अमेरिका में रविवार की प्रातः समय होता है "इलैकट्रौनिक चर्च" का। अनेक टी. वी. चैनलों द्वारा मसीही कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। कुछ टी.वी. प्रचारक तो स्पष्ट और सटीक सुसमाचार सुनाते हैं, परन्तु कई ऐसे हैं जो सम्मोहित से बैठे दर्शकों के सामने मंच पर इधर से उधर चक्कर लगाते हैं और उन्हें लुभावनी बातों से वशीभूत करने का प्रयास करते हैं, कि यीशु आपको सभी बिमरियों से चंगाई देगा, वह आपको अमीर बना देगा, गरीबी शैतान की ओर से है किंतु यीशु आपको समृद्ध देखना चाहता है। लोग ऐसे चंगाई और स्मृद्धि के "सुसमाचार" को सुनना बहुत पसन्द करते हैं और ऐसे प्रचारकों की सुनने को बड़ी भीड़ एकत्रित रहती है।
अब ज़रा अपने आप को पहली सदी के एक रविवार के दिन में ले चलिए; वर्ष है लगभग ३३ ईस्वीं और शहर है यरुशलेम। यहाँ पर पिछले ३ वर्षों से य़ीशु बिमारों को चंगा करता रहा है, उसने भूखों को भोजन दिया और यहाँ तक कि मुर्दों को भी जिला दिया। अब वह यरुशलेम में गदही के बच्चे पर बैठ कर प्रवेश कर रहा है, और बड़ी भीड़ उसका स्वागत "होशाना" (धन्य-धन्य) के नारों से कर रही है। लेकिन यह भीड़ उसका स्वागत अपने पिछले अनुभव के आधार पर इस सोच से कर रही है कि वह हमें क्या कुछ नहीं दे सकता; उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है कि वह कौन है और क्यूँ आया है। उन्हें एक सांसारिक मसीहा चाहिए जो उनकी पार्थिव आवश्यक्ताओं को पूरा कर सके। जब यीशु उनकी उम्मीदों के अनुसार नहीं बना तो इसी भीड़ ने उसके लिए क्रूस की मृत्यु भी माँगने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई। उन्हें दुख उठाने वाले मसीहा से कोई सरोकार नहीं है जिसकी क्रूस पर की मृत्यु उनके पापों को प्रगट करती है, उन्हें पश्चाताप के लिए उकसाती है, उनसे समर्पण का जीवन चाहती है और उन्हें पापों की क्षमा का मार्ग देती है।
प्रभु यीशु ने कभी यह वायदा नहीं दिया कि वह संसार में संसार के सभी दुखों से छुटकारा देगा। लेकिन उसने यह वायदा अवश्य किया कि वह पापों की क्षमा, शान्ति, अनन्त जीवन और इस संसार में क्रूस उठाने का जीवन देगा।
प्रभु यीशु की सेवा करने के जीवन में क्रूस उठाने के जीवन से कमतर किसी भी बात की आशा रखना प्रभु यीशु के प्रति एक छिछली निष्ठा का प्रमाण है। - डेनिस डी हॉन
और जो भीड़ आगे आगे जाती और पीछे पीछे चली आती थी, पुकार पुकार कर कहती थी, कि दाऊद की सन्तान को होशाना; धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना। - मत्ती २१:९
बाइबल पाठ: युहन्ना १२:१२-१९
Joh 12:12 दूसरे दिन बहुत से लोगों ने जो पर्ब्ब में आए थे, यह सुनकर, कि यीशु यरूशलेम में आता है।
Joh 12:13 खजूर की, डालियां ले लीं, और उस से भेंट करने को निकले, और पुकारने लगे, कि होशाना, धन्य इस्त्राएल का राजा, जो प्रभु के नाम से आता है।
Joh 12:14 जब यीशु को एक गदहे का बच्चा मिला, तो उस पर बैठा।
Joh 12:15 जैसा लिखा है, कि हे सिय्योन की बेटी, मत डर, देख, तेरा राजा गदहे के बच्चे पर चढ़ा हुआ चला आता है।
Joh 12:16 उसके चेले, ये बातें पहिले न समझे थे; परन्तु जब यीशु की महिमा प्रगट हुई, तो उन को स्मरण आया, कि ये बातें उसके विषय में लिखी हुई थीं और लोगों ने उस से इस प्रकार का व्यवहार किया था।
Joh 12:17 तब भीड़ के लोगों ने जो उस समय उसके साथ थे यह गवाही दी कि उस ने लाजर को कब्र में से बुला कर, मरे हुओं में से जिलाया था।
