दो जन अपने व्यवासायिक दौरे और उसके परिणामों
की समीक्षा करने के लिए बैठे। एक ने कहा कि उसे लगता है कि दौरा सफल रहा क्योंकि
उनके व्यावासायिक संपर्कों के द्वारा कुछ नए और सार्थक संबंध बनने आरंभ हुए थे।
दूसरे ने कहा, “संबंध तो ठीक हैं, परन्तु सबसे महत्वपूर्ण बात होती है विक्रय
करना।” स्पष्टतया, दोनों के बहुत भिन्न दृष्टिकोण थे।
हम चाहे व्यवसाय में हों, या परिवार में, या
चर्च में, दूसरों को इस दृष्टिकोण से देखना कि वे हमारे लिए कैसे उपयोगी हो सकते
हैं, बहुत सरल होता है। हम लोगों की कीमत का आँकलन, हमारे लिए उनकी उपयोगिता के
आधार पर करते हैं, न कि इस पर कि यीशु के नाम में हम उनकी क्या और कितनी सेवा कर
सकते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में फिलिप्पियों की मसीही मण्डली को लिखी अपनी
पत्री में, प्रेरित पौलुस ने लिखा, “विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर
दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्ता करे”
(फिलिप्पियों 2:3-4)।
हमें लोगों को अपने लाभ के लिए प्रयोग नहीं
करना है। क्योंकि हमारा परमेश्वर पिता सभी से प्रेम करता है, और हम अपने पिता
परमेश्वर से प्रेम करते हैं, इसलिए यह हमारा कर्तव्य है कि हम दूसरों से भी प्रेम
करें। परमेश्वर का प्रेम सबसे महान प्रेम है; और उस प्रेम को अपने जीवनों से
प्रदर्शित करना हम मसीहियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। - बिल क्राउडर
औरों की
आवश्यकताओं को अपनी आवश्यकताओं से आगे रखने से आनन्द मिलता है।
भाईचारे के
प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे
से बढ़ चलो। - रोमियों 12:10
बाइबल पाठ:
फिलिप्पियों 2:1-11
Philippians
2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की
सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।
Philippians
2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम,
एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।
Philippians
2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को
अपने से अच्छा समझो।
Philippians
2:4 हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की
हित की भी चिन्ता करे।
Philippians
2:5 जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो।
Philippians
2:6 जिसने परमेश्वर के स्वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने
को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा।
Philippians
2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास
का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
Philippians
2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
Philippians
2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है।
Philippians
2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है;
वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।
Philippians
2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि
यीशु मसीह ही प्रभु है।
एक साल में
बाइबल:
- 2 इतिहास 32-33
- यूहन्ना 18:19-40