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शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

दुख और शान्ति


   1960 के अशान्त दशक में अमेरिका में प्रचलित संगीत में भी एक विचित्र मिश्रण था देशभक्ति और विरोध के भावों का; कुछ गीत ऐसे थे जो युद्ध, लालच, समाज में हो रहे अन्याय के तीखे निन्दक थे, तो कुछ अन्य देश के प्रति कर्तव्य और पारंपरिक मूल्यों के निर्वाह पर ज़ोर देते थे। उन दिनों एक गीत प्रचलित हुआ था, "Pack Up Your Sorrows" (अपने दुखों की गठरी बना लो) जो इन भिन्न भावनाओं को एक साथ व्यक्त करता था और व्यक्तिगत जीवन में शांति पर ध्यान केंद्रित करता था। उस गीत का कोरस कहता था: "यदि तुम अपने दुखों की गठरी बना सको, तो उसे लाकर मुझे दे देना; तुम दुखों से छूट पाओगे, और मुझे उनका उपयोग करना आता है; उन्हें मुझे दे देना।" इस गीत में व्यक्त किया गया था कि ऐसा कोई हो जो दूसरों के दुखों को उठा सके, और बदले में उन्हें मन की वास्तविक एवं स्थाई शान्ति दे सके।

   अच्छी खबर यह है कि कोई है जो यह कर सकता है, और वह यह सेंत-मेंत करने के लिए सारे संसार के सभी लोगों के लिए सहर्ष उपलब्ध है, क्योंकि वह सभी को मन की सच्ची तथा स्थाई शान्ति देना चाहता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह की पुस्तक के 53वें अध्याय में भविष्यवाणी के रूप में सारे जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह का चित्रण है; यह भविष्यवाणी प्रभु यीशु के जीवन, बलिदान और मृतकों में से पुनरुत्थान में पूरी हुई। उस अध्याय में एक स्थान पर लिखा है, "निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दु:खों को उठा लिया; तौभी हम ने उसे परमेश्वर का मारा-कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा। परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं" (यशायाह 53:4-5)।

   प्रभु यीशु ने संसार के प्रत्येक जन के पाप और दुख तथा उनका दण्ड अपने ऊपर ले लिए और अपने बलिदान से उस दण्ड को सब के लिए चुका दिया। अब जो कोई साधारण विश्वास से प्रभु यीशु के इस बलिदान के कार्य को स्वीकार करता है, उसे अपना मुक्तिदाता प्रभु ग्रहण कर लेता है, प्रभु यीशु उसे पापों के दण्ड से क्षमा तथा परमेश्वर के साथ मेल एवं अनन्त शान्ति प्रदान कर देता है। क्या आज आप अपने दुख उसे देकर उससे अनन्त शान्ति प्राप्त करना चाहेंगे? - डेविड मैक्कैसलैंड


कोई दुख इतना बड़ा नहीं है जिसे प्रभु यीशु अपने ऊपर लेकर उसके बदले अपनी अनन्त शान्ति ना दे सके।

वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिये हुए क्रूस पर चढ़ गया जिस से हम पापों के लिये मर कर के धामिर्कता के लिये जीवन बिताएं: उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए। - 1 पतरस 2:24 

बाइबल पाठ: यशायाह 53:1-6
Isaiah 53:1 जो समाचार हमें दिया गया, उसका किस ने विश्वास किया? और यहोवा का भुजबल किस पर प्रगट हुआ? 
Isaiah 53:2 क्योंकि वह उसके साम्हने अंकुर की नाईं, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले; उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते। 
Isaiah 53:3 वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दु:खी पुरूष था, रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया, और, हम ने उसका मूल्य न जाना।
Isaiah 53:4 निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दु:खों को उठा लिया; तौभी हम ने उसे परमेश्वर का मारा-कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा। 
Isaiah 53:5 परन्तु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं। 
Isaiah 53:6 हम तो सब के सब भेड़ों की नाईं भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 20-22
  • मरकुस 7:1-13



शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

निकट


   मेरा चचेरे भाई केन चार वर्ष तक कैंसर के साथ साहसपूर्वक जीता रहा। उसके अन्तिम दिनों में उसकी पत्नि, उसके तीन बच्चे और अनेक नाती-पोते उसके कमरे में उससे मिलने आते-जाते रहते थे, अलविदा के विशेष पल उसके साथ बिताते थे। एक समय, ज़रा सी देर को वह अपने कमरे में अकेला था, और उस समय ही में वह अनन्त में प्रवेश कर गया। जब परिवारजनों को यह एहसास हुआ कि वह जा चुका है तो उसकी एक पोती ने, जो अभी बालिका ही थी, बड़ी मासूमियत से कहा, "दादाजी तो चुपचाप से खिसक लिए!" एक पल केन का प्रभु पृथ्वी पर उसके साथ था, और अगले पल केन की आत्मा अपने प्रभु के साथ अनन्त काल के लिए स्वर्ग में थी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल का भजन 16 केन का प्रीय भजन था और वह चाहता था कि उसकी यादगार में रखी गई प्रार्थना सभा में वह भजन पढ़ा जाए। केन भजनकार दाऊद के साथ पूर्णतः सहमत था कि परमेश्वर के साथ व्यक्तिगत संबंध से बढ़कर और कोई बहुमूल्य धन नहीं है। वह दाऊद के साथ इस बात में भी सहमत था कि कब्र किसी मसीही विश्वासी के जीवन को छीन कर रख नहीं सकती क्योंकि परमेश्वर उनका शरणस्थान है; दाऊद ने लिखा, "क्योंकि तू मेरे प्राण को अधोलोक में न छोड़ेगा, न अपने पवित्र भक्त को सड़ने देगा" (भजन 16:10)।

   प्रभु यीशु के बलिदान और मृतकों में से पुनरुत्थान के कारण हम मसीही विश्वासियों को यह दृढ़ आश्वसन है कि हम भी मृत्योप्रांत एक दिन पुनः जी उठेंगे (प्रेरितों 2:25-28; 1 कुरिन्थियों 15:20-22) और दाऊद तथा केन के समान हम भी पाएंगे कि परमेश्वर के, "...निकट आनन्द की भरपूरी है..." (भजन 16:11)। - ऐनी सेटास


परमेश्वर हमारी निधि है; उसकी निकटता अभी हमारा शरणस्थान है, तथा स्वर्ग में आनन्द की भरपूरी होगा।

यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ाने वाला है; मेरा ईश्वर, मेरी चट्टान है, जिसका मैं शरणागत हूं, वह मेरी ढ़ाल और मेरी मुक्ति का सींग, और मेरा ऊँचा गढ़ है। - भजन 18:2

बाइबल पाठ: भजन 16:1-11
Psalms 16:1 हे ईश्वर मेरी रक्षा कर, क्योंकि मैं तेरा ही शरणागत हूं। 
Psalms 16:2 मैं ने परमेश्वर से कहा है, कि तू ही मेरा प्रभु है; तेरे सिवाए मेरी भलाई कहीं नहीं। 
Psalms 16:3 पृथ्वी पर जो पवित्र लोग हैं, वे ही आदर के योग्य हैं, और उन्हीं से मैं प्रसन्न रहता हूं। 
Psalms 16:4 जो पराए देवता के पीछे भागते हैं उनका दु:ख बढ़ जाएगा; मैं उनके लोहू वाले तपावन नहीं तपाऊंगा और उनका नाम अपने ओठों से नहीं लूंगा।
Psalms 16:5 यहोवा मेरा भाग और मेरे कटोरे का हिस्सा है; मेरे बाट को तू स्थिर रखता है। 
Psalms 16:6 मेरे लिये माप की डोरी मनभावने स्थान में पड़ी, और मेरा भाग मनभावना है।
Psalms 16:7 मैं यहोवा को धन्य कहता हूं, क्योंकि उसने मुझे सम्मत्ति दी है; वरन मेरा मन भी रात में मुझे शिक्षा देता है। 
Psalms 16:8 मैं ने यहोवा को निरन्तर अपने सम्मुख रखा है: इसलिये कि वह मेरे दाहिने हाथ रहता है मैं कभी न डगमगाऊंगा।
Psalms 16:9 इस कारण मेरा हृदय आनन्दित और मेरी आत्मा मगन हुई; मेरा शरीर भी चैन से रहेगा। 
Psalms 16:10 क्योंकि तू मेरे प्राण को अधोलोक में न छोड़ेगा, न अपने पवित्र भक्त को सड़ने देगा।
Psalms 16:11 तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 17-19
  • मरकुस 6:30-56



गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015

आनन्दायक


   एक त्रासदी ने उस परिवार में एक ऐसा खालीपन ला दिया जिसे फिर कुछ नहीं भर सका। वह बच्चा जिसने अभी हाल ही में चलना आरंभ किया था, बिल्ली के पीछे पीछे सड़क पर आ गया और एक ट्रक द्वारा कुचला गया; उसके माता-पिता ने सड़क से उसके बेजान शरीर को उठा कर चिपटा लिया। उस बच्चे की 4 वर्षीय बहन यह सब स्तब्ध होकर देख रही थी। वर्षों तक उस त्रासदी के पल का वह खालीपन उस परिवार को उदासी से घेरे रहा। उनकी भावनाएं मानों जड़ हो गई थीं; यदि कोई दिलासा थी तो वह उस त्रासदी के सुन्नपन में थी, किसी भी प्रकार की राहत कल्पना से परे थी।

   लेखिका ऐन वोसकैम्प वह 4 वर्षीय बहन थी जिसने यह सब देखा और इस घटना के दुख ने जीवन और परमेश्वर के प्रति उसके दृष्टिकोण को आकार दिया। जिस संसार में वह बड़ी हुई, उसमें अनुग्रह के विचार का नगण्य स्थान था, आनन्द एक ऐसी धारणा थी जिसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं था।

   एक युवा माँ के रूप में ऐन वोसकैम्प ने उस भ्रामक वस्तु को खोजने का निर्णय लिया जिसे परमेश्वर का वचन बाइबल आनन्द कहती है। उसकी खोज ने उसे बताया कि बाइबल में जिस मूल ग्रीक भाषा के शब्द का अनुवाद आनन्द और अनुग्रह हुआ है वह ग्रीक भाषा के एक अन्य शब्द से निकला है जिसका अर्थ है धन्यवादी। ऐन ने सोचा, "क्या यह इतना सरल हो सकता है?" अपनी इस खोज को परखने करने के लिए वोसकैम्प ने उसे मिले हुए 1,000 उपहारों के लिए धन्यवाद देने का निर्णय लिया। उसने धीरे धीरे धन्यवाद देना आरंभ किया, किंतु शीघ्र ही कृतज्ञता उसके जीवन से उनमुक्त होकर प्रवाहित होने लगी। ऐन वोसकैम्प ने पाया कि धन्यवाद देने से उसके जीवन में आनन्द की वे भावनाएं जागृत हो उठीं जिन्हें वह बहुत वर्ष पहले मृतक समझ चुकी थी। उसने अपने अनुभव से सीखा कि धन्यवाद देना आनन्दायक होता है।

   हम सामान्यतः कार्य होने के बाद धन्यवाद करते हैं परन्तु परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि परमेश्वर के सम्मुख प्रार्थना भी धन्यवाद के साथ प्रस्तुत की जाए (फिलिप्पियों 4:6-7); और प्रभु यीशु ने अपने उदाहरण के द्वारा इसके सत्य को दिखाया जब लाज़र को मृतकों में से जिला उठाने की प्रार्थना से पहले ही उन्होंने परमेश्वर का धन्यवाद किया (यूहन्ना 11:41)।

   हर बात में परमेश्वर के धन्यवादी होना सीखें, और वह आपके जीवन को आनन्द से परिपूर्ण बना देगा। - जूली ऐकैरमैन लिंक


धन्यवाद से भरा हृदय आनन्द से भरे जीवन का स्त्रोत है।

किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी। - फिलिप्पियों 4:6-7

बाइबल पाठ: यूहन्ना 11:32-44
John 11:32 जब मरियम वहां पहुंची जहां यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पांवों पर गिर के कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता तो मेरा भाई न मरता। 
John 11:33 जब यीशु न उसको और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है? 
John 11:34 उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, चलकर देख ले। 
John 11:35 यीशु के आंसू बहने लगे। 
John 11:36 तब यहूदी कहने लगे, देखो, वह उस से कैसी प्रीति रखता था। 
John 11:37 परन्तु उन में से कितनों ने कहा, क्या यह जिसने अन्धे की आंखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता? 
John 11:38 यीशु मन में फिर बहुत ही उदास हो कर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था। 
John 11:39 यीशु ने कहा; पत्थर को उठाओ: उस मरे हुए की बहिन मारथा उस से कहने लगी, हे प्रभु, उस में से अब तो र्दुगंध आती है क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए। 
John 11:40 यीशु ने उस से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी। 
John 11:41 तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आंखें उठा कर कहा, हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं कि तू ने मेरी सुन ली है। 
John 11:42 और मैं जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उन के कारण मैं ने यह कहा, जिस से कि वे विश्वास करें, कि तू ने मुझे भेजा है। 
John 11:43 यह कहकर उसने बड़े शब्द से पुकारा, कि हे लाजर, निकल आ। 
John 11:44 जो मर गया था, वह कफन से हाथ पांव बन्‍धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ था : यीशु ने उन से कहा, उसे खोल कर जाने दो।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 15-16
  • मरकुस 6:1-29



