अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत के वेलिंगटन शहर में यीशु के जन्म की एक झांकी में से शिशु यीशु की कीमती मूर्ति चुरा ली गई। दुबारा ऐसा न हो यह सुनिश्चित करने के लिये अधिकारियों ने उसकी जगह रखी गई नई मूर्ती में एक ऐसा उपकरण (GPS) छिपा दिया जो अपने रखे जाने के स्थान का पता देता रहता था। जब अगले वर्ष क्रिसमस के उपलक्षय पर उस झांकी से फिर से वह मूर्ती चुराई गई तो GPS के सहारे पुलिस को चोर के ठिकाने का पता मिल गया और वे वहां तक पहुंच सके।
ऐसे समय हमारे जीवन में भी आ सकते हैं जब परेशानियों और मुशकिलों के कारण हमें लगे कि जैसे किसी ने यीशु को हम से चुरा लिया है। यदि ऐसा हो तो हम यीशु को कैसे ढूंढें? आत्मिक GPS उपकरण की तरह रोमियों की पत्री का आठवां अध्याय हमें परमेश्वर के अटूट प्रेम और सदा बनी रहने वाली उपस्थिति के विषय में हमारा मार्गदर्शन करता है। इस अध्याय में हम पढ़ते हैं कि परमेश्वर का पवित्रआत्मा हमारे लिये विनती कर के हमारी कमज़ोरियों में हमारी सहायता करता है "इसी रीति से आत्मा भी हमारी र्दुबलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है। और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्या है; क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्छा के अनुसार बिनती करता है। "(पद २६, २७)।
हमें न केवल यह आश्वासन है कि परमेश्वर हमारी ओर है (पद ३१), "सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?" वरन उससे भी अधिक यह कि "जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?" (पद ३२)।
फिर हमें स्मरण दिलाया गया है कि हमें परमेश्वर के प्रेम से कोई अलग नहीं कर सकता है "क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।" (पद ३८, ३९)
यदि मसीह से दूरी अनुभव कर रहे हैं और मन में शंकाएं हैं तो रोमियों ८ को पढ़िये, प्रभु यीशु की सदा बनी रहनी निकटता और परमेश्वर के प्रेम का आश्वासन आपको हो जाएगा। - डेविड मैककैसलैंड
जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा? - रोमियों८:३२
बाइबल पाठ: रोमियों ८:२६-३९
इसी रीति से आत्मा भी हमारी र्दुबलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।
और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्या है; क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्छा के अनुसार बिनती करता है।
और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
क्योंकि जिन्हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
फिर जिन्हें उस ने पहिले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।
सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?
परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहरानेवाला है।
फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।
कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं, हम वध होने वाली भेंडों की नाई गिने गए हैं।
परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।
क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई,
न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।
एक साल में बाइबल:
ऐसे समय हमारे जीवन में भी आ सकते हैं जब परेशानियों और मुशकिलों के कारण हमें लगे कि जैसे किसी ने यीशु को हम से चुरा लिया है। यदि ऐसा हो तो हम यीशु को कैसे ढूंढें? आत्मिक GPS उपकरण की तरह रोमियों की पत्री का आठवां अध्याय हमें परमेश्वर के अटूट प्रेम और सदा बनी रहने वाली उपस्थिति के विषय में हमारा मार्गदर्शन करता है। इस अध्याय में हम पढ़ते हैं कि परमेश्वर का पवित्रआत्मा हमारे लिये विनती कर के हमारी कमज़ोरियों में हमारी सहायता करता है "इसी रीति से आत्मा भी हमारी र्दुबलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है। और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्या है; क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्छा के अनुसार बिनती करता है। "(पद २६, २७)।
हमें न केवल यह आश्वासन है कि परमेश्वर हमारी ओर है (पद ३१), "सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?" वरन उससे भी अधिक यह कि "जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?" (पद ३२)।
फिर हमें स्मरण दिलाया गया है कि हमें परमेश्वर के प्रेम से कोई अलग नहीं कर सकता है "क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।" (पद ३८, ३९)
यदि मसीह से दूरी अनुभव कर रहे हैं और मन में शंकाएं हैं तो रोमियों ८ को पढ़िये, प्रभु यीशु की सदा बनी रहनी निकटता और परमेश्वर के प्रेम का आश्वासन आपको हो जाएगा। - डेविड मैककैसलैंड
प्रभु यीशु पर केंद्रित रहिये, परिस्थितियां आप ही सही परिपेक्ष्य में आ जाएंगीं।
जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा? - रोमियों८:३२
बाइबल पाठ: रोमियों ८:२६-३९
इसी रीति से आत्मा भी हमारी र्दुबलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।
और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्या है; क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्छा के अनुसार बिनती करता है।
और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
क्योंकि जिन्हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
फिर जिन्हें उस ने पहिले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।
सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?
परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहरानेवाला है।
फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।
कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं, हम वध होने वाली भेंडों की नाई गिने गए हैं।
परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।
क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई,
न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।
एक साल में बाइबल:
- यहेजेकेल ४५, ४६
- १ युहन्ना २