बच्चों की कहानी "The Mole and the Rat" में लेखक केनेथ ग्राहम ने प्रेम और भय के संबंध को रूपक द्वारा दर्शाया है। दो जानवर, छछुंदर और चूहा, एक और सामर्थी जीव "मित्र तथा सहायक" (- जो परमेश्वर को दर्शता है) से मिलते हैं। उसे देखकर छछुंदर थरथर कांपने लगता है और चूहे से फुसफुसा कर पूछता है "चूहे, क्या तुम्हें डर नहीं लग रहा?" चूहा, जिसकी आंखें से बयान से बाहर प्रेम से छलक रहा था, "मित्र और सहायक" को निहारते हुए धीमी आवाज़ में उत्तर देता है "डर? इनसे? नहीं, नहीं, कभी नहीं! लेकिन फिर भी ओह छछुंदर, मुझे डर तो है।"
परमेश्वर का दर्शन देखकर दानियल नबी का भी कुछ ऐसा ही हाल हुआ होगा। दानियेल का परमेश्वर के प्रति प्रेम असीम था, लेकिन जब उसने दर्शन में परमेश्वर को अपने समक्ष खड़ा पाया तो वह भय से गिर पड़ा (दानियेल ८:१५-२७)। परमेश्वर की पवित्रता की एक झलक ने उसे अभिभूत कर दिया।
प्रभु यीशु ने परमेश्वर से प्रेम रखने की आज्ञा दी (मत्ती २२:३७), जबकि पौलुस कहता है कि हमें परमेश्वर का भय रखना चाहिये (कुलुस्सियों ३:१८-२५)। लेकिन यदि हम परमेश्वर से प्रेम रखते हैं तो क्या हमें डर से मुक्त नहीं हो जाना चाहिये? क्या सच्चा प्रेम डर को दूर नहीं कर देता?
मेरा अपना अनुभव इसे समझने में सहायता कर सकता है। मैं परमेश्वर से प्रेम करता हूँ, लेकिन जब उस दिन के बारे में सोचता हूँ जब मैं उसके समक्ष खड़ा होऊंगा तो डरता भी हूँ। मुझे यह डर नहीं है कि वह मुझे नरक भेज देगा, इसका निर्णय तो उसी क्षण हो चुका जब मैंने प्रभु यीशु पर विश्वास किया, उससे अपने पापों की क्षमा मांगी - क्योंकि मेरे पापों की कीमत चुका कर प्रभु यीशु ने मुझे नरक के दंड से बचा लिया है। लेकिन यह सोचकर कि मैं, हां मैं, मुझ जैसा मनुष्य, उस परम पवित्र परमेश्वर के सामने खड़ा होने पाएगा, मुझे परमेश्वर के प्रति श्रद्धा पूर्ण भय से भर देता है और मेरे प्राण-देह-आत्मा उसके आगे झुक जाते हैं। यही भय है जो मुझे परमेश्वर को प्रसन्न रखने को प्रेरित करता है, इसलिये नहीं कि मुझे उससे किसी सज़ा का डर है, वरन इसलिये कि उसकी इच्छा के अनुसार कार्य करके उसे प्रसन्न रखना उसके महान प्रेम के कारण उसके प्रति मेरा कर्तव्य है।
परमेश्वर से प्रेम तो करें, लेकिन श्रद्धा सहित उसका भय भी मानें। प्रेम और भय का यही समायोग पवित्रता का जीवन जी सकने की कुंजी है। - हर्ब वैन्डर लुग्ट
हे सेवको, जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये नहीं, परन्तु मन की सीधाई और परमेश्वर के भय से। - कुलुस्सियों ३:२२
बाइबल पाठ: कुलुस्सियों ३:१८-२५
हे पत्नियो, जैसा प्रभु में उचित है, वैसा ही अपने अपने पति के आधीन रहो।
हे पतियों, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो, और उन से कठोरता न करो।
हे बालको, सब बातों में अपने अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करो, क्योंकि प्रभु इस से प्रसन्न होता है।
हे बच्चे वालो, अपने बालकों को तंग न करो, न हो कि उन का साहस टूट जाए।
हे सेवको, जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये नहीं, परन्तु मन की सीधाई और परमेश्वर के भय से।
और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझ कर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते हो।