बुधवार, 25 फ़रवरी 2015

तिरस्कृत


   आर्थिक विशेषज्ञ, वॉरन बफेट संसार के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक हैं; 19 वर्ष की आयु में हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल ने उन्हें अस्वीकृत कर दिया था। वे बताते हैं कि हार्वर्ड में दाखिले के लिए हुए साक्षात्कार में असफल होने के बाद भय के भाव ने उन्हें घेर लिया, और साथ ही इस अस्वीकृति के कारण उन्हें अपने पिता की होने वाली प्रतिक्रीया की भी चिंता थी। लेकिन अब पीछे मुड़कर उन सब बातों और घटनाओं के प्रभावों को देखने पर वॉरन कहते हैं: "मेरे जीवन में सब कुछ जो हुआ, वह भी जिसे मैं उस समय मुझे कुचल देने वाली घटना समझता था, मेरी भलाई ही के लिए था।"

   तिरस्कृत होना दर्दनाक होता है, इससे कोई इन्कार नहीं है, लेकिन संसार से तिरस्कृत होने के कारण हमें परमेश्वर की इच्छाओं को पूरा करने से रुक नहीं जाना चाहिए। इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण प्रभु यीशु मसीह हैं। प्रभु यीशु को उसके अपने लोगों ने ही स्वीकार नहीं किया (यूहन्ना 1:11), बाद में उसके अनेक अनुयायी उसे छोड़ कर चले गए (यूहन्ना 6:66)। लेकिन जैसे प्रभु यीशु का यह तिरस्कार परमेश्वर की योजना में था (यशायाह 53:3), वैसे ही परमेश्वर के पुत्र का इस तिरस्कार के बावजूद अपनी सेवकाई को जारी रखना और पूरा करना भी था। प्रभु यीशु ने ना केवल पृथ्वी के लोगों के तिरस्कार को सहा, वरन वे यह भी जानते थे कि उनके बलिदान के समय, जब वे कलवरी के क्रूस पर लटके होंगे, उनका स्वर्गीय पिता भी उनसे मूँह मोड़ लेगा, और यह हुआ भी (मत्ती 27:46)। लेकिन इस सब के बावजूद प्रभु यीशु ने बीमारों को चंगा किया, दुष्टात्माओं को निकाला और पाप क्षमा तथा उद्धार के सुसमाचार का प्रचार किया (प्रेरितों 10:38) और क्रूस पर अपने बलिदान से पहले वे परमेश्वर पिता से कह सके "जो काम तू ने मुझे करने को दिया था, उसे पूरा कर के मैं ने पृथ्वी पर तेरी महिमा की है" (यूहन्ना 17:4)।

   यदि तिरस्कृत होना, परमेश्वर द्वारा आपको सौंपे गए कार्य को पूरा करने में बाधा बन रहा है, तो हिम्मत ना हारें, अपनी सेवकाई में डटे रहें। स्मरण रखे कि प्रभु यीशु ने भी यह दुख सहा है और वह आपकी परिस्थितियों तथा भावनाओं को भली-भांति समझ सकता है, इसलिए वह कहता है: "जो कुछ पिता मुझे देता है वह सब मेरे पास आएगा, उसे मैं कभी न निकालूंगा" (यूहन्ना 6:37)। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


प्रभु यीशु के समान हमें कोई अन्य नहीं समझ सकता।

क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्‍पाप निकला। - इब्रानियों 4:15

बाइबल पाठ: यूहन्ना 1:1-13
John 1:1 आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था। 
John 1:2 यही आदि में परमेश्वर के साथ था। 
John 1:3 सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई। 
John 1:4 उस में जीवन था; और वह जीवन मुनष्यों की ज्योति थी। 
John 1:5 और ज्योति अन्धकार में चमकती है; और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया। 
John 1:6 एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था। 
John 1:7 यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं। 
John 1:8 वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था। 
John 1:9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आनेवाली थी। 
John 1:10 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। 
John 1:11 वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। 
John 1:12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। 
John 1:13 वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 12-14
  • मरकुस 5:21-43



मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

ज्योतिसतंभ


   उत्तरी मिशिगन प्रांत में स्थित मिशिगन झील के एक प्रायद्वीप पर स्थित ज्योतिस्तंभ "मिशन पॉइन्ट लाइटहाउस" कहलाता है। इसे झील के उस तट के समीप पानी में स्थित चट्टानों और रेत के टीलों में जलयानों के फंसने से बचने के लिए सन 1870 में बनाया गया था। लेकिन इसका यह नाम एक अन्य प्रकार के ज्योतिस्तंभ के कारण पड़ा - निकट ही स्थित "ओल्ड मिशन चर्च" के कारण जिसका निर्माण 31 वर्ष पहले हुआ था। सन 1839 में पादरी पीटर डोहर्टी ने उस प्रायद्वीप पर स्थित मूल अमरीकी निवासियों के बीच मसीही सेवकाई की अपनी बुलाहट को स्वीकार किया और वहाँ पर एक चर्च की स्थापना करी। उनके नेतृत्व में किसानों, शिक्षकों और कारीगरों के मेहनती समाज ने एक साथ मिलकर कार्य किया जिससे उस इलाके ने बहुत उन्नति पाई।

   जब मसीही विश्वासियों का समूह एक साथ मिलकर अपनी सेवकाई की ज़िम्मेदारी को पूरा करता है, तो उनका विश्वास और सहभागिता पाप के अन्धकार में पड़े संसार को आत्मिक ज्योति तथा उन्नति प्रदान करता है (फिलिप्पियों 2:15)। प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों से कहा, "तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता। और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है। उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें" (मत्ती 5:14-16)।

   ज्योतिस्तंभ "मिशन पॉइन्ट लाइटहाउस" जलयानों को पानी की सतह के नीचे छिपे खतरों के लिए सचेत करता था और "ओल्ड मिशन चर्च" लोगों को आत्मिक खतरों के लिए सचेत करके, मानने वालों को उन आत्मिक खतरों से सुरक्षित बचकर निकलने के मार्ग - प्रभु यीशु के बारे में बताता था।

   आज भी हम मसीही विश्वासी उस ज्योतिसतंभ के समान कार्य करने के लिए संसार में रखे गए हैं जिससे अपने जीवनों और मसीही विश्वासियों की मण्डलियों द्वारा संसार को पाप के विनाश के बारे में सचेत कर सकें और पाप से बच कर सुरक्षित निकल पाने के मार्ग प्रभु यीशु के बारे में बता सकें। हम परमेश्वर के ज्योतिस्तंभ हैं क्योंकि परमेश्वर की ज्योति प्रभु यीशु मसीह हम में रहता है, कार्य करता है।


जब मसीही विश्वासियों में होकर मसीह की ज्योति चमकती है, तो वे पाप में भटके हुए लोगों को सही मार्ग दिखाने वाले बन जाते हैं।

ताकि तुम निर्दोष और भोले हो कर टेढ़े और हठीले लोगों के बीच परमेश्वर के निष्‍कलंक सन्तान बने रहो, (जिन के बीच में तुम जीवन का वचन लिये हुए जगत में जलते दीपकों की नाईं दिखाई देते हो)। - फिलिप्पियों 2:15

बाइबल पाठ: मत्ती 5:1-16
Matthew 5:1 वह इस भीड़ को देखकर, पहाड़ पर चढ़ गया; और जब बैठ गया तो उसके चेले उसके पास आए। 
Matthew 5:2 और वह अपना मुंह खोल कर उन्हें यह उपदेश देने लगा, 
Matthew 5:3 धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है। 
Matthew 5:4 धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शांति पाएंगे। 
Matthew 5:5 धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे। 
Matthew 5:6 धन्य हैं वे जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किये जाएंगे। 
Matthew 5:7 धन्य हैं वे, जो दयावन्‍त हैं, क्योंकि उन पर दया की जाएगी। 
Matthew 5:8 धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे। 
Matthew 5:9 धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे। 
Matthew 5:10 धन्य हैं वे, जो धर्म के कारण सताए जाते हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है। 
Matthew 5:11 धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएं और झूठ बोल बोलकर तुम्हरो विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें। 
Matthew 5:12 आनन्‍दित और मगन होना क्योंकि तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा फल है इसलिये कि उन्होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था।
Matthew 5:13 तुम पृथ्वी के नमक हो; परन्तु यदि नमक का स्‍वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए। 
Matthew 5:14 तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता। 
Matthew 5:15 और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है। 
Matthew 5:16 उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 9-11
  • मरकुस 5:1-20



सोमवार, 23 फ़रवरी 2015

विधि


   हमारे पोते के जन्मदिन को मनाने के लिए मेरी पत्नि ने एक बड़ा सा चॉकलेट केक बना कर सजाया। यह करने के लिए उसने अपनी व्यंजन बनाने की विधियाँ सिखाने वाली पुस्तक को निकाला, उसमें लिखी विधि के अनुसार सही अनुपात में आवश्यक सामग्री को एकत्रित किया, फिर दी गई केक बनाने की विधि का क्रमवार अनुसरण किया, और केक बनकर तैयार हो गया। कितना अच्छा होता यदि जीवन भी कुछ ऐसा ही होता - जीने के कुछ सरल क्रमों का पालन करें और आनन्दमय जीवन का सुख लें!

   लेकिन जीवन ऐसा सरल नहीं है। हम एक पाप में पतित संसार में रहते हैं और ऐसी कोई सरल विधि नहीं है जिसके पालन से हम हानि, पीड़ा, अन्याय और कष्ट से विहीन जीवन व्यतीत कर सकेंगे। जीवन की तकलीफों में हमें एक ऐसे सहायक और मार्गदर्शक की आवश्यकता है जिसने स्वयं यह सब अनुभव किया हो किंतु उन सब पर जयवन्त रहा हो और अब हमें भी जयवन्त कर सकता हो। परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों की पत्री में ऐसे एकमात्र जन - प्रभु यीशु के विषय में लिखा है: "क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्‍पाप निकला" (इब्रानियों 4:15)। प्रभु यीशु मसीह जो हमें जीवन देने के लिए बलिदान होकर मृतकों में से जी उठा, पूर्ण रीति से सक्षम है कि हमें जीवन के सभी दुखों और अन्धकारमय अनुभवों के पार सकुशल निकाल लाए, क्योंकि "निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दु:खों को उठा लिया..." (यशायाह 53:4)।

   प्रभु यीशु जानता है कि ऐसी कोई सरल विधि नहीं है जिससे जीवन के दुख मिटाए जा सकें, इसलिए वह स्वयं संसार में आ गया, हमारे दुखों को अपने ऊपर ले लिया, उन से सुरक्षित निकल जाने का मार्ग बनाकर दे दिया। क्या आज आप उस पर विश्वास करके अपने दुखों और आँसुओं के जीवन को उन दुखों से पार सुरक्षित निकाल ले जाने के लिए उसे समर्पित करेंगे। जीवन की सुरक्षा और अनन्त आनन्द की इससे सरल विधि और कहीं नहीं है, कोई नहीं है। - बिल क्राउडर


प्रभु यीशु जो हमें जीवन देने के लिए बलिदान हो गया, वही हमें जीवन के दुखों से पार भी लगा सकता है।

इस कारण मैं इन दुखों को भी उठाता हूं, पर लजाता नहीं, क्योंकि मैं उसे जिस की मैं ने प्रतीति की है, जानता हूं; और मुझे निश्‍चय है, कि वह मेरी थाती की उस दिन तक रखवाली कर सकता है। - 2 तिमुथियुस 1:12

बाइबल पाठ: इब्रानियों 4:11-16
Hebrews 4:11 सो हम उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्न करें, ऐसा न हो, कि कोई जन उन की नाईं आज्ञा न मान कर गिर पड़े। 
Hebrews 4:12 क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग कर के, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है। 
Hebrews 4:13 और सृष्‍टि की कोई वस्तु उस से छिपी नहीं है वरन जिस से हमें काम है, उस की आंखों के साम्हने सब वस्तुएं खुली और बेपरदा हैं।
Hebrews 4:14 सो जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक है, जो स्‍वर्गों से हो कर गया है, अर्थात परमेश्वर का पुत्र यीशु; तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहे। 
Hebrews 4:15 क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्‍पाप निकला। 
Hebrews 4:16 इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 7-8
  • मरकुस 4:21-41



रविवार, 22 फ़रवरी 2015

अभिषिक्त


   अन्तरिक्ष यान वॉयएजर 1 को सन 1977 में प्रक्षेपित किया गया; अब वह धरती से 10 अरब मील दूर हमारे सौर मण्डल के बाहरी किनारे के समीप है। फरवरी 1990 में जब यह यान पृथ्वी से 4 अरब मील की दूरी पर था तब वैज्ञानिकों ने उसके कैमरे को पृथ्वी की ओर घुमाया और पृथ्वी की तसवीरें खींचीं। उन तसवीरों में पृथ्वी रिक्त स्थान के अथाह समुद्र में एक छोटे से नीले बिन्दु के समान दिखाई देती है। कलपना से भी परे सृष्टि के फैलाव में हमारा यह गृह एक बहुत सूक्ष्म कण के समान है। इस विशाल और अपरिमित तारा समूहों के फैलाव में विद्यमान इस सूक्ष्म से कण पर 7 अरब से भी अधिक लोग रहते हैं, जिनमें से एक आप हैं!