Joh 12:18 इसी कारण लोग उस से भेंट करने को आए थे क्योंकि उन्होंने सुना था, कि उस ने यह आश्चर्यकर्म दिखाया है।
Joh 12:19 तब फरीसियों ने आपस में कहा, सोचो तो सही कि तुम से कुछ नहीं बन पड़ता: देखो, संसार उसके पीछे हो चला है।
एक साल में बाइबल:
अब ज़रा अपने आप को पहली सदी के एक रविवार के दिन में ले चलिए; वर्ष है लगभग ३३ ईस्वीं और शहर है यरुशलेम। यहाँ पर पिछले ३ वर्षों से य़ीशु बिमारों को चंगा करता रहा है, उसने भूखों को भोजन दिया और यहाँ तक कि मुर्दों को भी जिला दिया। अब वह यरुशलेम में गदही के बच्चे पर बैठ कर प्रवेश कर रहा है, और बड़ी भीड़ उसका स्वागत "होशाना" (धन्य-धन्य) के नारों से कर रही है। लेकिन यह भीड़ उसका स्वागत अपने पिछले अनुभव के आधार पर इस सोच से कर रही है कि वह हमें क्या कुछ नहीं दे सकता; उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है कि वह कौन है और क्यूँ आया है। उन्हें एक सांसारिक मसीहा चाहिए जो उनकी पार्थिव आवश्यक्ताओं को पूरा कर सके। जब यीशु उनकी उम्मीदों के अनुसार नहीं बना तो इसी भीड़ ने उसके लिए क्रूस की मृत्यु भी माँगने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई। उन्हें दुख उठाने वाले मसीहा से कोई सरोकार नहीं है जिसकी क्रूस पर की मृत्यु उनके पापों को प्रगट करती है, उन्हें पश्चाताप के लिए उकसाती है, उनसे समर्पण का जीवन चाहती है और उन्हें पापों की क्षमा का मार्ग देती है।
प्रभु यीशु ने कभी यह वायदा नहीं दिया कि वह संसार में संसार के सभी दुखों से छुटकारा देगा। लेकिन उसने यह वायदा अवश्य किया कि वह पापों की क्षमा, शान्ति, अनन्त जीवन और इस संसार में क्रूस उठाने का जीवन देगा।
प्रभु यीशु की सेवा करने के जीवन में क्रूस उठाने के जीवन से कमतर किसी भी बात की आशा रखना प्रभु यीशु के प्रति एक छिछली निष्ठा का प्रमाण है। - डेनिस डी हॉन
सहज (आसान) शब्द सुसमाचारों में केवल एक बार प्रयोग हुआ है, वह भी प्रभु यीशु के साथ उसके जुए में जुतने के संदर्भ में।
और जो भीड़ आगे आगे जाती और पीछे पीछे चली आती थी, पुकार पुकार कर कहती थी, कि दाऊद की सन्तान को होशाना; धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना। - मत्ती २१:९
बाइबल पाठ: युहन्ना १२:१२-१९
Joh 12:12 दूसरे दिन बहुत से लोगों ने जो पर्ब्ब में आए थे, यह सुनकर, कि यीशु यरूशलेम में आता है।
Joh 12:13 खजूर की, डालियां ले लीं, और उस से भेंट करने को निकले, और पुकारने लगे, कि होशाना, धन्य इस्त्राएल का राजा, जो प्रभु के नाम से आता है।
Joh 12:14 जब यीशु को एक गदहे का बच्चा मिला, तो उस पर बैठा।
Joh 12:15 जैसा लिखा है, कि हे सिय्योन की बेटी, मत डर, देख, तेरा राजा गदहे के बच्चे पर चढ़ा हुआ चला आता है।
Joh 12:16 उसके चेले, ये बातें पहिले न समझे थे; परन्तु जब यीशु की महिमा प्रगट हुई, तो उन को स्मरण आया, कि ये बातें उसके विषय में लिखी हुई थीं और लोगों ने उस से इस प्रकार का व्यवहार किया था।
Joh 12:17 तब भीड़ के लोगों ने जो उस समय उसके साथ थे यह गवाही दी कि उस ने लाजर को कब्र में से बुला कर, मरे हुओं में से जिलाया था।
Joh 12:18 इसी कारण लोग उस से भेंट करने को आए थे क्योंकि उन्होंने सुना था, कि उस ने यह आश्चर्यकर्म दिखाया है।
Joh 12:19 तब फरीसियों ने आपस में कहा, सोचो तो सही कि तुम से कुछ नहीं बन पड़ता: देखो, संसार उसके पीछे हो चला है।
एक साल में बाइबल:
- १ शमूएल ३०-३१
- लूका १३:२३-३५