ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 11 जुलाई 2016

कैसा हो?


   मुझे स्मरण हैं 1991 में वे टेलिविज़न समाचार रिपोर्ट्स देखना जब मॉस्को की सड़कों पर अहिंसक क्रांति घटित हो रही थी। रूस के वे नागरिक जो अब तक अपने जीवन की हर बात के लिए सरकार द्वारा निर्धारित और नियंत्रित कार्यक्रमों तथा योजनाओं के अनुसार रहा करते थे, अचानक ही स्थान स्थान पर खड़े होकर कहने लगे, "अब हम स्वतंत्र नागरिकों के समान आचरण करेंगे"; सरकार द्वारा पूर्णतः नियंत्रित अपने जीवन के विरोध में वे सड़कों पर आने लगे और सैनिक टैंकों के सामने आकर खड़े होने लगे। भवनों के अन्दर बैठे नेतृत्व करने वाले सरकारी लोगों और बाहर जमा जन समूह के चेहरों पर दिखने वाले भाव यह स्पष्ट दिखा रहे थे कि वास्तव में कौन भयभीत है और कौन स्वतंत्र है।

   फिनलैंड के टेलिविज़न पर दिखाई जा रही मॉस्को के रेड स्कुएयर में घटित होने वाले बातों को देखकर मुझे "मसीही विश्वास" को समझने का एक नया दृष्टिकोण मिला - मसीही विश्वास मानसिक विक्षेप का विपरीतार्थक शब्द है। भय से ग्रस्त मान्सिक विक्षेपित व्यक्ति हर बात में अपने भय के कारण को देखता है और उसी के अनुसार अपने जीवन को संचालित करता है। उसके आस-पास, या उसके साथ जो कुछ भी होता है, वह उसके भय को और बढ़ाता है।

   इसके विपरीत मसीही विश्वास है; मसीह यीशु पर विश्वास करने वाला व्यक्ति अपने जीवन को भय के आधार पर नहीं वरन परमेश्वर पर लाए गए उसके विश्वास के आधार पर संचालित करता है। उसके आस-पास, उसके जीवन में, चाहे कैसी भी अव्यवस्था और परेशान करने वाली परिस्थितियाँ क्यों ना हों, मसीही विश्वासी यह जानता और मानता है कि सब कुछ परमेश्वर के नियंत्रण में है, और परमेश्वर जो कुछ भी उसके जीवन में आने देगा वह उसकी भलाई ही के लिए है (रोमियों 8:28)। एक मसीही विश्वासी होने के नाते मुझे इस बात पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए कि मेरी भावनाएँ मेरी परिस्थितियों को लेकर क्या हैं, वरन मुझे हर समय इस बोध के साथ रहना चाहिए कि परमेश्वर मुझसे प्रेम करता है और मैं परमेश्वर की सन्तान होने के नाते उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण हूँ।

   कैसा हो यदि हम मसीही विश्वासी, हम जो परमेश्वर के राज्य के लोग हैं, परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित यूहन्ना द्वारा लिखी गई बात "हे बालको, तुम परमेश्वर के हो: और तुम ने उन पर जय पाई है; क्योंकि जो तुम में है, वह उस से जो संसार में है, बड़ा है" (1 यूहन्ना 4:4) की सच्चाई को अपने जीवनों में पूर्णत्या मानकर लागू कर लें? कैसा हो यदि हम मसीही समाज में सबसे अधिक दोहराई जाने वाली प्रार्थना - परमेश्वर की इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है वैसे ही पृथ्वी पर भी हो को प्रदर्शित करने वाले जीवन जीने लग जाएं? - फिलिप यैन्सी

जब आप प्रभु परमेश्वर में अपने विश्वास को पोषित करने लगेंगे, 
स्वतः ही आपके सभी भय भूखों मरने लगेंगे।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 4:1-6, 4:15-19
1 John 4:1 हे प्रियों, हर एक आत्मा की प्रतीति न करो: वरन आत्माओं को परखो, कि वे परमेश्वर की ओर से हैं कि नहीं; क्योंकि बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता जगत में निकल खड़े हुए हैं। 
1 John 4:2 परमेश्वर का आत्मा तुम इसी रीति से पहचान सकते हो, कि जो कोई आत्मा मान लेती है, कि यीशु मसीह शरीर में हो कर आया है वह परमेश्वर की ओर से है। 
1 John 4:3 और जो कोई आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्वर की ओर से नहीं; और वही तो मसीह के विरोधी की आत्मा है; जिस की चर्चा तुम सुन चुके हो, कि वह आने वाला है: और अब भी जगत में है। 
1 John 4:4 हे बालको, तुम परमेश्वर के हो: और तुम ने उन पर जय पाई है; क्योंकि जो तुम में है, वह उस से जो संसार में है, बड़ा है। 
1 John 4:5 वे संसार के हैं, इस कारण वे संसार की बातें बोलते हैं, और संसार उन की सुनता है। 
1 John 4:6 हम परमेश्वर के हैं: जो परमेश्वर को जानता है, वह हमारी सुनता है; जो परमेश्वर को नहीं जानता वह हमारी नहीं सुनता; इसी प्रकार हम सत्य की आत्मा और भ्रम की आत्मा को पहचान लेते हैं। 
1 John 4:15 जो कोई यह मान लेता है, कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है: परमेश्वर उस में बना रहता है, और वह परमेश्वर में। 
1 John 4:16 और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उसको हम जान गए, और हमें उस की प्रतीति है; परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उस में बना रहता है। 
1 John 4:17 इसी से प्रेम हम में सिद्ध हुआ, कि हमें न्याय के दिन हियाव हो; क्योंकि जैसा वह है, वैसे ही संसार में हम भी हैं। 
1 John 4:18 प्रेम में भय नहीं होता, वरन सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय से कष्‍ट होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ। 
1 John 4:19 हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उसने हम से प्रेम किया।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 1-3
  • प्रेरितों 17:1-15