मेरे पति को भूतपूर्व अमेरीकी राष्ट्रपति रौनल्ड रियगन द्वारा कही बात "विश्वास करो, परन्तु स्त्यापित भी करो" बहुत पसन्द है। जब रियगन राष्ट्रपति थे तो राजनैतिक आदान-प्रदान और व्यवहार में उनसे कही गई बातों का वे विश्वास करना तो चाहते थे; परन्तु क्योंकि उनके देश की सुरक्षा उन्हें बताई गई बात के सत्य होने पर निर्भर थी इसलिए वे हर बात को सत्यापित भी करवाते थे और सत्यापित सत्य के अनुसार ही कार्यवाही करते थे।
परमेश्वर के वचन बाइबल में, प्रेरितों १७:११ में, भी कुछ ऐसे लोगों का उल्लेख है जिन्होंने केवल इसलिए प्रचार किए हुए वचन को मान नहीं लिया क्योंकि परमेश्वर के नाम से एक नामी प्रचारक ने उनके मध्य आकर कुछ प्रचार किया। राष्ट्रपति रियगन ही के समान उनमें भी सत्यापित करने की लालसा थी, इसलिए "ये लोग तो थिस्सलुनीके के यहूदियों से भले थे और उन्होंने बड़ी लालसा से वचन ग्रहण किया, और प्रति दिन पवित्र शास्त्रों में ढूंढ़ते रहे कि ये बातें यों हीं हैं, कि नहीं।" अर्थात बेरिया के उन मसीही विश्वासियों ने वचन को सुना और ग्रहण किया, किंतु मानने से पहले स्वयं पवित्र-शास्त्र से प्रचार किए हुए वचन के बारे में जांचकर देखा और तब उसे स्वीकार किया; और ऐसा वे प्रतिदिन किया करते थे। उनके इस व्यवहार के कारण परमेश्वर का वचन उनकी आलोचना नहीं करता वरन उन्हें ’भले’ कह कर के संबोधित करता है।
यह बात आज हम सभी के लिए भी अति आवश्यक है। हमें हमारी बाइबल शिक्षा चाहे किसी चर्च, सण्डे स्कूल, रेडियो या टी.वी. पर प्रचार या अन्य किसी भी माध्यम से मिले, जो हम सुनते हैं उसे परमेश्वर के वचन के समक्ष रखकर जांचना आवश्यक है, हमारी ज़िम्मेदारी है (२ तिमुथियुस ३:१६-१७)। हमें ऐसे मनुष्य बनना है जो "अपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करने वाला ठहराने का प्रयत्न कर, जो लज्ज़ित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो" (२ तिमुथियुस २:१५)।
यदि हम ऐसा करेंगे तो हम किसी गलत या दूसरे ही सुसमाचार के सुनाने वालों के शिकार नहीं बनेंगे जो परमेश्वर के वचन को बिगाड़ना चाहते हैं (गलतियों १:६-७) - ऐसे झूठे शिक्षक जो भेड़ के भेस में नाश करने वाले भेड़िए हैं (मत्ती ७:१५)।
स्मरण रखिए - "विश्वास करो, परन्तु स्त्यापित भी करो।" सिंडी हैस कैसपर
सत्य को भली भांति जानना झूठ को पहचानने के लिए पहला कदम है।
ये लोग तो थिस्सलुनीके के यहूदियों से भले थे और उन्होंने बड़ी लालसा से वचन ग्रहण किया, और प्रति दिन पवित्र शास्त्रों में ढूंढ़ते रहे कि ये बातें यों हीं हैं, कि नहीं। - प्रेरितों १७:११
बाइबल पाठ: गलतियों १:१-१२
Gal 1:1 पौलुस की, जो न मनुष्यों की ओर से, और न मनुष्य के द्वारा, वरन यीशु मसीह और परमेश्वर पिता के द्वारा, जिस ने मरे हुओं में से जिलाया, प्रेरित है।
Gal 1:2 और सारे भाइयों की आरे से, जो मेरे साथ हैं, गलतिया की कलीसियाओं के नाम।
Gal 1:3 परमेश्वर पिता, और हमारे प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे।
Gal 1:4 उसी ने अपने आप को हमारे पापों के लिये दे दिया, ताकि हमारे परमेश्वर और पिता की इच्छा के अनुसार हमें इस वर्तमान बुरे संसार से छुड़ाए।
Gal 1:5 उस की स्तुति और बड़ाई। युगानुयुग होती रहे। आमीन।
Gal 1:6 मुझे आश्चर्य होता है, कि जिस ने तुम्हें मसीह के अनुग्रह से बुलाया उस से तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे।
Gal 1:7 परन्तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं: पर बात यह है, कि कितने ऐसे हैं, जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं।
Gal 1:8 परन्तु यदि हम या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो श्रापित हो।
Gal 1:9 जैसा हम पहिले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर कहता हूं, कि उस सुसमाचार को छोड़ जिसे तुम ने ग्रहण किया है, यदि कोई और सुसमाचार सुनाता है, तो श्रापित हो। अब मैं क्या मनुष्यों को मानता हूं या परमेश्वर को? क्या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता हूं?
Gal 1:10 यदि मैं अब तक मनुष्यों को प्रसन्न करता रहता, तो मसीह का दास न होता।
Gal 1:11 हे भाइयो, मैं तुम्हें जताए देता हूं, कि जो सुसमाचार मैं ने सुनाया है, वह मनुष्य का सा नहीं।
Gal 1:12 क्योंकि वह मुझे मनुष्य की ओर से नहीं पहुंचा, और न मुझे सिखाया गया, पर यीशु मसीह के प्रकाश से मिला।
एक साल में बाइबल:
- सभोपदेशक १०-१२
- गलतियों १