यदि आपने मर्फी के नियम के बारे में सुना नहीं भी हो, तो भी उसे अनुभव अवश्य किया होगा। मर्फी का नियम कहता है, "यदि कोई भी बात बिगड़ सकती है, तो वह बिगड़ेगी अवश्य"; अर्थात अगर कुछ गलत हो सकने की संभावना है तो देर-सवेर वह होकर रहेगा।
मर्फी का यह नियम मुझे प्रभु यीशु द्वारा अपने चेलों से कहे गए एक सिद्धांत की याद दिलाता है: "...संसार में तुम्हें क्लेष होता है..." (यूहन्ना 16:33)। अर्थात, हम मसीही विश्वासी इस बात के लिए निश्चित रह सकते हैं कि देर-सवेर हमें संसार से परेशानियों का सामना करना ही पड़ेगा। यह संभावना परमेश्वर की आरंभिक योजना के अनुसार नहीं है, लेकिन जब से मानव जाति शैतान के प्रलोभन में फंस कर पाप में पड़ गई, तभी से सृष्टि की सभी बातें पाप के दुषप्रभावों की आधीनता में आ गईं, और परिणामस्वरूप तब से सृष्टि की सभी बातों में गड़बड़ एवं दुष्क्रीया दिखाई देती है।
जीवन में परेशानी होने की वास्तविकता तो सर्वविदित है किंतु शांति होने की वस्तविकता अकसर नज़र नहीं आती। यह एक रोचक बात है कि जब प्रभु यीशु ने अपने चेलों को परेशानियों के बारे में चिताया, उसके साथ ही, उसी वाक्य में उन्हें अपनी शांति के बारे में आश्वस्त भी किया: "...ढाढ़स बांधो, मैंने संसार को जीत लिया है" (यूहन्ना 16:33)। "जीत लिया" से प्रभु यीशु का तात्पर्य था मैंने ऐसा कर के दे दिया है जिसका प्रभाव आते समयों में भी मिलता रहेगा। क्रूस पर अपने बलिदान और फिर तीसरे दिन अपने पुनरुत्थान के द्वारा ना केवल प्रभु यीशु ने तब संसार के पाप पर विजय प्राप्त कर ली थी, वरन आज भी वह इस विजय को अपने चेलों के जीवन का अभिन्न अंग बनाए रखता है। हम चाहे जितनी और चाहे जैसी परेशानी का सामना करें, प्रभु यीशु की उपस्थिति और शांति सदा ही हम मसीही विश्वासियों के साथ बनी रहती है, हमें संभाले रहती है।
इसलिए इस पतित संसार से चाहे हमें परेशानियाँ और समस्याएं झेलनी पड़ें, लेकिन सुसमाचार यह है कि प्रभु यीशु की शांति उन सभी कष्टों में हमारे साथ बनी रहेगी, हमें संभाले रहेगी और अन्ततः प्रभु यीशु में हम विजयी ठहरेंगे। - जो स्टोवैल
सभी परेशानियों और समस्याओं के मध्य, विजय एवं शांति प्रभु यीशु में ही उपलब्ध रहती है।
मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूं, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। - यूहन्ना 14:27
बाइबल पाठ: यूहन्ना 16:25-33
John 16:25 मैं ने ये बातें तुम से दृष्टान्तों में कही हैं, परन्तु वह समय आता है, कि मैं तुम से दृष्टान्तों में और फिर नहीं कहूंगा परन्तु खोल कर तुम्हें पिता के विषय में बताऊंगा।
John 16:26 उस दिन तुम मेरे नाम से मांगोगे, और मैं तुम से यह नहीं कहता, कि मैं तुम्हारे लिये पिता से बिनती करूंगा।
John 16:27 क्योंकि पिता तो आप ही तुम से प्रीति रखता है, इसलिये कि तुम ने मुझ से प्रीति रखी है, और यह भी प्रतीति की है, कि मैं पिता कि ओर से निकल आया।
John 16:28 मैं पिता से निकलकर जगत में आया हूं, फिर जगत को छोड़कर पिता के पास जाता हूं।
John 16:29 उसके चेलों ने कहा, देख, अब तो तू खोल कर कहता है, और कोई दृष्टान्त नहीं कहता।
John 16:30 अब हम जान गए, कि तू सब कुछ जानता है, और तुझे प्रयोजन नहीं, कि कोई तुझ से पूछे, इस से हम प्रतीति करते हैं, कि तू परमेश्वर से निकला है।
John 16:31 यह सुन यीशु ने उन से कहा, क्या तुम अब प्रतीति करते हो?
John 16:32 देखो, वह घड़ी आती है वरन आ पहुंची कि तुम सब तित्तर बित्तर हो कर अपना अपना मार्ग लोगे, और मुझे अकेला छोड़ दोगे, तौभी मैं अकेला नहीं क्योंकि पिता मेरे साथ है।
John 16:33 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले; संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है।
एक साल में बाइबल:
- सभोपदेशक 7-9