मेरी पत्नि हमारे दोनों पोतों का ध्यान रख रही थी; उन दोनों में एक खिलौने को लेकर विवाद होने लगा। अचानक ही छोटे नेथन ने (जो तीन वर्ष छोटा था) बड़े कैमरून से धमकी भरे स्वर में ज़ोर देकर कहा, "कैमरून, तुम अपने कमरे में जाओ!" इस धमकी भरी डाँट को सुनकर बड़ा भाई निराश होकर उठा और कन्धे झुकाए हुए अपने कमरे की ओर चलने लगा। मेरी पत्नि ने उससे कहा, "कैमरून, तुम्हें अपने कमरे में जाने की कोई आवश्यकता नहीं है; नेथन तुम्हारा अधिकारी नहीं है!" यह सुनते ही सब कुछ बदल गया, और कैमरून खेलने के लिए मुस्कुराता हुआ वापस आकर बैठ गया।
मसीह यीशु के अनुयायी होने के नाते, हमारा पश्चातापी होने पर पाप कर बैठने की हमारी प्रवृत्ति अनेकों बार उस छोटे भाई के समान हावी हो सकती है। पाप बड़े शोर और दबाव के साथ हमारे हृदयों तथा मनों पर हावी रहने की धमकी बनाए रखता है जिससे हम अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के साथ बने हमारे अमिट संबंध से मिलने वाले जीवन के आनन्द को ना ले सकें।
लेकिन प्रभु यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान के कारण पाप की यह धमकी खोखली है; पाप का हमारे ऊपर कोई अधिकार नहीं है। इसीलिए परमेश्वर के वचन बाइबल में रोम के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस लिखता है, "और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो" (रोमियों 6:14)।
क्योंकि हमारा पश्चातापी होना वास्तविक है, इसलिए प्रभु यीशु का अनुग्रह हमें सक्षम करता है कि हम परमेश्वर को भावता हुआ जीवन व्यतीत कर सकें और उसकी जीवन परिवर्तित करने की सामर्थ की गवाही संसार के सामने प्रस्तुत करें। अपने जीवनों के द्वारा हम संसार के लोगों को प्रत्यक्ष दिखा दें कि हम प्रभु यीशु के अनुग्रह और उपस्थिति में रहने वाले लोग हैं; उसने हमें पाप के दासत्व से छुड़ा लिया है। अब पाप हमारा अधिकारी नहीं है। - बिल क्राऊडर
परमेश्वर हमारी बेचैनी में हमें खोजता है,
हमारे पाप की दशा में हमें स्वीकार करता है,
और हमारे पश्चताप में हमें थाम लेता है। - स्कॉटी स्मिथ
इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान कर के चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है। और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो। - रोमियों 12:1-2
बाइबल पाठ: रोमियों 6:1-14
Romans 6:1 सो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो?
Romans 6:2 कदापि नहीं, हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उस में क्योंकर जीवन बिताएं?
Romans 6:3 क्या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उस की मृत्यु का बपतिस्मा लिया
Romans 6:4 सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें।
Romans 6:5 क्योंकि यदि हम उस की मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएंगे।
Romans 6:6 क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें।
Romans 6:7 क्योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा।
Romans 6:8 सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी।
Romans 6:9 क्योंकि यह जानते हैं, कि मसीह मरे हुओं में से जी उठ कर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की।
Romans 6:10 क्योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया; परन्तु जो जीवित है, तो परमेश्वर के लिये जीवित है।
Romans 6:11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।
Romans 6:12 इसलिये पाप तुम्हारे मरनहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के आधीन रहो।
Romans 6:13 और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।
Romans 6:14 और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था 4-5
- मत्ती 24:29-51