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शनिवार, 17 अप्रैल 2010

बस चालक

यात्रा के सामान के ७० नग, एक इलैकट्रौनिक पियानो और कुछ अन्य सामान को हवाई अड्डों से होकर और यात्रा की बस से एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाना कभी मन में प्रश्न उठाता है कि हम यह सब क्यूं कर रहे हैं?

११ दिन की मसीही सेवा यात्रा पर २८ किशोरों के झुण्ड को समुद्र पार कर एक नये इलाके में ले जाना कोई आसान काम नहीं है। परन्तु यात्रा के अन्त में हमारे बस चालक ने बस का माईक्रोफोन उठाया और भीगी आंखों से उन किशोरों का उनके साथ और अदभुत सहयोग के लिये धन्यवाद किया। जब हम घर पहुंचे तो उसने हमें ई-मेल करके अवगत काराया कि उन किशोरों के धन्यवादी कार्ड उसे मिले हैं और वह उनकी सराहना करता है। कई कार्डों में सुसमाचार लिखा हुआ था।

उन किशोर छात्रों ने अपने इस यात्रा में अपने गीतों के द्वारा सैंकड़ों की सेवा की, किंतु शायद यह बस चालक ही था जिसने उनके मसीही गुणों से सबसे अधिक लाभ पाया।

इफीसियों की पत्री में हमसे परमेश्वर के सदृश्य होने और प्रेम में चलने को कहा गया है (इफिसीयों ५:१, २)। जब हम आपस में प्रेम का व्यवाहार करते हैं तो दूसरे हममें परमेश्वर को देखते हैं (१ युहन्ना ४:१२)। बस चालक ने छात्रों में यीशु को देखा और उनसे प्रभावित होकर कहा कि वे उसे मसीह में विश्वास लाने के लिये कायल कर देंगे। शायद इस एक व्यक्ति के लिये ही हमने यह यात्रा की थी।

आप जो करते हैं, वह क्यों करते हैं? आप किस के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं? कभी कभी हमारा सबसे अधिक प्रभाव उन लोगों पर नहीं होता जो हमारा लक्ष्य होते हैं; कई दफा यह प्रभाव संसार के बस चालकों पर होता है! - डेव ब्रैनन


मसीही गवाही केवल शब्द बोलकर नहीं होती, वह मसीही के जीवन से होती है।


बाइबल पाठ: १ युहन्ना ४:७-१२


परमेश्वर के सदृश्य बनो...और प्रेम में चलो - इफिसियों ५:१, २


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल १, २
  • लूका १४:१-२४