बौद्धिक क्षमता के सबसे अधिक खराब मेल के बारे में विचार कीजिए। उदाहरण के लिए सुप्रसिद्ध भौतिक शास्त्री एल्बर्ट आईंस्टाईन को पहली कक्षा के छात्र के साथ सापेक्षता के सिद्धांत (Theory of Relativity) पर वाद-विवाद के लिए कहा जाए; या जौर्ज वाशिंगटन कार्वर के साथ छोटी कक्षा के एक छात्र को बायो-कैमिकल इंजीनियरिंग के बारे में चर्चा करने के लिए बैठा दिया जाए - यह सब कितना मूर्खतापूर्ण तथा बेनतीजा होगा। दोनों ही उदाहरणों में एक तो अपने क्षेत्र का सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञ है तो दूसरा उस विषय के बारे में यदि कुछ जानता भी है तो उसकी जानकारी ना के बराबर ही है।
इसी सिलसिले में एक और उदाहरण के बारे में सोचिए - मनुष्य और परमेश्वर के बीच मनुष्य जाति के लिए परमेश्वर की योजना पर बहस। क्या इससे बढ़कर अनुप्युक्त मेल कोई हो सकता है? लेकिन फिर भी हम प्रतिदिन अनेकों लोगों को परमेश्वर और उसकी योजनाओं पर तीखी आलोचना तथा टीका-टिपण्णी करते सुनते हैं, वे इस प्रयास में रहते हैं कि परमेश्वर की अनुपम योजना को व्यर्थ तथा अपनी विचारधारा को परमेश्वर की योजना से बेहतर और उपयुक्त दिखा सकें।
मुझे एक कैदी द्वारा जेल से लिखा गया एक पत्र मिला, जिसमें उसने लिखा: "मैं अपने जीवन में एक ऐसे स्थान पर पहुँच गया जहाँ मुझे अन्ततः यह स्वीकार करना पड़ा कि परमेश्वर सत्य है और वही प्रत्येक वस्तु का सृष्टिकर्ता है। मैं अपना मार्ग चलते चलते, अपनी रीति से हर कार्य करते करते थक गया। फिर जब मैंने अपने आप को नम्र और दीन करके परमेश्वर के वचन को मानना आरंभ कर दिया, तो मुझे सच्चा मार्ग भी मिल गया।"
कितना मूर्खता पूर्ण है पाप से मुक्ति तथा उद्धार के लिए परमेश्वर की योजना को तिरिस्कार कर के अपने ही तौर-तरीकों पर केवल इसलिए ही चलते रहना क्योंकि हम समझते हैं कि हम परमेश्वर से बेहतर जानते हैं। केवल प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास लाने, उससे अपने पापों की क्षमा माँगने और उसको किए गए जीवन के संपूर्ण समर्पण द्वारा ही हमारा मेल-मिलाप परमेश्वर से हो सकता है (यूहन्ना 14:6; रोमियों 3:23; 6:23)। क्या आप अभी भी अपने ही मार्ग पर चलते हुए अपनी ही रीति से अपना अनन्त संवारने का प्रयास कर रहे हैं, इस विचार से कि आप सर्वोत्तम जानते हैं? यदि हाँ तो बाइबल से नीतिवचन 16:25 पढ़िए और उस पर विचार कीजिए।
आज और अभी अपना मार्ग छोड़कर परमेश्वर का मार्ग अपना लीजिए, सुरक्षा और सहायता उसी में है। - डेव ब्रैनन
यीशु परमेश्वर के पास जाने के लिए अनेक मार्गों में से एक नहीं है, और ना ही यीशु अनेक मार्गों में से सर्वोत्त्म मार्ग है; केवल वही परमेश्वर तक जाने वाला एकमात्र मार्ग है। - टोज़र
यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता। - यूहन्ना 14:6
बाइबल पाठ: नीतिवचन 16:20-25
Proverbs 16:20 जो वचन पर मन लगाता, वह कल्याण पाता है, और जो यहोवा पर भरोसा रखता, वह धन्य होता है।
Proverbs 16:21 जिसके हृदय में बुद्धि है, वह समझ वाला कहलाता है, और मधुर वाणी के द्वारा ज्ञान बढ़ता है।
Proverbs 16:22 जिसके बुद्धि है, उसके लिये वह जीवन का सोता है, परन्तु मूढ़ों को शिक्षा देना मूढ़ता ही होती है।
Proverbs 16:23 बुद्धिमान का मन उसके मुंह पर भी बुद्धिमानी प्रगट करता है, और उसके वचन में विद्या रहती है।
Proverbs 16:24 मन भावने वचन मधु भरे छते की नाईं प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं।
Proverbs 16:25 ऐसा भी मार्ग है, जो मनुष्य को सीधा देख पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है।
एक साल में बाइबल:
- 2 इतिहास 23-25