   यदि यह तथ्य आपको महत्वहीन अनुभव करवाते हैं तो ज़रा ठहरिए, परमेश्वर के पास आपके लिए एक अच्छी खबर है। परमेश्वर के वचन बाइबल में राजा दाऊद द्वारा लिखे गए भजनों में से एक में वह ऐसी बात कहता है जिसके संदर्भ में आप सितारों की ओर देखकर भी आनन्दित होंगे; दाऊद बताता है कि हम इस महान और विशाल सृष्टि के सृष्टिकर्ता परमेश्वर की नज़रों में अति महत्वपूर्ण और बहुमूल्य हैं: "जब मैं आकाश को, जो तेरे हाथों का कार्य है, और चंद्रमा और तरागण को जो तू ने नियुक्त किए हैं, देखता हूं; तो फिर मनुष्य क्या है कि तू उसका स्मरण रखे, और आदमी क्या है कि तू उसकी सुधि ले?  क्योंकि तू ने उसको परमेश्वर से थोड़ा ही कम बनाया है, और महिमा और प्रताप का मुकुट उसके सिर पर रखा है" (भजन 8:3-5)। दाऊद द्वारा लिखी गई इस बात पर थोड़ा ठहर कर विचार कीजिए; जिस सृष्टि के छोर को मनुष्य द्वारा बनाया कोई यंत्र या दूरबीन देख नहीं पाई, अपने सारे वैज्ञानिक उपकरणों और ज्ञान के बाद भी जिसमें विद्यमान तारा गणों और नक्षत्रों की संख्या का मनुष्य केवल अनुमान मात्र लगा सकता है, गिन नहीं सकता, उस सृष्टि का रचियता परमेश्वर आपको तथा आपके बारे में व्यक्तिगत रीति से खुलासे से जानता है, आपसे लगाव रखता है, आपकी चिंता करता है, आपसे इतना प्रेम करता है कि उसने प्रभु यीशु को स्वर्ग से पृथ्वी पर आपके बदले अपने प्राण बलिदान करने के लिए भेज दिया जिससे आप परमेश्वर के साथ रह सकें। आप अपनी नज़रों में गौण एवं महत्वहीन हो सकते हैं, परमेश्वर की नज़रों में कदापि नहीं।

   परमेश्वर की सृष्टि को अचरज से निहारें, सृष्टि के सृष्टिकर्ता की महिमा करें, उसे धन्यवाद दें क्योंकि उसने आपको प्रभु यीशु में अभिषिक्त हो कर अपने साथ स्वर्ग में रहने का निमंत्रण और मार्ग दिया है। - डेव ब्रैनन


सृष्टि में हम परमेश्वर की सामर्थ और प्रभु यीशु में हम परमेश्वर का प्रेम देखते हैं।

हे यहोवा, मनुष्य क्या है कि तू उसकी सुधि लेता है, या आदमी क्या है, कि तू उसकी कुछ चिन्ता करता है? - भजन 144:3

बाइबल पाठ: भजन 8
Psalms 8:1 हे यहोवा हमारे प्रभु, तेरा नाम सारी पृथ्वी पर क्या ही प्रतापमय है! तू ने अपना वैभव स्वर्ग पर दिखाया है। 
Psalms 8:2 तू ने अपने बैरियों के कारण बच्चों और दूध पिउवों के द्वारा सामर्थ्य की नेव डाली है, ताकि तू शत्रु और पलटा लेने वालों को रोक रखे। 
Psalms 8:3 जब मैं आकाश को, जो तेरे हाथों का कार्य है, और चंद्रमा और तरागण को जो तू ने नियुक्त किए हैं, देखता हूं; 
Psalms 8:4 तो फिर मनुष्य क्या है कि तू उसका स्मरण रखे, और आदमी क्या है कि तू उसकी सुधि ले? 
Psalms 8:5 क्योंकि तू ने उसको परमेश्वर से थोड़ा ही कम बनाया है, और महिमा और प्रताप का मुकुट उसके सिर पर रखा है। 
Psalms 8:6 तू ने उसे अपने हाथों के कार्यों पर प्रभुता दी है; तू ने उसके पांव तले सब कुछ कर दिया है। 
Psalms 8:7 सब भेड़-बकरी और गाय-बैल और जितने वनपशु हैं, 
Psalms 8:8 आकाश के पक्षी और समुद्र की मछलियां, और जितने जीव- जन्तु समुद्रों में चलते फिरते हैं। 
Psalms 8:9 हे यहोवा, हे हमारे प्रभु, तेरा नाम सारी पृथ्वी पर क्या ही प्रतापमय है।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 4-6
  • मरकुस 4:1-20



शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

मिट्टी के बरतन


   जब आप कोई बहुमूल्य आभूषण खरीदते हैं तो उसे एक डब्बे में रखकर आपको दिया जाता है, जिसमें अन्दर किसी गहरे रंग का मखमल लगा होता है। इससे आपका ध्यान डब्बे या मखमल की ओर नहीं वरन उस पृष्ठभूमि में चमक रहे उस सुन्दर आभूषण की ओर जाता है। यदि डब्बे या अन्दर के मखमल को बहुत सजावट के साथ लगाया जाए तो देखने वालों का ध्यान आभूषण से हटकर डब्बे की ओर जा सकता है।

   इससे मुझे प्रेरित पौलुस द्वारा मसीही सेवकाई के विषय में कही गई बात स्मरण आती है; पौलुस ने कुरिन्थ के मसीही विश्वासियों को लिखा, "परन्तु हमारे पास यह धन मिट्ठी के बरतनों में रखा है, कि यह असीम सामर्थ हमारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर ही की ओर से ठहरे" (2 कुरिन्थियों 4:7)। मसीही सेवकाई में कभी कभी इस बात को नज़रन्दाज़ कर देना सहज हो जाता है कि हम मसीही विश्वासी बाहरी "डब्बे" मात्र ही हैं, असली सुन्दरता और मूल्य तो उस प्रभु का है जो हमारे अन्दर रहता है और हम में होकर कार्य करता है। क्योंकि हम इस तथ्य को भूल बैठते हैं इसलिए जब हम किसी को क्षमा कर देते हैं, या किसी पर दया दिखाते हैं, या कोई बड़ा दान करते हैं या मसीही सेवकाई में होने वाली अन्य उपलब्धियों के लिए स्वयं श्रेय लेने लग जाते हैं, अपने लिए महिमा अर्जित करने लग जाते हैं। ऐसा करने से हम उस परमेश्वर प्रभु को जो हमारे अन्दर रहकर और हम में होकर कार्य करता है उसकी महिमा और गौरव से वंचित करते हैं और उसके प्रताप को संसार के सामने प्रकट होने और लोगों को उसकी ओर आकर्षित होने में बाधा बनते हैं।

   जब हम अपने प्रभु यीशु मसीह के लिए कार्य करते हैं, तो उद्देश्य स्वयं श्रेय लेने का नहीं वरन उसे ही सारा आदर, गौरव और महिमा देने का होना चाहिए; जितना हम अपने आप को पीछे और मसीह यीशु को आगे करेंगे, संसार उतनी भली-भांति उसकी महिमा और सामर्थ को जानने पाएगा। हम अपने आप को जितना उसके सामने झुकाते और उसके पीछे छुपाते रहेंगे, प्रभु उतना अधिक हमें आदर का पात्र बनाता जाएगा और उठाता जाएगा। इसीलिए पौलुस लिखता है कि प्रभु रूपी यह धन मिट्टी के बरतन रूपी साधारण से मनुष्यों में रखा गया है, जिससे देखने वाले मिट्टी के बरतन से नहीं वरन उसके अन्दर रखे बहुमूल्य खज़ाने से आकर्षित हों; उस खज़ाने से जो अपनी उपस्थिति से उस मिट्टी के बरतन का मूल्य बढ़ा देता है, वरना सजाए हुई मिट्टी के बरतन की क्या कीमत - रहेगा तो वह मिट्टी का ही। - जो स्टोवैल


अपने जीवन से मसीह यीशु की चमक को दिखाएं।

उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें। - मत्ती 5:16

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 4:7-15
2 Corinthians 4:7 परन्तु हमारे पास यह धन मिट्ठी के बरतनों में रखा है, कि यह असीम सामर्थ हमारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर ही की ओर से ठहरे। 
2 Corinthians 4:8 हम चारों ओर से क्‍लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते। 
2 Corinthians 4:9 सताए तो जाते हैं; पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते। 
2 Corinthians 4:10 हम यीशु की मृत्यु को अपनी देह में हर समय लिये फिरते हैं; कि यीशु का जीवन भी हमारी देह में प्रगट हो। 
2 Corinthians 4:11 क्योंकि हम जीते जी सर्वदा यीशु के कारण मृत्यु के हाथ में सौंपे जाते हैं कि यीशु का जीवन भी हमारे मरनहार शरीर में प्रगट हो। 
2 Corinthians 4:12 सो मृत्यु तो हम पर प्रभाव डालती है और जीवन तुम पर। 
2 Corinthians 4:13 और इसलिये कि हम में वही विश्वास की आत्मा है, (जिस के विषय मे लिखा है, कि मैं ने विश्वास किया, इसलिये मैं बोला) सो हम भी विश्वास करते हैं, इसी लिये बोलते हैं। 
2 Corinthians 4:14 क्योंकि हम जानते हैं, जिसने प्रभु यीशु को जिलाया, वही हमें भी यीशु में भागी जानकर जिलाएगा, और तुम्हारे साथ अपने साम्हने उपस्थित करेगा। 
2 Corinthians 4:15 क्योंकि सब वस्तुएं तुम्हारे लिये हैं, ताकि अनुग्रह बहुतों के द्वारा अधिक हो कर परमेश्वर की महिमा के लिये धन्यवाद भी बढ़ाए।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 1-3
  • मरकुस 3



शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

दिशा-निर्देश


   मैंने अपने साथ की सवारियों से कहा ही था, "चिंता मत कीजिए, मुझे पता है मैं कहाँ हूँ और मार्ग क्या है" कि गाड़ी में एक मशीनी आवाज़ सुनाई देने लगी, "दिशा पुनःनिर्धारण...; दिशा पुनःनिर्धारण..." - अब सब वास्तविकता को जान गए कि मैं मार्ग से भटक चुका था और मुझे सही मार्ग पता नहीं था। आज के समय में इस आवाज़ और इन शब्दों को लाखों गाड़ी चालक जानते-पहचानते हैं। यह आवाज़ एवं सन्देश आता है गाड़ियों में लगे जी.पी.एस. यंत्र से जो गन्तव्य स्थान के अनुसार गाड़ी की स्थिति एवं मार्ग के सही होने पर नज़र रखता है और मार्ग से हटते ही सही मार्ग पर वापस लौट जाने के लिए निर्देश तैयार करके देने लगता है।

   अनेक बार मसीही विश्वासी भी अपने आत्मिक मार्ग से भटक कर, जाने-अनजाने में संसार की ओर बढ़ निकलते हैं। कभी यह इस कारण होता है क्योंकि हम समझते हैं कि हमें सब पता है और अपने अहम में होकर हम किसी की सलाह लेना या मानना उचित नहीं समझते; और कभी यह अनजाने में ही धीरे धीरे सही मार्ग से भटक जाने के कारण होता है। परमेश्वर ने हमें किसी भी परिस्थिती के लिए असहाय नहीं छोड़ा है। उसने सभी मसीही विश्वासियों को अपने पवित्र आत्मा का दान दिया है जो उनमें रहता है (यूहन्ना 14:16-17; 1 कुरिन्थियों 3:16) तथा उन्हें पाप के विषय में कायल करता है (यूहन्ना 16:8, 13)। जब हम परमेश्वर के मार्ग से भटकने लगते हैं तो वह हमारे विवेक को झकझोरता है, हमें पथभ्रष्ट होने की सूचना देता है (गलतियों 5:16-25)। हमारा उसकी चेतावनी को नज़रन्दाज़ करना हमारे लिए नुकसानदायक ही होता है (यशायाह 63:10; गलतियों 6:8)।

