वायु-यान की एक आरामदेह उड़ान में शीघ्र ही गड़बड़ी
होने वाली थी। उड़ान के दौरान दी जाने वाली
खाना-पान सेवा को रोकते हुए वायु-यान के कप्तान ने घोषणा की कि सभी यात्री अपने
स्थानों को ग्रहण कर लें और अपने सीट-बेल्ट बाँध लें। शीघ्र ही वायु-यान समुद्र एक
जहाज़ के समान हिचकोले लेने लगा। सभी यात्री इन हिचकोलों में अपने आप को स्थिर बनाए
रखने के प्रयास कर रहे थे, अपनी घबराहट को दबाने के प्रयास कर रहे थे। ऐसे में एक
बालिका शान्ति से अपनी सीट पर बैठी, अपनी पुस्तक पढ़ रही थी, मनो कुछ हो ही नहीं
रहा था। वायु-यान के सुरक्षित ज़मीन पर उतरने के पश्चात उस बालिका से पूछा गया कि
वह इतनी शान्त कैसे बनी रही? उसने उत्तर दिया, “वायु-यान के चालक मेरे पिताजी हैं,
और वे मुझे घर लेकर जा रहे हैं; तो फिर मुझे किस बात का डर होगा?”
परमेश्वर के वचन बाइबल के नए नियम खण्ड में,
मरकुस रचित सुसमाचार में हम प्रभु यीशु मसीह और उनके शिष्यों के साथ हुई घटना के
विषय में पढ़ते हैं, जब एक तूफ़ान ने उन अनुभवी मछुआरों की नाव को डुबोने का प्रयास
किया। यद्यपि वे शिष्य प्रभु यीशु के निर्देशानुसार नाव में जा रहे थे, तो फिर
उनके साथ ऐसा क्यों हो रहा था? (मरकुस 4:35-38)। प्रभु यीशु उनके साथ था, परन्तु नाव
के पिछले भाग में सो रहा था। उस दिन उस घटना से उन शिष्यों ने सीखा कि यदि वे
प्रभु की आज्ञानुसार भी करेंगे, तो भी जीवन में तूफानों का सामना करना पड़ेगा।
परन्तु क्योंकि प्रभु उनके साथ था, इसलिए कोई भी तूफ़ान उन्हें उनके प्रभु द्वारा
निर्धारित गंतव्य तक पहुँचने से रोक नहीं पाएगा (5:1)।
आज आपके जीवन में कोई भी तूफ़ान हो, वह चाहे किसी
त्रासदी या दुर्घटना के कारण हो, चाहे नौकरी के चले जाने के कारण हो, या अन्य कोई
भी परिक्षा अथवा परिस्थिति हो, हम मसीही विश्वासी सदा आश्वस्त रह सकते हैं कि किसी
तूफ़ान से हमारी कोई हानि नहीं होगी। हमारे जीवनों का चालक, किसी भी तूफ़ान का सामना
कर सकता है, हमारी जीवन-नैया को सुरक्षित पार लगा सकता है, हमें हमारे अनन्तकाल के
निवास-स्थान पहुँचा सकता है। - सी. पी. हिया
जब प्रभु
यीशु मसीह हमारे साथ है
तो हमें किसी तूफ़ान से डराने की कोई आवश्यकता नहीं है।
और हम
जानते हैं,
कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के
लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात
उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28
बाइबल पाठ:
मरकुस 4:35-5:1
Mark 4:35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उसने उन से कहा;
आओ, हम पार चलें,।
Mark 4:36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे
नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी
नावें थीं।
Mark 4:37 तब बड़ी आन्धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक
लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी।
Mark 4:38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब
उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं?
Mark 4:39 तब उसने उठ कर आन्धी को डांटा, और पानी से कहा;
“शान्त रह, थम जा”: और
आन्धी थम गई और बड़ा चैन हो गया।
Mark 4:40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं?
Mark 4:41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन
है, कि आन्धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?
Mark 5:1 और वे झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुंचे।
एक साल में
बाइबल:
- 1 इतिहास 22-24
- यूहन्ना 8:28-59