कुछ समय पहले मुझे एक प्रमुख सड़क मार्ग के किनारे लगे विज्ञापन पटल के बारे में पता चला जिस पर लिखा गया था: "परमेश्वर तो एक कालपनिक मित्र है - वास्तविकता चुनें। यही हम सब के लिए भला रहेगा।" प्रकट था कि यह कथन मसीही विश्वासियों को बच्चों के समान दर्शा रहा था जो अपनी कलपनाओं में कालपनिक मित्रों एवं सहयोगियों से प्रसन्न रहते हैं, ाइसे मित्र और सहयोगी जो वस्तविकता में उनकी कभी कोई सहायता नहीं कर सकते। किंतु क्या परमेश्वर वास्तव में एक कालपनिक मित्र है?
थोड़ा विचार और अध्ययन करें तो उपलब्ध प्रमाण परमेश्वर के वास्तविक होने के पक्ष में हैं। यह पूरी सृष्टि और उसके सभी कार्य दिखाते हैं कि यह सब एक योजनाबद्ध तरीके से संचालित और कार्यान्वित हो रहा है, जो दिखाता है कि इस सृष्टि और उसके कार्य तथा संचालन के पीछे एक योजना बनाने और योजनबद्ध तरीके से कार्य करने वाला है (रोमियों 1:18-20)। प्रत्येक मनुष्य का विवेक इस बात की गवाही देता है कि हमारे अन्दर नैतिकता तथा सही-गलत की पहचान करने की क्षमता डाली गई है (रोमियों 2:14-15) जो किसी भी अन्य पशु-पक्षी में देखने को नहीं मिलती। संगीत और कला के विभिन्न रूपों में जो रचनात्मक योग्यता हम मनुष्य दिखाते हैं, वह हमारे सृष्टिकर्ता परमेश्वर की रचनात्मक क्षमता का एक छोटा सा अंश है (निर्गमन 35:31-32)। प्रभु यीशु ने परमेश्वर को मानव रूप में प्रकट किया (इब्रानियों 1:1-4) और मसीही विश्वासियों के हृदय में परमेश्वर के पवित्र आत्मा के साथ होने वाली सहभागिता परमेश्वर की वास्तविकता का प्रमाण है (गलतियों 5:22-23)।
परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि ऐसे समय और लोग होंगे जो परमेश्वर की वास्तविकता से इंकार करेंगे (2 पतरस 3:4-6)। साथ ही बाइबल परमेश्वर के एक मित्र के जीवन की गवाही और परमेश्वर के साथ उसके अनुभवों को भी बयान करती है: "और पवित्र शास्त्र का यह वचन पूरा हुआ, कि इब्राहीम ने परमेश्वर की प्रतीति की, और यह उसके लिये धर्म गिना गया, और वह परमेश्वर का मित्र कहलाया" (याकूब 2:23)।
परमेश्वर ने अपने पुत्र प्रभु यीशु को आपका सच्चा और अनन्तकाल का मित्र तथा उद्धारकर्ता बनने के लिए भेजा है (यूहन्ना 15:15); क्या आपने उसकी मित्रता के इस निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है? - डेनिस फिशर
इस पृथ्वी का सबसे प्रीय और निकटतम मानव मित्र प्रभु यीशु की छाया मात्र से बढ़कर नहीं है। - चैम्बर्स
अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं। - यूहन्ना 15:15
बाइबल पाठ: रोमियों 1:18-25
Romans 1:18 परमेश्वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्ति और अधर्म पर स्वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं।
Romans 1:19 इसलिये कि परमेश्वर के विषय का ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है।
Romans 1:20 क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं।
Romans 1:21 इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्धेरा हो गया।
Romans 1:22 वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए।
Romans 1:23 और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशमान मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगने वाले जन्तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला।
Romans 1:24 इस कारण परमेश्वर ने उन्हें उन के मन के अभिलाषाओं के अुनसार अशुद्धता के लिये छोड़ दिया, कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें।
Romans 1:25 क्योंकि उन्होंने परमेश्वर की सच्चाई को बदलकर झूठ बना डाला, और सृष्टि की उपासना और सेवा की, न कि उस सृजनहार की जो सदा धन्य है। आमीन।
एक साल में बाइबल:
- एज़्रा 9-10
- प्रेरितों 1