   हम मसीही विश्वासियों के लिए यह जानना कितना सांत्वनापूर्ण एवं शान्तिदायक है कि परमेश्वर हमारे जीवनों में कार्यरत है, हमें कभी अकेला या असहाय नहीं छोड़ता और वह अपने पवित्र आत्मा द्वारा सदा हमारा मार्गदर्शन करता रहता है (रोमियों 8:26-27)। परमेश्वर द्वारा दिए जाने वाले इन दिशा-निर्देशों के सहारे हम अपने जीवन को उसे भाते रहने वाले मार्गों पर बनाए रख सकते हैं। - रैन्डी किल्गोर


क्योंकि हमारे अन्दर परमेश्वर का पवित्र-आत्मा निवास करता है इसलिए हम कभी असहाय नहीं होते।

यहोवा भला और सीधा है; इसलिये वह पापियों को अपना मार्ग दिखलाएगा। वह नम्र लोगों को न्याय की शिक्षा देगा, हां वह नम्र लोगों को अपना मार्ग दिखलाएगा। भजन - 25:8-9

बाइबल पाठ: नीतिवचन 3:1-8
Proverbs 3:1 हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा को न भूलना; अपने हृदय में मेरी आज्ञाओं को रखे रहना; 
Proverbs 3:2 क्योंकि ऐसा करने से तेरी आयु बढ़ेगी, और तू अधिक कुशल से रहेगा। 
Proverbs 3:3 कृपा और सच्चाई तुझ से अलग न होने पाएं; वरन उन को अपने गले का हार बनाना, और अपनी हृदय रूपी पटिया पर लिखना। 
Proverbs 3:4 और तू परमेश्वर और मनुष्य दोनों का अनुग्रह पाएगा, तू अति बुद्धिमान होगा।
Proverbs 3:5 तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। 
Proverbs 3:6 उसी को स्मरण कर के सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा। 
Proverbs 3:7 अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना। 
Proverbs 3:8 ऐसा करने से तेरा शरीर भला चंगा, और तेरी हड्डियां पुष्ट रहेंगी।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 26-27
  • मरकुस 2



गुरुवार, 19 फ़रवरी 2015

धैर्य


   सैन फ्रैंसिस्को, कैलिफोर्निया में एक व्यक्ति ने अधीर होकर अपना बड़ा नुकसान कर लिया; रुकी हुई कारों की पंक्ति से निकल कर आगे बढ़ जाने की अधीरता में उसने अपनी गाड़ी सड़क के खाली दिख रहे भाग में डाल दी, किंतु सड़क के उस भाग के पुनःनिर्माण के लिए उसपर हाल ही में सीमेंट की मोटी परत डाली गई थी जिसमें उसकी महंगी कार फंस गई और उसे ना केवल गाड़ी को हुए नुकसान का वरन सड़क खराब करने का तथा नियमों के उल्लंघन का भी हर्जाना भरना पड़ा। अधीरता की कीमत बहुत बड़ी होती है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी एक ऐसे राजा का वर्णन है जिसकी अधीरता उसके राज-पद से हाथ धो बैठने का कारण बन गई। इस्त्राएलियों के पहले राजा शाऊल ने, इस्त्राएलियों के युद्ध में जाने से पहले, परमेश्वर से आशीष प्राप्त करने के लिए उतावली करी। उस समय के परमेश्वर के नबी शमूएल को आकर परमेश्वर के सम्मुख बलिदान करना तथा इस्त्राएलियों को आशीर्वाद देना था, लेकिन जब शमूएल के आने में देर हुई, तो शाऊल ने परमेश्वर की आज्ञा के विरुद्ध स्वयं ही बलिदान चढ़ा दिया। शाऊल ने अधीरता में होकर यह सोच लिया कि वह परमेश्वर के नियमों का उल्लंघन कर सकता है और अनधिकृत रीति से पुरोहित का कार्य भी कर सकता है, और उसके द्वारा करी जा रही इस अनाज्ञाकारिता के कोई गंभीर परिणाम नहीं होंगे। लेकिन शाऊल का सोचना गलत था।

   जब शमूएल आया तो उसने शाऊल द्वारा किए गए कार्य को देखकर उसकी अनाज्ञाकारिता तथा अधिरता के लिए उसे डाँटा, और उसे बता दिया कि वह अपना राजपद खो देगा। शाऊल का परमेश्वर की योजना के परिपक्व होने तक प्रतीक्षा करने में उतावली करना, उसके अधीर होकर गलत कार्य करने का कारण हुआ, जो परमेश्वर के प्रति उसके अपूर्ण विश्वास को दिखाता है। यदि हम परमेश्वर को समर्पित जीवन व्यतीत करते हैं तो परमेश्वर की योजनाओं के लिए धैर्य रखना भी सीखें। जब हम धैर्य एवं समर्पण के साथ परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित रहेंगे, तो वह हमें सर्वोत्त्म तथा सबसे लाभकारी मार्ग और उस मार्ग पर चलने का मार्गदर्शन एवं सामर्थ भी देगा। - मार्विन विलियम्स


धैर्य का अर्थ है परमेश्वर के समय की प्रतीक्षा और उसके प्रेम में विश्वास।

मनुष्य का ज्ञान रहित रहना अच्छा नहीं, और जो उतावली से दौड़ता है वह चूक जाता है। - नीतिवचन 19:2

बाइबल पाठ: 1 शमूएल 13:5-14
1 Samuel 13:5 और पलिश्ती इस्राएल से युद्ध करने के लिये इकट्ठे हो गए, अर्थात तीस हजार रथ, और छ: हजार सवार, और समुद्र के तीर की बालू के किनकों के समान बहुत से लोग इकट्ठे हुए; और बेतावेन के पूर्व की ओर जा कर मिकमाश में छावनी डाली। 
1 Samuel 13:6 जब इस्राएली पुरूषों ने देखा कि हम सकेती में पड़े हैं (और सचमुच लोग संकट में पड़े थे), तब वे लोग गुफाओं, झाड़ियों, चट्टानों, गढिय़ों, और गढ़हों में जा छिपे। 
1 Samuel 13:7 और कितने इब्री यरदन पार हो कर गाद और गिलाद के देशों में चले गए; परन्तु शाऊल गिलगाल ही में रहा, और सब लोग थरथराते हुए उसके पीछे हो लिए।
1 Samuel 13:8 वह शमूएल के ठहराए हुए समय, अर्थात सात दिन तक बाट जोहता रहा; परन्तु शमूएल गिलगाल में न आया, और लोग उसके पास से इधर उधर होने लगे। 
1 Samuel 13:9 तब शाऊल ने कहा, होमबलि और मेलबलि मेरे पास लाओ। तब उसने होमबलि को चढ़ाया। 
1 Samuel 13:10 ज्योंही वह होमबलि को चढ़ा चुका, तो क्या देखता है कि शमूएल आ पहुंचा; और शाऊल उस से मिलने और नमस्कार करने को निकला। 
1 Samuel 13:11 शमूएल ने पूछा, तू ने क्या किया? शाऊल ने कहा, जब मैं ने देखा कि लोग मेरे पास से इधर उधर हो चले हैं, और तू ठहराए हुए दिनों के भीतर नहीं आया, और पलिश्ती मिकमाश में इकट्ठे हुए हैं, 
1 Samuel 13:12 तब मैं ने सोचा कि पलिश्ती गिलगाल में मुझ पर अभी आ पड़ेंगे, और मैं ने यहोवा से बिनती भी नहीं की है; सो मैं ने अपनी इच्छा न रहते भी होमबलि चढ़ाया। 
1 Samuel 13:13 शमूएल ने शाऊल से कहा, तू ने मूर्खता का काम किया है; तू ने अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा को नहीं माना; नहीं तो यहोवा तेरा राज्य इस्राएलियों के ऊपर सदा स्थिर रखता। 
1 Samuel 13:14 परन्तु अब तेरा राज्य बना न रहेगा; यहोवा ने अपने लिये एक ऐसे पुरूष को ढूंढ़ लिया है जो उसके मन के अनुसार है; और यहोवा ने उसी को अपनी प्रजा पर प्रधान होने को ठहराया है, क्योंकि तू ने यहोवा की आज्ञा को नहीं माना।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 25
  • मरकुस 1:23-45



बुधवार, 18 फ़रवरी 2015

बलिदान


   इन दिनों में हम आने वाले ईस्टर के उत्सव के बारे में सोचने लग जाते हैं और मेरा ध्यान प्रभु यीशु द्वारा समस्त मानव जाति के पापों की क्षमा और उद्धार के लिए दिए गए बलिदान की ओर जाता है, जिसके द्वारा मेरा और सभी लोगों का परमेश्वर के साथ मेल-मिलाप होना संभव हो सका। इस बात को समझने के लिए कि प्रभु यीशु को मेरे पापों की क्षमा तथा उद्धार के लिए क्या कुछ बलिदान करना पड़ा, मैं भी अपना एक छोटा बलिदान करती हूँ - उपवास। जब मैं उपवास में उन वस्तुओं का इनकार करती हूँ जो सामान्यतः मुझे अच्छी लगती हैं, तो उन वस्तुओं की प्रत्येक लालसा मुझे स्मरण दिलाती है कि मेरे प्रभु ने मेरे लिए क्या कुछ छोड़ दिया।

   क्योंकि मैं अपने उपवास रूपी बलिदान में सफल रहना चाहती हूँ, इसलिए मैं केवल उन ही वस्तुओं का उपवास रखती हूँ जो मेरे लिए अधिक बड़ा प्रलोभन नहीं हों, लेकिन फिर भी मैं कई बार अपने उपवास में चूक जाती हूँ। इतनी छोटी से बात में भी मेरा असफल रहना मुझे समझाता है कि ईस्टर हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण है - यदि हम अपने ही प्रयासों से सिद्ध या सफल हो सकते तो प्रभु यीशु को हमारे बदले अपना बलिदान देने की कोई आवश्यकता ही नहीं थी; वे केवल निर्देश दे देते और हम कार्य कर लेते!

   प्रभु यीशु के पास एक बहुत धनी युवक आया और अपने भले कार्यों के द्वारा अनन्त जीवन की प्राप्ति का प्रयास करने लगा। प्रभु यीशु ने उससे कहा, कि वह अपने सांसारिक धन को छोड़ कर के स्वर्ग में धन एकत्रित करे; लेकिन उसके लिए यह बलिदान बहुत भारी था और वह निराश होकर लौट गया। प्रभु के चेले यह सब देखकर बड़े विस्मित हुए, तब प्रभु यीशु ने उन्हें समझाया कि मनुष्य अपने आप को कभी ऐसा भला नहीं बना सकता कि पाप से दोषमुक्त हो जाए, "...मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्वर से हो सकता है; क्योंकि परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है" (मरकुस 10:27)।

   उपवास या बलिदान में कुछ छोड़ अथवा त्याग देने से कोई भला नहीं हो जाता; यह तो हमें केवल इस बात को स्मरण करवाता है कि कुछ छोड़ने का आभास कैसा होता है। और उस सर्वसिद्ध एवं सर्वोत्तम परमेश्वर प्रभु यीशु ने सांसारिक ही नहीं वरन स्वर्ग का भी वैभव और सुख भी हमारे लिए छोड़ दिया जिससे कि हम उस पर विश्वास कर के उसके द्वारा स्वर्ग में जाने के योग्य बन सकें। हम पापी मनुष्यों के कमज़ोर तथा अपूर्ण बलिदान नहीं वरन उस उत्तम एवं सिद्ध परमेश्वर का पूर्ण बलिदान ही हमारे पापों की क्षमा और उद्धार को संभव कर सकता है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


प्रभु यीशु ने हमारे बदले अपने प्राण बलिदान कर दिए।

हे प्रभु यहोवा, तू ने बड़े सामर्थ और बढ़ाई हुई भुजा से आकाश और पृथ्वी को बनाया है! तेरे लिये कोई काम कठिन नहीं है। - यर्मियाह 32:17

