मेरा
बेटा लगातार तीन वर्षों से प्यानो वादन में भाग ले रहा था। पिछले वर्ष मैंने उसे
प्यानो बजाते हुए देखा। वह सीढियां चढ़कर मंच पर गया, संगीत की छपी हुई पुस्तिका को
सही पन्ने पर खोलकर ठीक से लगाया, उसने दो गीत बजाए, और फिर आकर मेरे पास बैठ गया,
और फुसफुसा कर बोला, “माँ, इस वर्ष मेरा प्यानो छोटा हो गया है।” मैंने कहा नहीं,
प्यानो तो वही है जो तुमने पिछले वर्ष बजाया था, बस तुम थोड़े बड़े हो गए हो,
तुम्हारा कद बढ़ गया है।
शारीरिक
बढ़ोतरी के समान, आत्मिक बढ़ोतरी भी समय के साथ-साथ, धीरे-धीरे होती है। यह एक होती
रहने वाली प्रक्रिया है जिसमें हम मसीही विश्वासी प्रभु यीशु की अधिकाधिक समानता
में ढलते चले जाते हैं। यह प्रक्रिया हमारे मन के नए हो जाने के कारण संभव होने
पाती है “और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु
तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो” (रोमियों
12:2)।
जब
परमेश्वर पवित्र आत्मा हमारे अन्दर कार्य करता है, तो हमारे अन्दर पाप के प्रति
संवेदनशीलता तथा बोध आता है। परमेश्वर को आदर देने और उसके अनुसार व्यवहार करने के
लिए हम अपने अन्दर, अपने जीवन में परिवर्तन चाहते हैं, पाप से हटकर परमेश्वर की
निकटता में आना चाहते हैं। अपने इन प्रयासों में हम कभी सफल होते हैं तो कभी असफल
होकर हमें फिर से प्रयास करने पड़ते हैं। हो सकता है कि कभी-कभी हमें लगे कि कुछ
नहीं बदल रहा है और हम निराश हों; हम असफलता को बढ़ोतरी न होने का प्रमाण समझने
लगते हैं, जबकि वास्तव में वह बढ़ोतरी के मार्ग में अग्रसर होने का प्रमाण है।
आत्मिक
बढ़ोतरी के लिए हमें पवित्र आत्मा की सहायता और मार्गदर्शन, अपने अन्दर परिवर्तन
लाने की हमारी अपनी इच्छा, और समय की आवश्यकता होती है। अपनी जीवन यात्रा में जब
हम कभी-कभी रुक कर पीछे देखते हैं तो हमें आभास होता है कि हम आत्मिक जीवन में भी
बढ़े हैं। परमेश्वर हमें सामर्थ्य दे कि हम उसके वचन बाइबल की बात “और मुझे इस
बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ
किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा” (फिलिप्पियों 1:6) पर अपना भरोसा बनाए रखें। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट
आत्मिक बढ़ोतरी एक प्रक्रिया है।
परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु
का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में,
तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी
रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं। - 2 कुरिन्थियों 3:18
बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 1: 1-11
Philippians 1:1 मसीह यीशु के दास पौलुस और
तीमुथियुस की ओर से सब पवित्र लोगों के नाम, जो मसीह यीशु
में हो कर फिलिप्पी में रहते हैं, अध्यक्षों और सेवकों समेत।
Philippians 1:2 हमारे पिता परमेश्वर और
प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे।
Philippians 1:3 मैं जब जब तुम्हें स्मरण करता
हूं, तब तब अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं।
Philippians 1:4 और जब कभी तुम सब के लिये
बिनती करता हूं, तो सदा आनन्द के साथ बिनती करता हूं।
Philippians 1:5 इसलिये, कि तुम पहिले दिन से ले कर आज तक सुसमाचार के फैलाने में मेरे सहभागी रहे
हो।
Philippians 1:6 और मुझे इस बात का भरोसा
है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा।
Philippians 1:7 उचित है, कि मैं तुम सब के लिये ऐसा ही विचार करूं क्योंकि तुम मेरे मन में आ बसे
हो, और मेरी कैद में और सुसमाचार के लिये उत्तर और प्रमाण
देने में तुम सब मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी हो।
Philippians 1:8 इस में परमेश्वर मेरा गवाह
है, कि मैं मसीह यीशु की सी प्रीति कर के तुम सब की लालसा
करता हूं।
Philippians 1:9 और मैं यह प्रार्थना करता
हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब
प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए।
Philippians 1:10 यहां तक कि तुम उत्तम से
उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो;
और ठोकर न खाओ।
Philippians 1:11 और उस धामिर्कता के फल से
जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिस से
परमेश्वर की महिमा और स्तुति होती रहे।
एक साल में बाइबल:
- 2 शमूएल 16-18
- लूका 17:20-37