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शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

चुनाव के विकल्प

मैं देख रहा था, एक माँ ने अपने २ वर्ष के बेटे को चुनाव करने के विकल्प दिये, "तुम या तो मछली ले सकते हो या मुर्गी।" माँ ने बच्चे के सामने केवल दो ही विकल्प रखे क्योंकि वह इससे अधिक समझने के लिये अभी बहुत छोटा था। चुनाव के लिये विकल्प अक्सर विविध चीज़ों में होते हैं और व्यक्ति को किसी विकल्प का इन्कार करने का अवसर भी होता है।

आदम और हव्वा सबसे अच्छी परिस्थिति में थे। परमेश्वर ने उन्हें अदन की वाटिका के सब फलों को खाने का विकल्प दिया था, केवल एक पेड़ के फल को छोड़। उनके पास बहुतायत में विकल्प थे और सही चुनाव करना कोई कठिन बात नहीं होनी चाहिये थी। किंतु उन्होंने गलत चुनाव किया और उसके परिणाम दुखद हुए।

कुछ लोग परमेश्वर पर दोष लगाते हैं उसके द्वारा निर्धारित सीमाओं के लिये। वे परमेश्वर पर ज़िन्दिगियों को नियंत्रित करने की इच्छा रखने का इल्ज़ाम लगाते हैं। परन्तु परमेश्वर हमें विकल्प देता है, जैसा उसने आदम और हव्वा को दिया।

हाँ परमेश्वर सीमाएं निर्धारित करता है, लेकिन व हमारी सुरक्षा के लिये होती हैं। दाउद ने इस बात को समझा, उसने लिखा "तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है,...मैं पुरनियों से भी समझदार हूं, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूं। मैं ने अपने पांवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है, जिस से मैं तेरे वचन के अनुसार चलूं।" (भजन ११९:९८-१०१)।

परमेश्वर हमारी इतनी अधिक परवाह करता है कि उसने हमारे सही विकल्प के चुनाव मे सहायता करने के लिये सीमाएं निर्धारित करीं हैं। - सी. पी. हिया


परमेश्वर के नियम हमें परिपूर्ण करने के लिये हैं, कुण्ठित करने के लिये नहीं।


बाइबल पाठ: उत्पत्ति २:१६-१७; ३:१-८


तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को यह आज्ञा दी, कि तू बाटिका के सब वृक्षों का फल बिना खटके खा सकता है: पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना...उत्पत्ति २:१६, १७


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब २२-२४
  • प्रेरितों के काम ११

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