बाइबल पाठ: मरकुस 10:17-27
Mark 10:17 और जब वह निकलकर मार्ग में जाता था, तो एक मनुष्य उसके पास दौड़ता हुआ आया, और उसके आगे घुटने टेककर उस से पूछा हे उत्तम गुरू, अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिये मैं क्या करूं? 
Mark 10:18 यीशु ने उस से कहा, तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? कोई उत्तम नहीं, केवल एक अर्थात परमेश्वर। 
Mark 10:19 तू आज्ञाओं को तो जानता है; हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, छल न करना, अपने पिता और अपनी माता का आदर करना। 
Mark 10:20 उसने उस से कहा, हे गुरू, इन सब को मैं लड़कपन से मानता आया हूं। 
Mark 10:21 यीशु ने उस पर दृष्टि कर के उस से प्रेम किया, और उस से कहा, तुझ में एक बात की घटी है; जा, जो कुछ तेरा है, उसे बेच कर कंगालों को दे, और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा, और आकर मेरे पीछे हो ले। 
Mark 10:22 इस बात से उसके चेहरे पर उदासी छा गई, और वह शोक करता हुआ चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था। 
Mark 10:23 यीशु ने चारों ओर देखकर अपने चेलों से कहा, धनवानों को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है! 
Mark 10:24 चेले उस की बातों से अचम्भित हुए, इस पर यीशु ने फिर उन को उत्तर दिया, हे बालकों, जो धन पर भरोसा रखते हैं, उन के लिये परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है! 
Mark 10:25 परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊंट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है! 
Mark 10:26 वे बहुत ही चकित हो कर आपस में कहने लगे तो फिर किस का उद्धार हो सकता है? 
Mark 10:27 यीशु ने उन की ओर देखकर कहा, मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्वर से हो सकता है; क्योंकि परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 23-24
  • मरकुस 1:1-22



मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015

सेवकाई एवं गुण


   मेरी कार स्वचलित गियर वाली है - मुझे आवश्यकतानुसार अपने हाथ द्वारा गियर बदलने नहीं पड़ते, गाड़ी में आवश्यकतानुसार स्वयं ही गियर बदलते रहते हैं; इसलिए उसे चलाते समय केवल मेरे दाहिने पैर को ही एक्सलेरटर दबाने या छोड़ने का कार्य करते रहना पड़ता है, मेरे बाएँ पैर का गाड़ी के चलाने में कोई योगदान नहीं होता। यदि मैं यह सोच लूँ कि गाड़ी चलाने में मेरे दाहिने पैर को ही क्यों मेहनत करते रहना पड़े, आधा समय तो बाएँ पैर को भी एक्सलरेटर पर कार्य करना चाहिए - तो आप क्या कहेंगे? अवश्य ही आप मुझे कहेंगे, कृप्या ऐसा करने का प्रयास भी मत कीजिएगा क्योंकि इसके परिणाम अति हानिकारक होंगे!

   यदि हमें अपने शरीर के सभी अंगों में परस्पर समान कार्य-योग्यता एवं क्षमता की आशा नहीं करते, तो फिर अपने प्रभु यीशु के देह अर्थात मसीही विश्वासियों की मण्डली अर्थात चर्च या कलीसिया के सदस्यों में इसकी आशा क्यों करते हैं? ऐसा भी नहीं है कि यह धारणा रखना आज की ही समस्या हो; प्रथम ईसवीं में रोम में स्थित मसीही विश्वासियों की मण्डली में भी यही समस्या देखने में आ रही थी। उस मण्डली के कुछ लोग अपने आप को अन्य लोगों से बेहतर समझने लगे थे क्योंकि वे कुछ ऐसे कार्य कर रहे थे जो अन्य सदस्य नहीं कर रहे थे (रोमियों 12:3)। प्रेरित पौलुस ने उन्हें लिखी अपनी पत्री में देह के उदाहरण द्वारा समझाया कि जैसे शरीर में सभी अंगों का समान कार्य नहीं होता है, वैसे ही देह के प्रत्येक अंग का भी समान कार्य नहीं होता है, किंतु देह के सुचारू रीति से कार्य करने के लिए यह आवश्यक है कि सभी अंग परस्पर मिल कर और एक दूसरे के पूरक होकर अपने अपने निर्धारित कार्य भली-भांति करते रहें।

   इसी प्रकार मसीही विश्वासियों की मण्डली, अर्थात चर्च या कलीसिया में भी परमेश्वर ने सभी सदस्यों को अलग अलग कार्य तथा उन कार्यों को करने के लिए अलग अलग गुण दीए हैं। ये सभी गुण किसी के निज उन्नति के प्रयोग के लिए नहीं वरन मिलजुल कर मण्डली की उन्नति के लिए कार्य करने को हैं। जब सभी सदस्य अपनी अपनी ज़िम्मेदारी भली-भांति निभाएंगे तब ही मसीह की देह उन्नति पाएगी। इसलिए हमें यह नहीं देखना है कि कौन कितना और कैसा कार्य कर रहा है, वरन इस बात का ध्यान रखना है कि हम अपने कार्य को भली-भांति कर रहे हैं या नहीं, परमेश्वर द्वारा गिए गए गुणों का सही प्रयोग कर रहे हैं या नहीं।

   दूसरों की ओर नहीं वरन अपने अन्दर दृष्टि डालें और जाँचें कि परमेश्वर द्वारा आपको दी गई सेवकाई एवं गुणों का आप कैसा उपयोग कर रहे हैं; आप मसीही मण्डली की उन्नति में सहयोगी हैं या आपके कारण मण्डली की उन्नति बाधित हो रही है? - सी. पी. हिया


परमेश्वर के कार्यों में हम सब एक ही सेवा तो नहीं कर सकते, किंतु सुनिश्चित रखें कि हम सब परस्पर तालमेल के साथ एक ही उद्देश्य की पूर्ति के लिए कार्य करते रहें।

इसलिये तुम भी जब आत्मिक वरदानों की धुन में हो, तो ऐसा प्रयत्न करो, कि तुम्हारे वरदानों की उन्नति से कलीसिया की उन्नति हो। - 1 कुरिन्थियों 14:12

बाइबल पाठ: रोमियों 12:3-13
Romans 12:3 क्योंकि मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूं, कि जैसा समझना चाहिए, उस से बढ़कर कोई भी अपने आप को न समझे पर जैसा परमेश्वर ने हर एक को परिमाण के अनुसार बांट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे। 
Romans 12:4 क्योंकि जैसे हमारी एक देह में बहुत से अंग हैं, और सब अंगों का एक ही सा काम नहीं। 
Romans 12:5 वैसा ही हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह हो कर आपस में एक दूसरे के अंग हैं। 
Romans 12:6 और जब कि उस अनुग्रह के अनुसार जो हमें दिया गया है, हमें भिन्न भिन्न वरदान मिले हैं, तो जिस को भविष्यद्वाणी का दान मिला हो, वह विश्वास के परिमाण के अनुसार भविष्यद्वाणी करे। 
Romans 12:7 यदि सेवा करने का दान मिला हो, तो सेवा में लगा रहे, यदि कोई सिखाने वाला हो, तो सिखाने में लगा रहे। 
Romans 12:8 जो उपदेशक हो, वह उपदेश देने में लगा रहे; दान देनेवाला उदारता से दे, जो अगुआई करे, वह उत्साह से करे, जो दया करे, वह हर्ष से करे। 
Romans 12:9 प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई में लगे रहो। 
Romans 12:10 भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो। 
Romans 12:11 प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो। 
Romans 12:12 आशा में आनन्दित रहो; क्लेश में स्थिर रहो; प्रार्थना में नित्य लगे रहो। 
Romans 12:13 पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई करने में लगे रहो।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 21-22
  • मत्ती 28



सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

दिशा तथा मार्गदर्शन


   मेरी प्रवृति है अपने ही निराधारित तरीकों में होकर कार्य करने की, इसलिए जो कुछ भी मुझे मेरी दिनचर्या या योजनाओं से अलग दिशा में ले जाता है, उससे मुझे बड़ी खीज होती है। इससे भी बदतर तब होता है जब जीवन की बदलती हुई दिशाओं का सामना करना पड़ता है, तब मैं अपने आप को बहुत अस्थिर अनुभव करता हूँ, जो मेरे लिए बड़ा कष्टदायी होता है। लेकिन परमेश्वर, जिसने कहा, "...मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है" (यशायाह 55:8), यह जानता है कि उसे हमारे जीवनों की दिशा में परिवर्तन लाने की आवश्यकता रहती है, जिससे हम अपने पूर्व निर्धारित मार्ग से हट सकें और वह हमारे जीवनों को अधिक बेहतर बना सके।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के कुछ प्रमुख पात्रों के जीवन को देखिए - यूसुफ के बारे में विचार कीजिए, परमेश्वर ने उसे अपने परिवार से निकाले जाकर मिस्त्र में जाने दिया जिससे वह आते समय में लोगों तथा अपने परिवार को भयानक अकाल से बचा सके, तथा स्वयं भी एक ऐसे पद पर पहुँच सके जिस तक स्वयं अपनी सामर्थ से पहुँचने की कल्पना भी उसके लिए कर पाना असंभव था। मूसा को देखिए, उसे शिशु अवस्था में ही गुलामों के घर से निकालकर पहले राजा के महल में परवरिश के लिए पहुँचाया, और फिर उस राज महल से निकालकर बियाबान में रहने के लिए भेजा दिया, जहाँ परमेश्वर ने उसे दर्शन दिए और उसे नियुक्त किया कि वह परमेश्वर के लोगों को मिस्त्र के दासत्व से निकालकर वाचा किए हुए देश ले कर जाए, तथा परमेश्वर के वचन को लिखित रूप में लोगों को दे। यूसुफ और मरियम के बारे में सोचिए, जिनके जीवन में परमेश्वर के स्वर्गदूत ने एक बड़े अप्रत्याशित और सारे संसार को प्रभावित करने वाले दिशा परिवर्तन की सूचना दी। स्वर्गदूत ने मरियम से कहा कि वह गर्भवती होगी और संसार के उद्धारकर्ता को जन्म देगी और यूसुफ से कहा कि गर्भवती दशा में भी मरियम को अपने घर लाने से ना घबराए, और होने वाले बच्चे के लिए कहा कि, "वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा" (मत्ती 1:21); और यूसुफ ने ऐसा ही किया (पद 25)। इसके बाद जो हुआ और हो रहा है, वह अद्भुत इतिहास है।

   हम परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं कि उसने हमारे लिए अद्भुत योजनाएं बनाई हैं; वह हमारा सृष्टिकर्ता है, हमसे प्रेम करता है, हमें विनाश में नहीं वरन अपने साथ आशीष में देखना चाहता है। उसकी योजनाओं पर कुड़कुड़ाएं नहीं, वरन उसे समर्पित जीवन व्यतीत करें, उसके द्वारा जीवन को दी जाने वाली दिशा तथा मार्गदर्शन को स्वीकार करें। - जो स्टोवैल


परमेश्वर को अपने जीवन मार्गों को निर्देशित, पुनःनिर्देशित करते रहने दीजिए।

क्योंकि जिन्हें उसने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे। - रोमियों 8:29

बाइबल पाठ: मत्ती 1:18-25
Matthew 1:18 अब यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उस की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उन के इकट्ठे होने के पहिले से वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई। 
Matthew 1:19 सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की। 
Matthew 1:20 जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्‍वप्‍न में दिखाई देकर कहने लगा; हे यूसुफ दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्‍नी मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर; क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। 
Matthew 1:21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा। 
Matthew 1:22 यह सब कुछ इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था; वह पूरा हो। 
Matthew 1:23 कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिस का अर्थ यह है “ परमेश्वर हमारे साथ”। 
Matthew 1:24 सो यूसुफ नींद से जागकर प्रभु के दूत की आज्ञा अनुसार अपनी पत्‍नी को अपने यहां ले आया। 
Matthew 1:25 और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया: और उसने उसका नाम यीशु रखा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 6-7
  • मत्ती 25:1-30



रविवार, 15 फ़रवरी 2015

प्रार्थना


   इतने वर्षों के बाद भी मैं प्रार्थना को पूरी रीति से समझ नहीं पाया हूँ; मेरे लिए यह अभी भी एक रहस्य ही है। जब हम किसी अत्याधिक आवश्यकता की स्थिति में होते हैं तो प्रार्थना स्वाभाविक रीति से हमारे हृदय की गहराईयों से, हमारे होठों से निकलने लगती है। जब हम किसी बात से बहुत डर जाते हैं, जब हमें हमारी सहने की सीमाओं से परे धकले जाने के प्रयास होते हैं, जब हम अपने आरामदायक जीवन से हिलाए जाते हैं, जब हम खतरों का आभास करते हैं, ऐसी और इनके जैसी अन्य परिस्थितियों में हमारी स्वाभाविक प्रतिक्रिया परमेश्वर को सहायता के लिए पुकारने की होती है।

