पत्रकार मिच अल्बॉम, ३० सितिंबर २००९ को, मंच पर ९१ वर्षीय अर्नी हारवेल का साक्षात्कार ले रहे थे। अर्नी अमेरीकी खेल जगत के एक बहुत लोकप्रीय व्यक्तित्व रहे थे। उन्होंने ५० वर्ष से भी अधिक का समय खेलों के रेडियों प्रसारण में बिताया था, मुख्यतः वे डेट्रॉइट टाइगर्स नामक बेसबॉल टीम से संबंधित प्रसारण के साथ जुड़े होते थे। खेल जगत से जुड़े उनके समय में उनकी नम्रता, अनुकंपा और प्रेम ने सभी को प्रभावित किया था तथा उन से मिलने वाले प्रत्येक जन पर एक अमिट छाप छोड़ी थी।
उस साक्षात्कार से कुछ ही पहले अर्नी ने लोगों को बताया था कि वे लाइलाज कैंसर से पीड़ित हैं। किंतु इस साक्षात्कार में हो रहे वार्तालाप में वे नहीं चाहते थे कि लोग उनके बारे में दुखी हों और उनसे सहानुभूति रखें। वरन अर्नी चाहते थे कि वे १९६१ की उस रात्रि और उनके जीवन पर पड़े उसके प्रभावों के बारे में बातचीत करें जब उन्होंने प्रभु यीशु मसीह को अपन निज उद्धारकर्ता स्वीकार किया था। अपने इस अंतिम साक्षात्कार, वार्तालाप और विदाई में उन्होंने अपनी बात का समापन इन शब्दों से किया: "मैं यह तो नहीं जानता कि मेरे पास कितने और दिन बचे हैं, परन्तु मैं यह अवश्य जानता हूँ कि मैं किस की बाहों में जा रहा हूँ और यह भी कि स्वर्ग कितना अद्भुत स्थान होगा।"
अर्नी को आने वाले उस अति-विशिष्ट का स्पष्ट पूर्वानुमान था क्योंकि वे जानते थे कि उनका जीवन और अनन्त किस के हाथों में सुरक्षित है। वे जानते थे कि परमेश्वर ने उनके लिए एक महिमामय और अनन्त काल का स्थान तैयार कर के रखा हुआ है (यूहन्ना १४:२-३; फिलिप्पियों १:२१-२३), इसीलिए वे मृत्यु का सामना बिना किसी भय और पछतावे के साथ कर सके और मृत्यु के समक्ष भी परमेश्वर की महिमा कर सके।
क्या मृत्यु से सामना होने पर आपका रवैया भी अर्नी के समान ही होगा? क्या आपको पता है और विश्वास है कि आप संसार से अंतिम विदाई के बाद किसके पास होंगे? क्या संसार से आपकी अंतिम विदाई किसी अनिशचितता और दुख में नहीं, वरन अर्नी के समान ही आपके लिए भी निशचित तौर से अनन्त आनन्द में प्रवेश करने का द्वार ही होगी?
संसार की हर उपलब्धि के बाद भी एक अन्त है; और उस अन्त के बाद एक अनन्त है। अन्ततः आपके लिए वह अनन्त कहां और कैसा होगा, यही एक मात्र और महत्वपूर्ण प्रश्न रह जाता है जिसका उत्तर प्रत्येक जन को स्वयं ही और इस जीवन में ही तैयार करना होगा। क्या इस एक मात्र और महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर आपने तैयार कर लिया है? - डेव ब्रैनन
मसीही विश्वासी के लिए मृत्यु का अर्थ है स्वर्ग, आनन्द और अनन्त तक परमेश्वर का साथ।
हे भाइयो, चौकस रहो, कि तुम में ऐसा बुरा और अविश्वासी न मन हो, जो जीवते परमेश्वर से दूर हट जाए। वरन जिस दिन तक आज का दिन कहा जाता है, हर दिन एक दूसरे को समझाते रहो, ऐसा न हो, कि तुम में से कोई जन पाप के छल में आकर कठोर हो जाए। - इब्रानियों ३:१२-१३
बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ५:६-११
2Co 5:6 सो हम सदा ढाढ़स बान्धे रहते हैं और यह जानते हैं कि जब तक हम देह में रहते हैं, तब तक प्रभु से अलग हैं।
2Co 5:7 क्योंकि हम रूप को देख कर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं।
2Co 5:8 इसलिये हम ढाढ़स बान्धे रहते हैं, और देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं।
2Co 5:9 इस कारण हमारे मन की उमंग यह है, कि चाहे साथ रहें, चाहे अलग रहें पर हम उसे भाते रहें।
2Co 5:10 क्योंकि अवश्य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के साम्हने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उस ने देह के द्वारा किए हों पाए।
2Co 5:11 सो प्रभु का भय मान कर हम लोगों को समझाते हैं और परमेश्वर पर हमारा हाल प्रगट है; और मेरी आशा यह है, कि तुम्हारे विवेक पर भी प्रगट हुआ होगा।
एक साल में बाइबल:
- दानिय्येल १-२
- १ यूहन्ना ४