका ब्रैंड्स

 

प्रभु परमेश्वर हमारे दुखों में भी हमें अपनी बाँहों में उठाए रहता है।


वह हमारे सब क्लेशों में शान्ति देता है; ताकि हम उस शान्ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्लेश में हों। - 2 कुरिन्थियों 1:4

बाइबल पाठ: भजन 16

भजन संहिता 16:1 हे ईश्वर मेरी रक्षा कर, क्योंकि मैं तेरा ही शरणागत हूं।

भजन संहिता 16:2 मैं ने परमेश्वर से कहा है, कि तू ही मेरा प्रभु है; तेरे सिवा मेरी भलाई कहीं नहीं।

भजन संहिता 16:3 पृथ्वी पर जो पवित्र लोग हैं, वे ही आदर के योग्य हैं, और उन्हीं से मैं प्रसन्न रहता हूं।

भजन संहिता 16:4 जो पराए देवता के पीछे भागते हैं उनका दु:ख बढ़ जाएगा; मैं उनके लहू वाले अर्घ नहीं चढ़ाऊँगा और उनका नाम अपने ओठों से नहीं लूंगा।

भजन संहिता 16:5 यहोवा मेरा भाग और मेरे कटोरे का हिस्सा है; मेरे बाट को तू स्थिर रखता है।

भजन संहिता 16:6 मेरे लिये माप की डोरी मनभावने स्थान में पड़ी, और मेरा भाग मनभावना है।

भजन संहिता 16:7 मैं यहोवा को धन्य कहता हूं, क्योंकि उसने मुझे सम्मत्ति दी है; वरन मेरा मन भी रात में मुझे शिक्षा देता है।

भजन संहिता 16:8 मैं ने यहोवा को निरन्तर अपने सम्मुख रखा है: इसलिये कि वह मेरे दाहिने हाथ रहता है मैं कभी न डगमगाऊंगा।

भजन संहिता 16:9 इस कारण मेरा हृदय आनन्दित और मेरी आत्मा मगन हुई; मेरा शरीर भी चैन से रहेगा।

भजन संहिता 16:10 क्योंकि तू मेरे प्राण को अधोलोक में न छोड़ेगा, न अपने पवित्र भक्त को सड़ने देगा।

भजन संहिता 16:11 तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • लैव्यव्यवस्था 4-5 
  • मत्ती 24:29-51