   लेखक यूजीन पीटरसन ने लिखा, "प्रार्थना की भाषा परेशानियों की भट्टी में तैयार होती है। जब हम असहाय होते हैं और हमें सहायता चाहिए होती है; जब हम अनचाहे स्थान पर होते हैं और बाहर निकलने का मार्ग चाहिए होता है; जब हम अपने आप से परेशान होते हैं और अपने अन्दर परिवर्तन चाहते हैं, तब हम बहुत साधारण तथा आधारभूत भाषा का प्रयोग करते हैं और यही प्रार्थना की भाषा बन जाती है।"

   प्रार्थना परेशानियों में आरंभ होती है, और क्योंकि हम किसी ना किसी रूप में परेशानियों में सदा ही बने रहते हैं, इसलिए प्रार्थना भी हमारे जीवनों में बनी रहती है। प्रार्थना के लिए ना तो कोई विशेष तैयारी चाहिए होती है, ना ही कोई निर्धारित शब्दावली और ना ही शरीर की कोई निश्चित मुद्रा अथवा आसन। प्रार्थना हमारे अन्दर से हमारी आवश्यकतानुसार निकलती है, और समय के साथ हमारी प्रत्येक परिस्थिति - भली या बुरी के लिए, हमारी आदत बन जाती है।

   लेकिन हमारे लिए सबसे अद्भुत और सांत्वनापूर्ण बात है कि हमारे परमेश्वर पिता ने हमें खूली छूट दी है कि हम अपने प्रत्येक बात को प्रभु यीशु में होकर उसके सामने प्रार्थना में रखें और वह हमारी हर प्रार्थना को सुनने और उत्तर देने के लिए सदा तैया रहता है; इसलिए चाहे मैं प्रार्थना को पूरी रीति से ना भी समझूँ तो भी प्रार्थना का यथासंभव उपयोग करने से मैं नहीं चूकता। - डेविड रोपर


परमेश्वर की सहायता केवल एक प्रार्थना भर की दूरी पर उपलब्ध है।

किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी। - फिलिप्पियों 4:6-7

बाइबल पाठ: भजन 142
Psalms 142:1 मैं यहोवा की दोहाई देता, मैं यहोवा से गिड़गिड़ाता हूं, 
Psalms 142:2 मैं अपने शोक की बातें उस से खोल कर कहता, मैं अपना संकट उस के आगे प्रगट करता हूं। 
Psalms 142:3 जब मेरी आत्मा मेरे भीतर से व्याकुल हो रही थी, तब तू मेरी दशा को जानता था! जिस रास्ते से मैं जाने वाला था, उसी में उन्होंने मेरे लिये फन्दा लगाया। 
Psalms 142:4 मैं ने दाहिनी ओर देखा, परन्तु कोई मुझे नहीं देखता है। मेरे लिये शरण कहीं नहीं रही, न मुझ को कोई पूछता है।
Psalms 142:5 हे यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी है; मैं ने कहा, तू मेरा शरणस्थान है, मेरे जीते जी तू मेरा भाग है। 
Psalms 142:6 मेरी चिल्लाहट को ध्यान देकर सुन, क्योंकि मेरी बड़ी दुर्दशा हो गई है! जो मेरे पीछे पड़े हैं, उन से मुझे बचा ले; क्योंकि वे मुझ से अधिक सामर्थी हैं। 
Psalms 142:7 मुझ को बन्दीगृह से निकाल कि मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूं! धर्मी लोग मेरे चारों ओर आएंगे; क्योंकि तू मेरा उपकार करेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 17-18
  • मत्ती 27:27-50



शनिवार, 14 फ़रवरी 2015

मूल्य


   परमेश्वर के वचन बाइबल में एक घटना है, याकूब के विवाह की। याकूब अपने मामा लाबान के यहाँ रहता और कार्य करता था, और लाबान की छोटी बेटी राहेल से प्रेम करता था। याकूब ने लाबान से राहेल का हाथ माँगा तो लाबान ने स्वीकार कर लिया, लेकिन शादी के समय राहेल के स्थान पर उसकी बड़ी बहिन लियाह को, जो आँखों से कमज़ोर थी, याकूब को दे दिया। शादी की रात याकूब ने लियाह के साथ यह समझते हुए बिताई कि वह राहेल के साथ है, लेकिन दिन निकलने पर उसे पता पड़ा कि उसके साथ धोखा हुआ है। अब अपनी प्रेमिका को पाने के लिए याकूब को लाबान के साथ एक और समझौते में पड़ना पड़ा। लाबान ने लियाह को याकूब से ब्याह तो दिया लेकिन वह लियाह से याकूब को सच्चा प्रेम करवाने में असफल रहा, याकूब सदा ही लियाह से कम और राहेल से अधिक प्रेम करता रहा।

   लियाह द्वारा अपने आप को याकूब की नज़रों में "दूसरे दर्जे" का होना का आभास सदा ही होता रहा। इस बात का एहसास हमें होता है लियाह द्वारा अपने पहले तीन पुत्रों को दिए गए नामों के द्वारा। उसने अपने सबसे पहले पुत्र का नाम रखा रूबेन जिसका अर्थ है "देखो, एक पुत्र"; फिर दूसरे पुत्र का नाम रखा शिमौन जिसका अर्थ है "सुन लेना" और तीसरे पुत्र का नाम रखा लेवी जिसका अर्थ है "मिलाना"; जबकि राहेल जिससे याकूब प्रेम रखता था बाँझ ही रही। अपने हर पुत्र के जन्म के साथ लियाह को आशा होती थी कि उसका पति अब उसे प्रेम करने लगेगा, अपने पुत्रों में होकर वह अपने पति के प्रेम को पाना चाहती थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, और समय के साथ लियाह की आशा भी बदलने लगी, उसे अब एहसास होने लगा कि चाहे उसका पति उससे प्रेम ना भी करे तौ भी परमेश्वर उससे प्रेम करता है और उसे आशीष दे रहा है, और परमेश्वर के प्रेम को पाने के लिए उसे अपने किसी प्रयास के करने की आवश्यकता नहीं है - वह पहले से ही उससे प्रेम करता आ रहा है, इसलिए उसने अपने चौथे पुत्र का नाम रखा यहूदा जिसका अर्थ है "उत्सव मनाना"।

   यही बात हम सभी के लिए भी ऐसी ही लागू है - हम परमेश्वर के प्रेम को "कमा" नहीं सकते क्योंकि हमारे प्रति उसका प्रेम हमारे किए किसी कार्य पर निर्भर नहीं है। परमेश्वर ने हमसे हमारे पाप की दशा में होने पर भी प्रेम किया, इतना प्रेम कि हमारे लिए अपने एकलौते पुत्र प्रभु यीशु मसीह को बलिदान होने संसार में भेजा, जिससे उसके साथ हमारे मेल-मिलाप का रास्ता बन जाए (रोमियों 5:8)। परमेश्वर की नज़रों में हमारा मूल्य बहुत है, हम "दूसरे दर्जे" के नहीं हैं; वह हमारे साथ रहना चाहता है, संगति करना चाहता है, अपने साथ स्वर्ग में रखना चाहता है। क्या आप उसके द्वारा इस प्रकार मूल्यवान आंके जाने को महत्व देंगे? - सिंडी हैस कैस्पर


प्रभु यीशु के क्रूस पर दिए गए बलिदान से बढ़कर हम मनुष्यों के प्रति परमेश्वर के प्रेम को और कुछ वर्णन नहीं कर सकता।

परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। - रोमियों 5:8

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 29:16-35
Genesis 29:16 लाबान के दो बेटियां थी, जिन में से बड़ी का नाम लिआ: और छोटी का राहेल था। 
Genesis 29:17 लिआ: के तो धुन्धली आंखे थी, पर राहेल रूपवती और सुन्दर थी। 
Genesis 29:18 सो याकूब ने, जो राहेल से प्रीति रखता था, कहा, मैं तेरी छोटी बेटी राहेल के लिये सात बरस तेरी सेवा करूंगा। 
Genesis 29:19 लाबान ने कहा, उसे पराए पुरूष को देने से तुझ को देना उत्तम होगा; सो मेरे पास रह। 
Genesis 29:20 सो याकूब ने राहेल के लिये सात बरस सेवा की; और वे उसको राहेल की प्रीति के कारण थोड़े ही दिनों के बराबर जान पड़े। 
Genesis 29:21 तब याकूब ने लाबान से कहा, मेरी पत्नी मुझे दे, और मैं उसके पास जाऊंगा, क्योंकि मेरा समय पूरा हो गया है। 
Genesis 29:22 सो लाबान ने उस स्थान के सब मनुष्यों को बुला कर इकट्ठा किया, और उनकी जेवनार की। 
Genesis 29:23 सांझ के समय वह अपनी बेटी लिआ: को याकूब के पास ले गया, और वह उसके पास गया। 
Genesis 29:24 और लाबान ने अपनी बेटी लिआ: को उसकी लौंडी होने के लिये अपनी लौंडी जिल्पा दी। 
Genesis 29:25 भोर को मालूम हुआ कि यह तो लिआ है, सो उसने लाबान से कहा यह तू ने मुझ से क्या किया है? मैं ने तेरे साथ रहकर जो तेरी सेवा की, सो क्या राहेल के लिये नहीं की? फिर तू ने मुझ से क्यों ऐसा छल किया है? 
Genesis 29:26 लाबान ने कहा, हमारे यहां ऐसी रीति नहीं, कि जेठी से पहिले दूसरी का विवाह कर दें। 
Genesis 29:27 इसका सप्ताह तो पूरा कर; फिर दूसरी भी तुझे उस सेवा के लिये मिलेगी जो तू मेरे साथ रह कर और सात वर्ष तक करेगा। 
Genesis 29:28 सो याकूब ने ऐसा ही किया, और लिआ: के सप्ताह को पूरा किया; तब लाबान ने उसे अपनी बेटी राहेल को भी दिया, कि वह उसकी पत्नी हो। 
Genesis 29:29 और लाबान ने अपनी बेटी राहेल की लौंडी होने के लिये अपनी लौंडी बिल्हा को दिया। 
Genesis 29:30 तब याकूब राहेल के पास भी गया, और उसकी प्रीति लिआ: से अधिक उसी पर हुई, और उसने लाबान के साथ रहकर सात वर्ष और उसकी सेवा की। 
Genesis 29:31 जब यहोवा ने देखा, कि लिआ: अप्रिय हुई, तब उसने उसकी कोख खोली, पर राहेल बांझ रही। 
Genesis 29:32 सो लिआ: गर्भवती हुई, और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ, और उसने यह कहकर उसका नाम रूबेन रखा, कि यहोवा ने मेरे दु:ख पर दृष्टि की है: सो अब मेरा पति मुझ से प्रीति रखेगा। 
Genesis 29:33 फिर वह गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ; और उसने यह कहा कि यह सुनके, कि मैं अप्रिय हूं यहोवा ने मुझे यह भी पुत्र दिया: इसलिये उसने उसका नाम शिमोन रखा। 
Genesis 29:34 फिर वह गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ; और उसने कहा, अब की बार तो मेरा पति मुझ से मिल जाएगा, क्योंकि उस से मेरे तीन पुत्र उत्पन्न हुए: इसलिये उसका नाम लेवी रखा गया। 
Genesis 29:35 और फिर वह गर्भवती हुई और उसके एक और पुत्र उत्पन्न हुआ; और उसने कहा, अब की बार तो मैं यहोवा का धन्यवाद करूंगी, इसलिये उसने उसका नाम यहूदा रखा; तब उसकी कोख बन्द हो गई।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 15-16
  • मत्ती 27:1-26



शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

प्रदर्शन


   दो दशकों से वैज्ञानिक माईक हैण्ड्स मध्य अमेरिका के किसानों को किसानी करने के बेहतर तरीकों और अच्छी फसल प्राप्त करने के उपायों को सिखा रहे हैं। लेकिन उन किसानों द्वारा पारंपरिक तरीकों को त्यागकर नए तरीकों को अपनाना कठिन होता है, यद्यपि वे किसान यह समझते हैं कि उनके पारंपरिक तरीके मिट्टी को कम उपजाऊ और वायु को दूषित कर देने वाले हैं। इसलिए माईक उन्हें केवल करने के लिए कहते ही नहीं हैं, परन्तु अपनी कही बात को उनके सामने एक वृतचित्र द्वारा प्रदर्षित भी करते हैं। माईक का कहना है कि सुधारने के लिए केवल प्रचार करने या उसका वर्णन कर देने के द्वारा ही काम नहीं चलता है, उस बात को लोगों के सामने प्रदर्षित भी करना होता है, लोगों को उसे अपने हाथों द्वारा देखना और अनुभव भी करना होता है।