क्योंकि तुम जानते हो कि तुम्हें इस के बदले प्रभु से मीरास मिलेगी: तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो।
क्योंकि जो बुरा करता है, वह अपनी बुराई का फल पाएगा; वहां किसी का पक्षपात नहीं।
एक साल में बाइबल:
परमेश्वर का दर्शन देखकर दानियल नबी का भी कुछ ऐसा ही हाल हुआ होगा। दानियेल का परमेश्वर के प्रति प्रेम असीम था, लेकिन जब उसने दर्शन में परमेश्वर को अपने समक्ष खड़ा पाया तो वह भय से गिर पड़ा (दानियेल ८:१५-२७)। परमेश्वर की पवित्रता की एक झलक ने उसे अभिभूत कर दिया।
प्रभु यीशु ने परमेश्वर से प्रेम रखने की आज्ञा दी (मत्ती २२:३७), जबकि पौलुस कहता है कि हमें परमेश्वर का भय रखना चाहिये (कुलुस्सियों ३:१८-२५)। लेकिन यदि हम परमेश्वर से प्रेम रखते हैं तो क्या हमें डर से मुक्त नहीं हो जाना चाहिये? क्या सच्चा प्रेम डर को दूर नहीं कर देता?
मेरा अपना अनुभव इसे समझने में सहायता कर सकता है। मैं परमेश्वर से प्रेम करता हूँ, लेकिन जब उस दिन के बारे में सोचता हूँ जब मैं उसके समक्ष खड़ा होऊंगा तो डरता भी हूँ। मुझे यह डर नहीं है कि वह मुझे नरक भेज देगा, इसका निर्णय तो उसी क्षण हो चुका जब मैंने प्रभु यीशु पर विश्वास किया, उससे अपने पापों की क्षमा मांगी - क्योंकि मेरे पापों की कीमत चुका कर प्रभु यीशु ने मुझे नरक के दंड से बचा लिया है। लेकिन यह सोचकर कि मैं, हां मैं, मुझ जैसा मनुष्य, उस परम पवित्र परमेश्वर के सामने खड़ा होने पाएगा, मुझे परमेश्वर के प्रति श्रद्धा पूर्ण भय से भर देता है और मेरे प्राण-देह-आत्मा उसके आगे झुक जाते हैं। यही भय है जो मुझे परमेश्वर को प्रसन्न रखने को प्रेरित करता है, इसलिये नहीं कि मुझे उससे किसी सज़ा का डर है, वरन इसलिये कि उसकी इच्छा के अनुसार कार्य करके उसे प्रसन्न रखना उसके महान प्रेम के कारण उसके प्रति मेरा कर्तव्य है।
परमेश्वर से प्रेम तो करें, लेकिन श्रद्धा सहित उसका भय भी मानें। प्रेम और भय का यही समायोग पवित्रता का जीवन जी सकने की कुंजी है। - हर्ब वैन्डर लुग्ट
जो परमेश्वर से डरता है वह किसी और से नहीं डरेगा; जो परमेश्वर से नहीं डरता उसे अन्य सब का डर रहता है।
हे सेवको, जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये नहीं, परन्तु मन की सीधाई और परमेश्वर के भय से। - कुलुस्सियों ३:२२
बाइबल पाठ: कुलुस्सियों ३:१८-२५
हे पत्नियो, जैसा प्रभु में उचित है, वैसा ही अपने अपने पति के आधीन रहो।
हे पतियों, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो, और उन से कठोरता न करो।
हे बालको, सब बातों में अपने अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करो, क्योंकि प्रभु इस से प्रसन्न होता है।
हे बच्चे वालो, अपने बालकों को तंग न करो, न हो कि उन का साहस टूट जाए।
हे सेवको, जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये नहीं, परन्तु मन की सीधाई और परमेश्वर के भय से।
और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझ कर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते हो।
क्योंकि तुम जानते हो कि तुम्हें इस के बदले प्रभु से मीरास मिलेगी: तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो।
क्योंकि जो बुरा करता है, वह अपनी बुराई का फल पाएगा; वहां किसी का पक्षपात नहीं।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था २६-२७
- मरकुस २