मेरा दोस्त मैट एक भोज में आमंत्रित था। जब वह वहां गया तो उसके साथ एक ऐसा व्यक्ति बैठा जो अविश्वासी तो था, साथ ही मसीहियों का उपहास करने में आनन्द पाता था।
सारी शाम वह व्यक्ति बड़े तीखे रूप में मैट को मसीहीयों के संबंध में ताने मारता रहा और मसीहीयों का मज़ाक उड़ाता रहा। हर कटाक्ष पर मैट बड़े शांत स्वरूप में बस इतना ही कहता, " यह एक रोचक विचार है।" अन्तत: मैट ने उससे एक ऐसा प्रश्न पूछा जो मैट की उस व्यक्ति में वास्त्विक रुचि को दर्शाता था और उस प्रश्न से उनकी बातचीत विपरीत विचारधाराओं से हट सकी।
वे दोनो जब जाने के लिये दरवाज़े की ओर बढ़ रहे थे तो उस व्यक्ति ने फिर से मैट की तरफ एक ताना मारा, जिसे सुनकर मैट ने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और मुसकुराकर उससे कहा, "मेरे दोस्त, सारी शाम तुम मुझसे धर्म के बारे में ही बातें करते रहे हो। क्या तुम एक धार्मिक दीवाने हो?"
यह सुनकर उस व्यक्ति का सारा विरोध एक ज़ोर के ठहाके में जाता रहा और फिर वह कुछ गंभीर हो गया, उसमें वास्तव में धार्मिक दीवानगी थी - सब मनुष्यों में होती है, क्योंकि हम परमेश्वर से चाहे कितना भी दूर रहना चाहें, उसका प्रेम निरंतर हमारा पीछा करता रहता है। मैट की नम्रता और विनोदप्रीयता ने उस अविश्वासी को प्रभावित किया और उसके मन को सुसमाचार ग्रहण करने के लिये तैयार किया।
जब हम गैर मसीहीयों से व्यवहार करते हैं तो हमें "सांपों की नाई बुद्धिमान" (मत्ती १०:१६) होना है और उनसे हमारी बात-चीत अनुग्रह सहित और सलोनी हो (कुलुस्सियों ४:६)। - डेविड रोपर
तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए। - कुलुस्सियों ४:६
एक साल में बाइबल:
सारी शाम वह व्यक्ति बड़े तीखे रूप में मैट को मसीहीयों के संबंध में ताने मारता रहा और मसीहीयों का मज़ाक उड़ाता रहा। हर कटाक्ष पर मैट बड़े शांत स्वरूप में बस इतना ही कहता, " यह एक रोचक विचार है।" अन्तत: मैट ने उससे एक ऐसा प्रश्न पूछा जो मैट की उस व्यक्ति में वास्त्विक रुचि को दर्शाता था और उस प्रश्न से उनकी बातचीत विपरीत विचारधाराओं से हट सकी।
वे दोनो जब जाने के लिये दरवाज़े की ओर बढ़ रहे थे तो उस व्यक्ति ने फिर से मैट की तरफ एक ताना मारा, जिसे सुनकर मैट ने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और मुसकुराकर उससे कहा, "मेरे दोस्त, सारी शाम तुम मुझसे धर्म के बारे में ही बातें करते रहे हो। क्या तुम एक धार्मिक दीवाने हो?"
यह सुनकर उस व्यक्ति का सारा विरोध एक ज़ोर के ठहाके में जाता रहा और फिर वह कुछ गंभीर हो गया, उसमें वास्तव में धार्मिक दीवानगी थी - सब मनुष्यों में होती है, क्योंकि हम परमेश्वर से चाहे कितना भी दूर रहना चाहें, उसका प्रेम निरंतर हमारा पीछा करता रहता है। मैट की नम्रता और विनोदप्रीयता ने उस अविश्वासी को प्रभावित किया और उसके मन को सुसमाचार ग्रहण करने के लिये तैयार किया।
जब हम गैर मसीहीयों से व्यवहार करते हैं तो हमें "सांपों की नाई बुद्धिमान" (मत्ती १०:१६) होना है और उनसे हमारी बात-चीत अनुग्रह सहित और सलोनी हो (कुलुस्सियों ४:६)। - डेविड रोपर
"पृथ्वी के नमक" होने के कारण मसीही दुसरों को "जीवन के जल" के लिए प्यासा बना सकते हैं।
बाइबल पाठ: मत्ती १०:१६-२२तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए। - कुलुस्सियों ४:६
एक साल में बाइबल:
- एज़रा १, २
- यूहन्ना १९:२३-४२