   प्रेरित पौलुस ने भी प्रभु यीशु में विश्वास द्वारा समस्त संसार के सभी लोगों के लिए उपलब्ध पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार के सन्देश के प्रसार के लिए यही विधि अपनाई थी। पौलुस ने कुरिन्थुस के मसीही विश्वासियों को लिखा: "और मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभाने वाली बातें नहीं; परन्तु आत्मा और सामर्थ का प्रमाण था। इसलिये कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो" (1 कुरिन्थियों 2:4-5)। और आगे चलकर पौलुस ने फिर लिखा, "क्योंकि परमेश्वर का राज्य बातों में नहीं, परन्तु सामर्थ में है" (1 कुरिन्थियों 4:20)।

   परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए कि वह प्रतिदिन आपके शब्दों को आपके जीवन में प्रदर्शित करवा कर उन्हें आपके संपर्क में आने वाले लोगों के लिए सार्थक एवं प्रभावी बना दे। जब हम संसार के सामने परमेश्वर को हम में होकर कार्य करता हुआ दिखाने के लिए तैयार होते हैं, तो यह उसके अनुग्रह और सामर्थ का अभूतपूर्व प्रदर्शन तथा बहुत प्रभावी गवाही होता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


सार्थक होने के लिए हमारे शब्दों को उनके अनुरूप हमारी क्रियाओं का समर्थन अनिवार्य है।

क्योंकि हमारा सुसमाचार तुम्हारे पास न केवल वचन मात्र ही में वरन सामर्थ और पवित्र आत्मा, और बड़े निश्‍चय के साथ पहुंचा है; जैसा तुम जानते हो, कि हम तुम्हारे लिये तुम में कैसे बन गए थे। - 1 थिस्सलुनीकियों 1:5

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 2:1-5
1 Corinthians 2:1 और हे भाइयों, जब मैं परमेश्वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया। 
1 Corinthians 2:2 क्योंकि मैं ने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह, वरन क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूं। 
1 Corinthians 2:3 और मैं निर्बलता और भय के साथ, और बहुत थरथराता हुआ तुम्हारे साथ रहा। 
1 Corinthians 2:4 और मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभाने वाली बातें नहीं; परन्तु आत्मा और सामर्थ का प्रमाण था। 
1 Corinthians 2:5 इसलिये कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 14
  • मत्ती 26:51-75



गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

निमंत्रण


   कुछ महीने पहले की बात है, मुझे किसी कार्य के लिए वायु-यान द्वारा आना और जाना पड़ा। लौटते समय मुझे अचरज भी हुआ और अच्छा भी लगा कि मुझे जो सीट मिली थी उसके आगे पैर फैलाने के लिए काफी स्थान था, साथ ही मेरे पास वाली सीट खाली थी, इसलिए मैं हाथ भी फैला कर भी बैठ सकता था; कुल मिलाकर सब अच्छा और आरामदायक था, क्योंकि मुझे सीमित से स्थान में फंस कर बैठे रहने की आवश्यकता नहीं थी। अपने आराम के बारे में सोचने के साथ ही मुझे उन अन्य यात्रियों को हो रही असुविधा का भी ध्यान आया जिनके पास मेरे समान सुविधाजनक सीट नहीं थी। मैंने अपनी दृष्टि घुमाकर देखा और मुझे कुछ अपनी जान-पहचान के लोग दिखाई दिए; मैंने उन्हें निमंत्रण दिया कि वे आकर मेरे पास वाली सीट पर बैठ जाएं, लेकिन आश्चर्य हुआ जब किसी ने मेरा निमंत्रण स्वीकार नहीं किया और किसी ना किसी कारण से वे अपनी ही असुविधापूर्ण सीट पर बैठे रहने में संतुष्ट थे।

   हम मसीही विश्वासियों को एक और भी अति आवश्यक निमंत्रण संसार के लोगों को देना है - प्रभु यीशु में विश्वास लाने के द्वारा हमें प्राप्त हुई पापों की क्षमा, उद्धार और अनन्त जीवन में संभागी होने का निमंत्रण, जिसे कुछ तो स्वीकार कर लेंगे, और कुछ नहीं करेंगे। परमेश्वर के वचन बाइबल में यूहन्ना 1:40 में हम लिखा पाते हैं कि जब अन्द्रियास ने प्रभु यीशु के पीछे चलने का निर्णय लिया, तो उसने तुरंत ही अपने भाई शमौन को भी निमंत्रण दिया कि वह भी जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के पीछे हो ले (पद 41)। प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों के समक्ष जीवन का नया और अद्भुत प्रस्ताव रखा था, कि वे उसे जानें और उसके साथ एक नए तथा आशीषमय जीवन का आनन्द लें।

   प्रभु यीशु में जो आशीषें तथा प्रतिज्ञाएं तब अन्द्रियास एवं शमौन को उपलब्ध थीं, वे आज भी सभी मसीही विश्वासियों के लिए वैसे ही उपलब्ध हैं:
  • उसकी क्षमा, अनुग्रह एवं धर्मी ठहराया जाना (रोमियों 3:24)
  • उसकी सहायता और सुरक्षा (इब्रानियों 13:5)
  • उसकी आशा (रोमियों 15:13)
  • उसकी शांति (यूहन्ना 14:27)
  • उसके साथ अनन्तकाल का जीवन (1 थिस्सलुनीकियों 4:17)

   प्रभु यीशु का यह निमंत्रण किसी धर्म या जाति विशेष के लिए नहीं वरन संसार के सभी लोगों के लिए है। क्या आप उसके निमंत्रण को स्वीकार करके अपने जीवन को सुनिश्चित करेंगे? - ऐनी सेटास


संसार को दिखाएं कि मसीह यीशु ने आपके लिए क्या किया है, और संसार जान लेगा कि प्रभु यीशु संसार के लिए क्या कर सकता है।

यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं। - मत्ती 28:18-20

बाइबल पाठ: यूहन्ना 1:35-42
John 1:35 दूसरे दिन फिर यूहन्ना और उसके चेलों में से दो जन खड़े हुए थे। 
John 1:36 और उसने यीशु पर जो जा रहा था दृष्टि कर के कहा, देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है। 
John 1:37 तब वे दोनों चेले उस की यह सुनकर यीशु के पीछे हो लिए। 
John 1:38 यीशु ने फिरकर और उन को पीछे आते देखकर उन से कहा, तुम किस की खोज में हो? उन्होंने उस से कहा, हे रब्बी, अर्थात (हे गुरू) तू कहां रहता है? उसने उन से कहा, चलो, तो देख लोगे। 
John 1:39 तब उन्होंने आकर उसके रहने का स्थान देखा, और उस दिन उसी के साथ रहे; और यह दसवें घंटे के लगभग था। 
John 1:40 उन दोनों में से जो यूहन्ना की बात सुनकर यीशु के पीछे हो लिये थे, एक तो शमौन पतरस का भाई अन्द्रियास था। 
John 1:41 उसने पहिले अपने सगे भाई शमौन से मिलकर उस से कहा, कि हम को ख्रिस्तुस अर्थात मसीह मिल गया। 
John 1:42 वह उसे यीशु के पास लाया: यीशु ने उस पर दृष्टि कर के कहा, कि तू यूहन्ना का पुत्र शमौन है, तू केफा, अर्थात पतरस कहलाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 13
  • मत्ती 26:26-50



बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

आवश्यक तथा महत्वपूर्ण



   एक विनाशकारी बवंडर द्वारा मचाई गई तबाही के बाद एक व्यक्ति अपने टूटे हुए घर के बाहर खड़ा हुआ घर तथा आस-पास के हाल का अवलोकन कर रहा था। घर की दशा जर्जर हो चुकी थी, अन्दर सामान टूटा-बिखरा पड़ा था और उसी टूटे-बिखरे सामान में कहीं उसकी पत्नि के गहने तथा उसकी अपनी कीमती वस्तुएं भी थीं। लेकिन वह व्यक्ति उस टूटे और कमज़ोर पड़ गए घर के अन्दर जाकर उन्हें ढूँढ़ने का कोई प्रयास नहीं कर रहा था; उसका कहना था, "वे सब जान का जोखिम उठाने लायक आवश्यक तथा महत्वपूर्ण नहीं हैं।" जब संकट होता है तब जीवन के लिए आवश्यक तथा महत्वपूर्ण का आंकलन करने का हमारा दृष्टिकोण बदल जाता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 90, जो मूसा की प्रार्थना है, परमेश्वर का जन मूसा जीवन पर आरंभ से अंत तक दृष्टि करता है। जीवन के संक्षिप्त होने, तथा पाप के कारण परमेश्वर के क्रोधित होने को ध्यान में रखते हुए मूसा परमेश्वर से प्रार्थना करता है: "हम को अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएं" (भजन 90:12)। आगे मूसा परमेश्वर से दया तथा करुणा करने की विनती करता है और अपनी प्रार्थना का अन्त भविष्य में परमेश्वर के अनुग्रह और कार्यों पर उसकी आशीष के बने रहने को माँगने के साथ करता है।

   मूसा के समान ही हमारी भी परमेश्वर से यह प्रार्थना होनी चाहिए कि हम अपने जीवन के विषय में बुद्धिमान हो जाएं। एक दिन तो हमें परमेश्वर के सामने खड़े होकर अपने जीवन तथा कार्यों का हिसाब देना ही है। इसलिए आज भी यह बात हमारे लिए उतनी ही महत्वपूर्ण तथा आवश्यक है - क्योंकि हमारे जीवन के दिन गिने हुए हैं, थोड़े हैं इसलिए उनका सदुपयोग करने की समझ रखना हमारे लिए अति आवश्यक है। - डेविड मैक्कैसलैंड


हमारे गिने हुए दिन क्या हमें परमेश्वर तथा उसके प्रेम पर विचार करने को प्रेरित करते हैं?

हे यहोवा ऐसा कर कि मेरा अन्त मुझे मालुम हो जाए, और यह भी कि मेरी आयु के दिन कितने हैं; जिस से मैं जान लूं कि कैसा अनित्य हूं! - भजन 39:4

बाइबल पाठ: भजन 90:7-17
Psalms 90:7 क्योंकि हम तेरे क्रोध से नाश हुए हैं; और तेरी जलजलाहट से घबरा गए हैं। 
Psalms 90:8 तू ने हमारे अधर्म के कामों से अपने सम्मुख, और हमारे छिपे हुए पापों को अपने मुख की ज्योति में रखा है।
Psalms 90:9 क्योंकि हमारे सब दिन तेरे क्रोध में बीत जाते हैं, हम अपने वर्ष शब्द की नाईं बिताते हैं। 
Psalms 90:10 हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे बल के कारण अस्सी वर्ष के भी हो जाएं, तौभी उनका घमण्ड केवल नष्ट और शोक ही शोक है; क्योंकि वह जल्दी कट जाती है, और हम जाते रहते हैं। 
Psalms 90:11 तेरे क्रोध की शक्ति को और तेरे भय के योग्य तेरे रोष को कौन समझता है? 
Psalms 90:12 हम को अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएं। 
Psalms 90:13 हे यहोवा लौट आ! कब तक? और अपने दासों पर तरस खा! 
Psalms 90:14 भोर को हमें अपनी करूणा से तृप्त कर, कि हम जीवन भर जयजयकार और आनन्द करते रहें। 
Psalms 90:15 जितने दिन तू हमें दु:ख देता आया, और जितने वर्ष हम क्लेश भोगते आए हैं उतने ही वर्ष हम को आनन्द दे। 
Psalms 90:16 तेरा काम तेरे दासों को, और तेरा प्रताप उनकी सन्तान पर प्रगट हो। 
Psalms 90:17 और हमारे परमेश्वर यहोवा की मनोहरता हम पर प्रगट हो, तू हमारे हाथों का काम हमारे लिये दृढ़ कर, हमारे हाथों के काम को दृढ़ कर।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 11-12
  • मत्ती 26:1-31



मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

आग


   प्राचीन काल में यूनानी साम्राज्य के समय, युद्ध में दुशमनों के नाश के लिए एक विशेष रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से उनपर आग बरसायी जाती; इस आग को "यूनानी आग" कहा जाता था, और इसका विकास 672 ईसवीं में हुआ था। यह बहुत विनाशक हुआ करती थी क्योंकि यह पानी पर भी जलती रहती थी इसलिए समुद्री युद्ध में बड़ी सफलता से प्रयोग करी जाती थी। इसका रासायनिक सूत्र बहुत गुप्त रखा गया था, और अन्ततः कहीं इतिहास के पन्नों में दबकर ही रह गया। आज भी शोधकर्ता उसे बनाने की विधि को खोजने के प्रयास तो कर रहे हैं, परन्तु अभी तक असफल नहीं रहे हैं।

