ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 29 अगस्त 2016

अनुबंध


   यदि आप मेरे समान करते हैं, तो इंटरनैट पर उपलब्ध विभिन्न सेवाओं और सॉफ्टवेयर के उपयोग संबंधी अनुबंध को पूरा पढ़े बिना ही आप भी उसके लिए अपनी सहमति दे देते हैं। वे अनुबंध कई पेज लंबे और कानूनी शब्दावली के प्रयोग के कारण समझने में इतने जटिल होते हैं कि मुझ जैसे साधारण व्यक्ति की समझ के बाहर होते हैं।

   इसीलिए मुझे बड़ा अचंभा हुआ जब अफ्रीका में रहने वाले मेरे एक मित्र ने मुझे एक ऑनलाईन सॉफ्टवेयर के प्रयोग से संबंधित इस अनुपम अनुबंध से अवगत करवाया। बजाए यह बताने के कि इस सॉफ्टवेयर को कब और कैसे प्रयोग नहीं करना है, सॉफ्टवेयर को बनानेवाला एक सरल शब्दों में लिखी गई आशीष लोगों के सामने रखता है, और उनसे विनती करता है कि उस सॉफ्टवेयर का प्रयोग औरों की भलाई के लिए किया जाए। उस अनुबंध में लिखा था: "होने दें कि आप बुराई नहीं वरन भलाई करें। आपको अपने लिए क्षमा मिले तथा आप दुसरों को क्षमा करने वाले बनें। आप मुक्त होकर बाँटें, और जितना आपने दिया है उससे अधिक कभी ना लें।"

   यह पढ़कर मैंने पहले सोचा, "क्या बात है! कितना अच्छा हो यदि प्रयोग करने के और भी अनुबंध इसी प्रकार आशीष के रूप में दिए जाएं ना कि कानूनी दस्तावेज़ के रूप में।" फिर मुझे ध्यान आया, जो अनुबंध प्रभु यीशु हमारे साथ करता है, वह भी तो ऐसा ही आशीषपूर्ण है। प्रभु यीशु अपने पास आने और उसे स्वीकार करने वाले प्रत्येक जन को पापों से क्षमा, परमेश्वर के साथ शान्ति एवं संगति तथा परमेश्वर के पवित्र आत्मा की सहभागिता देने का वायदा करता है। इसके बदले में वह चाहता है कि जैसे हमें क्षमा मिली है, हम भी दूसरों को क्षमा करें (लूका 6:37), जैसा वह हमसे प्रेम करता है वैसा ही हम भी दूसरों से करें (यूहन्ना 13:34) और जैसा वह हमारे साथ भलाई करता है वैसे ही हम भी दुसरों के साथ भलाई करें (गलतियों 6:10)।

   प्रभु यीशु द्वारा किए गए इस अनुबंध की खूबसुरती यह है कि चाहे हम इसकी शर्तें पूरी ना भी कर पाएं, वह हमारे साथ अपने अनुबंध को कभी नहीं तोड़ता है; वरन हमें सामर्थ और साहस देता है कि हम उन शर्तों को पूरा करने के प्रयास करते रहें और उसके साथ उसकी आशीषों में बने रह सकें। - जूली ऐकैरमैन लिंक


इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; 
विशेष कर के विश्वासी भाइयों के साथ। - गलतियों 6:10

मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दुसरे से प्रेम रखो। - यूहन्ना 13:34

बाइबल पाठ: लूका 6:27-37
Luke 6:27 परन्तु मैं तुम सुनने वालों से कहता हूं, कि अपने शत्रुओं से प्रेम रखो; जो तुम से बैर करें, उन का भला करो। 
Luke 6:28 जो तुम्हें श्राप दें, उन को आशीष दो: जो तुम्हारा अपमान करें, उन के लिये प्रार्थना करो। 
Luke 6:29 जो तेरे एक गाल पर थप्पड़ मारे उस की ओर दूसरा भी फेर दे; और जो तेरी दोहर छीन ले, उसको कुरता लेने से भी न रोक। 
Luke 6:30 जो कोई तुझ से मांगे, उसे दे; और जो तेरी वस्तु छीन ले, उस से न मांग। 
Luke 6:31 और जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो। 
Luke 6:32 यदि तुम अपने प्रेम रखने वालों के साथ प्रेम रखो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी अपने प्रेम रखने वालों के साथ प्रेम रखते हैं। 
Luke 6:33 और यदि तुम अपने भलाई करने वालों ही के साथ भलाई करते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी ऐसा ही करते हैं। 
Luke 6:34 और यदि तुम उसे उधार दो, जिन से फिर पाने की आशा रखते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी पापियों को उधार देते हैं, कि उतना ही फिर पाएं। 
Luke 6:35 वरन अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो: और फिर पाने की आस न रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिये बड़ा फल होगा; और तुम परमप्रधान के सन्तान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है। 
Luke 6:36 जैसा तुम्हारा पिता दयावन्‍त है, वैसे ही तुम भी दयावन्‍त बनो। 
Luke 6:37 दोष मत लगाओ; तो तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाएगा: दोषी न ठहराओ, तो तुम भी दोषी नहीं ठहराए जाओगे: क्षमा करो, तो तुम्हारी भी क्षमा की जाएगी।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 126-128
  • 1 कुरिन्थियों 10:19-33