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शनिवार, 9 मई 2020

शब्द



     वह किसी भी अन्य नदी को पार कर लेने के समान साधारण बात नहीं थी। कानून के अनुसार, कोई भी रोमी सेनापति अपने अस्त्रों से लैस सैनिकों को लेकर रोम में प्रवेश नहीं कर सकता था। इसलिए जब सन 49 ईसा पूर्व में जूलियस सीज़र ने सेना की तेरहवीं टुकड़ी के साथ इटली की रुबिकौन नदी को पार कर के रोम में प्रवेश किया, तो यह राजद्रोह था। सीज़र के इस निर्णय के परिणाम बदले नहीं जा सकते थे, और रोम वर्षों के गृह-युद्ध में चला गया, जब तक कि अंततः रोम का वह सबसे महान सेनापति वहां का पूर्ण शासक नहीं बन गया। “रुबिकौन को पार करना” एक मुहावरा बन गया जिसे आज भी किसी ऐसी सीमा को पार करने के लिए प्रयोग किया जाता है जहां से वापस लौट पाना संभव न हो।

     कभी-कभी हम अपने शब्दों, अपनी वाणी में संबंधों के किसी रुबिकौन को पर कर जाते हैं। एक बार कहे गए शब्द फिर वापस नहीं किए जा सकते हैं। उन से या तो किसी को सहायता और शान्ति मिलती है, या फिर उन से होने वाली हानि सीज़र के द्वारा रोम में प्रवेश करने के समान फिर पलटी नहीं जा सकती है। परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने हमारे शब्दों को बारे में एक और शब्द-चित्र दिया; उसने लिखा, “जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है” (याकूब 3:6)।

     जब हमें लगता है कि हमने किसी के साथ अपने वार्तालाप में कोई रुबिकौन पार कर लिया है, तो हमें उन से और परमेश्वर से उस के लिए क्षमा माँग लेनी चाहिए (मत्ती 5:23-24; 1 यूहन्ना 1:9)। लेकिन इस से भी अधिक अच्छा है परमेश्वर के आत्मा में प्रतिदिन विश्राम करना, और पौलुस की सलाह, “तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए” (कुलुस्सियों 4:6) का पालन करना। इस से न केवल हमारे शब्द हमारे प्रभु परमेश्वर को आदर प्रदान करेंगे, वरन साथ ही में हमारे आस-पास और साथ के लोगों को भी उभारेंगे, उन्हें प्रोत्साहित करेंगे। - बिल क्राउडर

जब भी हमारे शब्द हथियार बनाते हैं, तो हानि हमारे संबंधों की ही होती है।

कोमल उत्तर सुनने से जलजलाहट ठण्डी होती है, परन्तु कटुवचन से क्रोध धधक उठता है। - नीतिवचन 15:1

बाइबल पाठ: याकूब 3:1-12
याकूब 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे।
याकूब 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है।
याकूब 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं।
याकूब 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्‍ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं।
याकूब 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है।
याकूब 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है।
याकूब 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं।
याकूब 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है।
याकूब 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं।
याकूब 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं।
याकूब 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए।
याकूब 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजाओं 7-9
  • यूहन्ना 1:1-28