   संसार को आज चाहे "यूनानी आग" के बारे में पता ना हो लेकिन अनेक अन्य प्रकार की आग हैं जिनका प्रभाव कुछ कम विनाशकारी नहीं है। ऐसी ही एक विनाशकारी, आग जो ना तो रहस्यमय है और ना ही अनजानी है, तथा दुर्भाग्यवश मसीही विश्वासियों में पाई भी जाती है शब्दों या वचनों की आग। परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने इस आग के विषय में लिखा: "जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है" (याकूब 3:6)। ये कठोर शब्द हमें ध्यान करवाते हैं कि बिना विचारे कहे गए शब्द कितने नाशकारी हो सकते हैं।

   ऐसी "आग" को, जो रिश्तों को जला सकती है, परिवारों को तोड़ सकती है, मण्डलियों में फूट डाल सकती है, अपने मूँह से निकलने देने की बजाए भला होगा कि आप अपनी जीभ को परमेश्वर की आत्मा की आधीनता में कर दें, और ऐसे शब्द ही मूँह से निकालें जो परमेश्वर को महिमा देने वाले हों। - बिल क्राऊडर


अपनी ज़ुबान पर लगाम रखने के लिए अपने हृदय की लगाम परमेश्वर के हाथों में रखें।

मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ। - कुलुस्सियों 3:16

बाइबल पाठ: याकूब 3:1-12
James 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे। 
James 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है। 
James 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं। 
James 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्‍ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं। 
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है। 
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। 
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं। 
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है। 
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं। 
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं। 
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए। 
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 8-10
  • मत्ती 25:31-46



सोमवार, 9 फ़रवरी 2015

सहायता



   सन 1962 में जॉन ग्लेन प्रथम अमेरीकी अंतरिक्ष यात्री बने और इतिहास की पुस्तकों में उनका नाम दर्ज हो गया। जब उनके रॉकेट ने उड़ान भरना आरंभ किया तब धरती पर नियंत्रण कक्ष से उन्हें कहा गया, "गौडस्पीड, जॉन ग्लेन" अर्थात "परमेश्वर तुम्हें सफल करे, जॉन ग्लेन"। आज हमें यह शब्द "गौडस्पीड" बहुत कम ही प्रयुक्त होते मिलता है, लेकिन परमेश्वर के वचन बाइबल में इसका प्रयोग है।

   प्रभु यीशु के चेले यूहन्ना ने अपनी दूसरी पत्री में लिखा: "यदि कोई तुम्हारे पास आए, और यही शिक्षा न दे, उसे न तो घर मे आने दो, और न नमस्‍कार करो" (2 यूहन्ना 1:10)। जिस शब्द का अनुवाद "नमस्कार" हुआ है, उसका अर्थ है "आशीष देना" और उसे अंग्रज़ी में "गौडस्पीड" भी अनुवादित किया गया है।

   प्रेरित यूहन्ना को "प्रेम का प्रेरित" भी कहा गया है; तो फिर यह प्रेम का प्रेरित मसीही विश्वासियों को किसी अन्य जन को आशीष देने से क्यों रोक रहा है? मसीही मण्डलियों के आरंभिक समय में भ्रमणकारी मसीही प्रचारक उस स्थान के मसीही विश्वासियों के आतिथ्य पर निर्भर हुआ करते थे - उनके रहने, खाने-पीने, देख-भाल, और फिर आगे दूसरे स्थान पर प्रचार के लिए भेजने का कार्य स्थानीय मसीही विश्वासी लोग किया करते थे। यूहन्ना यहाँ अपनी पत्री के द्वारा मसीही विश्वासियों को आगाह कर रहा है कि वे मसीही विश्वास के सत्य के विषय में सचेत रहें, और किसी गलत शिक्षा के प्रचार या प्रसार में अनजाने में भी सहभागी ना बनें। इसलिए यदि कोई भ्रमणकारी प्रचारक आए और प्रभु यीशु तथा उनके चेलों, अर्थात प्रेरितों, द्वारा दी गई शिक्षाओं से कुछ भिन्न बात कहे या सिखाए, तो उन मसीही विश्वासियों द्वारा उसे अपने घर ठहराने तथा उसकी देख-रेख आदि द्वारा उसे किसी प्रकार की सहायाता प्रदान नहीं करी जाए, अन्यथा वे उसकी गलत शिक्षाओं के प्रचार और प्रसार में उसके साथ दोषी ठहरेंगे।

   यही बात आज भी मसीही विश्वासियों के लिए वैसी ही लागू है। क्योंकि हम मसीही विश्वासी एक दयालु एवं करुणामय परमेश्वर के अनुयायी और सन्तान हैं इसलिए सबके साथ हमें भलाई तो करनी है; लेकिन उनकी सहायता करने के लिए परमेश्वर से समझ-बूझ माँगकर, परमेश्वर के वचन बाइबल के आधार पर उनकी शिक्षाओं की वास्तविक सत्यता पहचान कर ही कोई कदम उठाना चाहिए। सही निर्णय करने में परमेश्वर का पवित्र आत्मा जो हमें सभी सत्य में अगुवाई करता है (यूहन्ना 16:13), हमारी सहायता करेगा, हमारा मार्गदर्शन करेगा कि हमें किसकी सहायता कितनी और कैसे करनी है। - डेनिस फिशर


परमेश्वर का आत्मा, परमेश्वर के वचन द्वारा परमेश्वर संबंधित सत्य और असत्य को पहचानने की सूझ-बूझ देता है।

परन्तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आने वाली बातें तुम्हें बताएगा। - यूहन्ना 16:13

बाइबल पाठ: 2 यूहन्ना 1:1-11
2 John 1:1 मुझ प्राचीन की ओर से उस चुनी हुई श्रीमती और उसके लड़के बालों के नाम जिन से मैं उस सच्चाई के कारण सत्य प्रेम रखता हूं, जो हम में स्थिर रहती है, और सर्वदा हमारे साथ अटल रहेगी। 
2 John 1:2 और केवल मैं ही नहीं, वरन वह सब भी प्रेम रखते हैं, जो सच्चाई को जानते हैं। 
2 John 1:3 परमेश्वर पिता, और पिता के पुत्र यीशु मसीह की ओर से अनुग्रह, और दया, और शान्‍ति, सत्य, और प्रेम सहित हमारे साथ रहेंगे। 
2 John 1:4 मैं बहुत आनन्‍दित हुआ, कि मैं ने तेरे कितने लड़के-बालों को उस आज्ञा के अनुसार, जो हमें पिता की ओर से मिली थी सत्य पर चलते हुए पाया। 
2 John 1:5 अब हे श्रीमती, मैं तुझे कोई नई आज्ञा नहीं, पर वही जो आरम्भ से हमारे पास है, लिखता हूं; और तुझ से बिनती करता हूं, कि हम एक दूसरे से प्रेम रखें। 
2 John 1:6 और प्रेम यह है कि हम उस की आज्ञाओं के अनुसार चलें: यह वही आज्ञा है, जो तुम ने आरम्भ से सुनी है और तुम्हें इस पर चलना भी चाहिए। 
2 John 1:7 क्योंकि बहुत से ऐसे भरमाने वाले जगत में निकल आए हैं, जो यह नहीं मानते, कि यीशु मसीह शरीर में हो कर आया: भरमाने वाला और मसीह का विरोधी यही है। 
2 John 1:8 अपने विषय में चौकस रहो; कि जो परिश्रम हम ने किया है, उसको तुम न बिगाड़ो: वरन उसका पूरा प्रतिफल पाओ। 
2 John 1:9 जो कोई आगे बढ़ जाता है, और मसीह की शिक्षा में बना नहीं रहता, उसके पास परमेश्वर नहीं: जो कोई उस की शिक्षा में स्थिर रहता है, उसके पास पिता भी है, और पुत्र भी। 
2 John 1:10 यदि कोई तुम्हारे पास आए, और यही शिक्षा न दे, उसे न तो घर मे आने दो, और न नमस्‍कार करो। 
2 John 1:11 क्योंकि जो कोई ऐसे जन को नमस्‍कार करता है, वह उस के बुरे कामों में साझी होता है।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 19-20
  • मत्ती 27:51-66



रविवार, 8 फ़रवरी 2015

रहस्यमय सत्य


   कभी कभी जब अनन्त और असीमित परमेश्वर अपने विचारों को नाशमान एवं सीमित मनुष्यों तक पहुँचाता है तो वह रहस्यमय लगता है। उदाहरण के लिए परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन की पुस्तक में एक गंभीर पद है जिससे उत्तर कम और प्रश्न अधिक जन्म लेते हैं: "यहोवा के भक्तों की मृत्यु, उसकी दृष्टि में अनमोल है" (भजन 116:15)। मैं इस बात पर विचार करता और विस्मय के साथ अपना सिर हिलाता हूँ, कि यह कैसे हो सकता है? मैं तो पृथ्वी की आँखों तथा दृष्टिकोण से देखता हूँ और मुझे यह समझना बहुत कठिन होता है कि मेरी 17 वर्षीय पुत्री मेलिस्सा के एक कार दुर्घटना में आक्समिक मारे जाने, या किसी अन्य जन के अपने किसी प्रीय जन को खो देने में भला क्या "अनमोल" हो सकता है?

   इस रहस्य से पर्दा उठना तब आरंभ होता है जब हम इस बात पर विचार करते हैं कि जो परमेश्वर के लिए अनमोल है वह केवल सांसारिक आशीषों तक ही सीमित नहीं है; यह पद परमेश्वर के स्वर्गीय दृष्टिकोण को लेकर लिखा गया है। परमेश्वर के वचन के एक और भाग, भजन 139:16 से मैं समझने पाता हूँ कि मेलिस्सा का परमेश्वर के पास स्वर्ग में आना अपेक्षित था, परमेश्वर उसके आने की बाट जोह रहा था, और यह उसके लिए अनमोल था। इसे ऐसे समझिए, जब हमारे बच्चे किसी दूर स्थान पर कुछ समय बिता कर लौट कर आते हैं, तो उन्हें वापस अपने पास, अपने साथ देखने का सुख और आनन्द कैसा अद्भुत होता है, कितना अनमोल होता है। ऐसे ही परमेश्वर भी अपने बच्चों के वापस घर आने से आनन्दित होता है और यह आनन्द उसके लिए भी अनमोल है।

   जब एक मसीही विश्वासी के लिए मौत आती है, तब वास्तव में परमेश्वर स्वर्ग में उसका स्वागत अपनी बाहें खोलकर अपनी उपस्थिति में कर रहा होता है। प्रीय जनों से पृथ्वी पर बिछुड़ने के दुख में भी हम इस बात से सांत्वना ले सकते हैं कि यह परमेश्वर की दृष्टि में अनमोल है। - डेव ब्रैनन


एक स्थान का सूर्यास्त, दूसरे स्थान का सूर्योदय होता है।

धर्मी जन नाश होता है, और कोई इस बात की चिन्ता नहीं करता; भक्त मनुष्य उठा लिये जाते हैं, परन्तु कोई नहीं सोचता। धर्मी जन इसलिये उठा लिया गया कि आने वाली आपत्ति से बच जाए - यशायाह 57:1

बाइबल पाठ: यूहन्ना 17:20-26
John 17:20 मैं केवल इन्‍हीं के लिये बिनती नहीं करता, परन्तु उन के लिये भी जो इन के वचन के द्वारा मुझ पर विश्वास करेंगे, कि वे सब एक हों। 
John 17:21 जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूं, वैसे ही वे भी हम में हों, इसलिये कि जगत प्रतीति करे, कि तू ही ने मुझे भेजा। 
John 17:22 और वह महिमा जो तू ने मुझे दी, मैं ने उन्हें दी है कि वे वैसे ही एक हों जैसे की हम एक हैं। 
John 17:23 मैं उन में और तू मुझ में कि वे सिद्ध हो कर एक हो जाएं, और जगत जाने कि तू ही ने मुझे भेजा, और जैसा तू ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही उन से प्रेम रखा। 
John 17:24 हे पिता, मैं चाहता हूं कि जिन्हें तू ने मुझे दिया है, जहां मैं हूं, वहां वे भी मेरे साथ हों कि वे मेरी उस महिमा को देखें जो तू ने मुझे दी है, क्योंकि तू ने जगत की उत्‍पत्ति से पहिले मुझ से प्रेम रखा। 
John 17:25 हे धामिर्क पिता, संसार ने मुझे नहीं जाना, परन्तु मैं ने तुझे जाना और इन्‍होंने भी जाना कि तू ही ने मुझे भेजा। 
John 17:26 और मैं ने तेरा नाम उन को बताया और बताता रहूंगा कि जो प्रेम तुझ को मुझ से था, वह उन में रहे और मैं उन में रहूं।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 4-5
  • मत्ती 24:29-51