ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 28 मार्च 2015

मित्र


   सच्ची मित्रता जीवन के सबसे उत्त्म उपहारों में से एक है। सच्चे मित्र अपने मित्रों के लिए एक विशेष भलाई चाहते हैं, वह भलाई जो सबसे उत्कृष्ठ है, अर्थात यह कि उनके मित्र परमेश्वर को जानें तथा परमेश्वर से अपने सारे मन, प्राण और आत्मा से प्रेम करें। डिट्रिश बॉनहॉफर ने, जो जर्मनी के एक विख्यात पास्टर थे और अपने मसीही विश्वास के लिए शहीद हुए थे, इस विषय पर कहा, "मित्र अपना लक्ष्य दूसरे  के लिए परमेश्वर की इच्छा द्वारा निर्धारित करते हैं", अर्थात, सच्चा मित्र अपने मित्र को परमेश्वर कि इच्छानुसार जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित करता रहता है।

   ऐसे सच्ची मित्रता का एक उत्कृष्ठ उदाहरण है परमेश्वर के वचन बाइबल में दाऊद के मित्र योनातान का। योनातान का पिता, राजा शाऊल, दाऊद का दुश्मन हो गया था, और दाऊद शाऊल से अपनी जान बचाकर जीप के बियाबान में होरेश नामक स्थान में जा छुपा था। योनातान उसे ढूँढ़ता हुआ, उससे मिलने के लिए वहाँ आया। इस घटना का महत्व योनातान के दाऊद से मिलने जाने के उद्देश्य में देखा जा सकता है, "शाऊल का पुत्र योनातन उठ कर उसके पास होरेश में गया, और परमेश्वर की चर्चा कर के उसको ढाढ़स दिलाया" (1 शमूएल 23:16); योनातान दाऊद के पास इसलिए गया कि उस से परमेश्वर के बारे में चर्चा करे तथा दाऊद को ढाढ़स दिलाए।

   मसीही विश्वास में मित्रता का यही सार है - परस्पर सामन्य रुचि, एक-दूसरे के प्रति लगाव, आपस में होने वाले मनोरंजन से ऊपर उठकर, अपने मित्र के जीवन में अनन्त आशीष के बीजों को बोना, उन्हें परमेश्वर की बुद्धिमता को स्मरण दिलाते रहना, अपने मित्रों की आत्मा को परमेश्वर के प्रेम भरे वचनों से तरोताज़ा करते रहना, सभी परिस्थितियों में उन्हें परमेश्वर में ढाढ़स बंधाना।

   अपने मित्रों के लिए परमेश्वर से प्रार्थना करें, और परमेश्वर से माँगें कि वह आपको उनके साथ बाँटने के लिए उनकी आवश्यकता के अनुसार उपयुक्त वचन दे जिस से वे परमेश्वर के वचन में होकर एक नई सामर्थ पा सकें। - डेविड रोपर


सच्चा मित्र परमेश्वर से मिला उपहार और अपने मित्रों के परमेश्वर के समीप बढ़ने में सहायक होता है।

जैसे तेल और सुगन्ध से, वैसे ही मित्र के हृदय की मनोहर सम्मति से मन आनन्दित होता है। जो तेरा और तेरे पिता का भी मित्र हो उसे न छोड़ना; और अपनी विपत्ति के दिन अपने भाई के घर न जाना। प्रेम करने वाला पड़ोसी, दूर रहने वाले भाई से कहीं उत्तम है। - नीतिवचन 27:9-10

बाइबल पाठ: 1 शमूएल 23:12-18
1 Samuel 23:12 फिर दाऊद ने पूछा, क्या कीला के लोग मुझे और मेरे जनों को शाऊल के वश में कर देंगे? यहोवा ने कहा, हां, वे कर देंगे। 
1 Samuel 23:13 तब दाऊद और उसके जन जो कोई छ: सौ थे कीला से निकल गए, और इधर उधर जहां कहीं जा सके वहां गए। और जब शाऊल को यह बताया गया कि दाऊद कीला से निकला भागा है, तब उसने वहां जाने की मनसा छोड़ दी। 
1 Samuel 23:14 जब दाऊद तो जंगल के गढ़ों में रहने लगा, और पहाड़ी देश के जीप नाम जंगल में रहा। और शाऊल उसे प्रति दिन ढूंढ़ता रहा, परन्तु परमेश्वर ने उसे उसके हाथ में न पड़ने दिया। 
1 Samuel 23:15 और दाऊद ने जान लिया कि शाऊल मेरे प्राण की खोज में निकला है। और दाऊद जीप नाम जंगल के होरेश नाम स्थान में था; 
1 Samuel 23:16 कि शाऊल का पुत्र योनातन उठ कर उसके पास होरेश में गया, और परमेश्वर की चर्चा कर के उसको ढाढ़स दिलाया। 
1 Samuel 23:17 उसने उस से कहा, मत डर; क्योंकि तू मेरे पिता शाऊल के हाथ में न पड़ेगा; और तू ही इस्राएल का राजा होगा, और मैं तेरे नीचे हूंगा; और इस बात को मेरा पिता शाऊल भी जानता है। 
1 Samuel 23:18 तब उन दोनों ने यहोवा की शपथ खाकर आपस में वाचा बान्धी; तब दाऊद होरेश में रह गया, और योनातन अपने घर चला गया।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों 4-6
  • लूका 4:31-44