हमारे
पड़ोस में घरों के चारों ओर कॉन्क्रीट की ऊँची दीवारें हैं,
और कई ऐसी हैं जिनके ऊपर कटीले तार लगे हैं, जिनमें बिजली प्रवाहित होती है। इन सभी का
उद्देश्य है चोरों को घरों में आने से रोकना। हमारे निवास-स्थान पर विद्युत की
कटौती भी बहुत आम बात है। इस कटौती के कारण बाहर के दरवाज़े की घंटी अकसर किसी काम
की नहीं रहती है – जब बिजली नहीं होती है तो घर आने वाला व्यक्ति बाहर झुलसाने
वाली धूप या तेज़ बारिश में खड़ा हुआ हो सकता है, और अन्दर किसी को पता भी नहीं चलता है। लेकिन जब घंटी काम भी कर रही होती
है, तब भी आने वाले आगंतुक को घर
में प्रवेश देना, आने वाला कौन है
पर निर्भर करता है। हमारी दीवारें अच्छा उद्देश्य तो पूरा करती हैं, परन्तु वे भेद-भाव की दीवारें भी बन सकती हैं –
चाहे आगंतुक कोई बुरे उद्देश्य से जबरन घुस आने वाला न भी हो।
परमेश्वर
के वचन बाइबल में प्रभु यीशु जिस सामरी स्त्री से कुएँ पर मिले थे, वह भी भेद-भाव
का सामना कर रही थी। यहूदी लोग सामरियों के साथ कोई व्यवहार नहीं रखते थे। इसलिए
जब प्रभु यीशु ने उससे पीने के लिए पानी माँगा तो उसने कहा, “उस सामरी स्त्री ने उस से कहा, तू यहूदी हो कर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों
मांगता है?” (यूहन्ना 4:9)। जब वह प्रभु यीशु के साथ वार्तालाप करने
लगी, तो उसे जीवन परिवर्तित करने
वाला अनुभव हुआ, जिसका सकारात्मक
प्रभाव उसके अपने तथा वहाँ के लोगों पर भी पड़ा (पद 39-42)। प्रभु यीशु मसीह में
होकर उनके बीच की भेद-भाव की दीवार गिर गई।
विभिन्न
कारणों के आधार पर भेद-भाव करने की समस्या और प्रलोभन वास्तविक है। किन्तु जैसा प्रभु
यीशु ने हमें अपने जीवन के उदाहरण से दिखाया है, हमें सभी लोगों से संपर्क बनाना
है, वे चाहे किसी भी राष्ट्रीयता, जाति, सामाजिक स्तर, या ख्याति
के हों। वह सभी के मध्य के भेद-भाव की दीवारों को गिरा कर, सभी को एक करके अपने साथ रखने के लिए आया था। - लॉरेंस दर्मानी
प्रभु यीशु में भेद-भाव की दीवारें ढा दी
जाती हैं।
तुम लोग उस समय मसीह से अलग और इस्राएल की प्रजा
के पद से अलग किए हुए, और प्रतिज्ञा
की वाचाओं के भागी न थे, और आशाहीन और
जगत में ईश्वर रहित थे। पर अब तो मसीह यीशु में तुम जो पहिले दूर थे, मसीह के लहू के द्वारा निकट हो गए हो। क्योंकि वही
हमारा मेल है, जिसने दोनों को एक कर
लिया: और अलग करने वाली दीवार को जो बीच में थी, ढा दिया। - इफिसियों 2:12-14
बाइबल पाठ: यूहन्ना 4:7-14, 39-42
यूहन्ना 4:7 इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई: यीशु ने उस से कहा, मुझे पानी पिला।
यूहन्ना 4:8 क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे।
यूहन्ना 4:9 उस सामरी स्त्री ने उस से कहा, तू यहूदी हो कर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों मांगता है? (क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का
व्यवहार नहीं रखते)।
यूहन्ना 4:10 यीशु ने उत्तर दिया, यदि तू
परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी
जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है; मुझे पानी पिला तो तू उस से मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता।
यूहन्ना 4:11 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कुआं गहरा है: तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास
कहां से आया?
यूहन्ना 4:12 क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिसने हमें यह कुआं दिया; और
आप ही अपने सन्तान, और अपने ढोरों समेत
उस में से पीया?
यूहन्ना 4:13 यीशु ने उसको उत्तर दिया, कि
जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा।
यूहन्ना 4:14 परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं
उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा
जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।
यूहन्ना 4:39 और उस नगर के बहुत सामरियों ने उस स्त्री के कहने से, जिसने यह गवाही दी थी,
कि उसने सब कुछ जो मैं ने किया है, मुझे बता दिया, विश्वास किया।
यूहन्ना 4:40 तब जब ये सामरी उसके पास आए, तो उस से बिनती करने लगे, कि
हमारे यहां रह: सो वह वहां दो दिन तक रहा।
यूहन्ना 4:41 और उसके वचन के कारण और भी बहुतेरों ने विश्वास किया।
यूहन्ना 4:42 और उस स्त्री से कहा, अब हम
तेरे कहने ही से विश्वास नहीं करते; क्योंकि हम ने आप ही सुन लिया, और जानते हैं कि यही सचमुच में जगत का उद्धारकर्ता है।
एक साल में बाइबल:
- भजन 146-147
- 1 कुरिन्थियों 15:1-28