नेल्सन मैन्डेला, जिन्होंने दक्षिणी अफ्रीका की रंग-भेद करने वाली शासन व्यवस्था का विरोध किया था, और जिन्हें अपने इस विरोध के कारण लगभग 3 दशक तक कैद में रहना पड़ा था, शब्दों की सामर्थ्य को जानते थे। आज उनके शब्द उध्दत किए जाते हैं, परन्तु जब वे कैद में थे तो शासन के प्रतिघात के भय के कारण उनके शब्द उध्दत नहीं किए जाते थे। अपने मुक्त किए जाने के एक दशक के बाद उन्होंने कहा: "शब्दों को हलके में प्रयोग करना मेरा व्यवहार नहीं है। यदि कैद के 27 वर्षों ने हमारे साथ कुछ किया है तो वह यह कि अकेलेपन की खामोशी से हम शब्दों की बहुमूल्यता को समझें, और यह जानें कि लोगों के जीने और मरने पर वास्तव में शब्दों का कैसा प्रभाव पड़ता है।
परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम खण्ड में नीतिवचन नामक पुस्तक के अधिकांश नीतिवचनों के लेखक राजा सुलेमान ने शब्दों की सामर्थ्य के बारे में लिखा, "जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं" (नीतिवचन 18:21)। शब्दों में सकारात्मक या नकरात्मक परिणाम देने की सामर्थ्य होती है (पद 20)। उनसे मिलने वाले प्रोत्साहन, उनकी ईमानदारी में जीवन देने की सामर्थ्य है, या फिर झूठ और कानाफूसी द्वारा कुचलने और घात करने की सामर्थ्य है। हम कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि हम सकारात्मक परिणाम लाने वाले भले शब्द ही प्रयोग करेंगे? एकमात्र तरीका है कि अपने मन की यत्न के साथ बुराई से रक्षा करें: "सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है" (नीतिवचन 4:23)।
केवल प्रभु यीशु मसीह ही है जो हमारे जीवन में बुराई के उदगम स्थल हमारे हृदयों को परिवर्तित कर सकता है, जिससे हमारे शब्द वास्तव में भले हों; परिस्थिति के अनुसार ईमानदार, शांत, उचित और उपयोगी हों। - मार्विन विलियम्स
हमारे शब्दों में निर्माण करने या ढा देने की सामर्थ्य है।
फिर उस[यीशु] ने कहा; जो मनुष्य में से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। क्योंकि भीतर से अर्थात मनुष्य के मन से, बुरी बुरी चिन्ता, व्यभिचार। चोरी, हत्या, पर स्त्रीगमन, लोभ, दुष्टता, छल, लुचपन, कुदृष्टि, निन्दा, अभिमान, और मूर्खता निकलती हैं। ये सब बुरी बातें भीतर ही से निकलती हैं और मनुष्य को अशुद्ध करती हैं। - मरकुस 7:20-23
बाइबल पाठ: नीतिवचन 18:1-8, 20-21
Proverbs 18:1 जो औरों से अलग हो जाता है, वह अपनी ही इच्छा पूरी करने के लिये ऐसा करता है,
Proverbs 18:2 और सब प्रकार की खरी बुद्धि से बैर करता है। मूर्ख का मन समझ की बातों में नहीं लगता, वह केवल अपने मन की बात प्रगट करना चाहता है।
Proverbs 18:3 जहां दुष्ट आता, वहां अपमान भी आता है; और निन्दित काम के साथ नामधराई होती है।
Proverbs 18:4 मनुष्य के मुंह के वचन गहिरा जल, वा उमण्डने वाली नदी वा बुद्धि के सोते हैं।
Proverbs 18:5 दुष्ट का पक्ष करना, और धर्मी का हक मारना, अच्छा नहीं है।
Proverbs 18:6 बात बढ़ाने से मूर्ख मुकद्दमा खड़ा करता है, और अपने को मार खाने के योग्य दिखाता है।
Proverbs 18:7 मूर्ख का विनाश उस की बातों से होता है, और उसके वचन उस के प्राण के लिये फन्दे होते हैं।
Proverbs 18:8 कानाफूसी करने वाले के वचन स्वादिष्ट भोजन के समान लगते हैं; वे पेट में पच जाते हैं।
Proverbs 18:20 मनुष्य का पेट मुंह की बातों के फल से भरता है; और बोलने से जो कुछ प्राप्त होता है उस से वह तृप्त होता है।
Proverbs 18:21 जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं, और जो उसे काम में लाना जानता है वह उसका फल भोगेगा।
एक साल में बाइबल:
- भजन 119:89-176
- 1 कुरिन्थियों 8