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बुधवार, 16 मई 2018

भला



   मेरी सहेली ने मुझ से कहा, “मुझे नहीं लगता कि परमेश्वर भला है।” उसे अपने जीवन से संबंधित कुछ कठिन बातों के बारे में प्रार्थना करते हुए अनेकों वर्ष हो गए थे, परन्तु कुछ नहीं बदला था। परमेश्वर की चुप्पी को लेकर उसका क्रोध और कड़ुवाहट बढ़ते जा रहे थे। मैं उसे भली-भांति जानती थी, इसलिए मैं अनुभव कर सकती थी कि अपने मन की गहराईयों में वह मानती थी कि परमेश्वर भला है, परन्तु उसके मन में लगातार बनी हुई पीड़ा, और उसके प्रति परमेश्वर की प्रतीत होने वाली उदासीनता उसके मन में शंका उत्पन्न कर रही थी। उसके लिए अपनी उदासी को सहन करते रहने से अधिक सरल, अपनी परिस्थितियों के लिए क्रोधित हो जाना था।

   परमेश्वर की भलाई पर शक करना आदम और हव्वा जितना पुराना है (उत्पत्ति 3)। यही विचार सर्प ने हव्वा के मन में डाला था, जब उसने हव्वा को सुझाया कि परमेश्वर उन्हें फल खाने से इसलिए रोक रहा है क्योंकि, “परमेश्वर आप जानता है, कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे”(पद 5)। अपने अहम में फंस कर आदम और हव्वा ने सोचा कि उनके लिए क्या भला है और क्या बुरा, इसे निर्धारित करने का अधिकार स्वयं उन्हें है, न कि परमेश्वर को।

   अपनी पुत्री की मृत्यु के वर्षों पश्चात,जेम्स ब्रायन स्मिथ ने जाना कि वह परमेश्वर की भलाई की पुष्टि कर सकता है। अपनी पुस्तक The Good and Beautiful God में स्मिथ ने लिखा, “परमेश्वर की भलाई पर निर्णय मैं नहीं ले सकता हूँ। मैं तो मनुष्य हूँ और मेरी समझ बहुत सीमित है।” स्मिथ की यह अद्भुत टिप्पणी भोलेपन से नहीं है; वरन वर्षों तक अपनी पीड़ा पर विचार करते रहने और परमेश्वर के मन को जानने के गहन प्रयास का परिणाम है।

   निराशा के समयों में, हम एक-दूसरे की सुनें, और एक दूसरे को प्रोत्साहित करें कि हम इस सच्चाई पर बने रह सकें कि परमेश्वर भला है। - ऐनी सेटास


यहोवा सभों के लिये भला है, और उसकी दया उसकी सारी सृष्टि पर है। - भजन 145:9

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 3:1-8
Genesis 3:1 यहोवा परमेश्वर ने जितने बनैले पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त था, और उसने स्त्री से कहा, क्या सच है, कि परमेश्वर ने कहा, कि तुम इस वाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना?
Genesis 3:2 स्त्री ने सर्प से कहा, इस वाटिका के वृक्षों के फल हम खा सकते हैं।
Genesis 3:3 पर जो वृक्ष वाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्वर ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे।
Genesis 3:4 तब सर्प ने स्त्री से कहा, तुम निश्चय न मरोगे,
Genesis 3:5 वरन परमेश्वर आप जानता है, कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे।
Genesis 3:6 सो जब स्त्री ने देखा कि उस वृक्ष का फल खाने में अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य भी है, तब उसने उस में से तोड़कर खाया; और अपने पति को भी दिया, और उसने भी खाया।
Genesis 3:7 तब उन दोनों की आंखे खुल गई, और उन को मालूम हुआ कि वे नंगे है; सो उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिये।
Genesis 3:8 तब यहोवा परमेश्वर जो दिन के ठंडे समय वाटिका में फिरता था उसका शब्द उन को सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्नी वाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्वर से छिप गए।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजा 24-25
  • यूहन्ना 5:1-24