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सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

यहोवा यिरे

एक नवविवाहिता युवती ने अपने कुछ मित्रों को भोजन पर बुलाया। कुछ आवश्यक वस्तुओं की कमी को देखकर वह अपनी पड़ौसिन के पास उन्हें उससे उधार लेने के लिये गई। उसकी मांगी हुई वस्तुओं को देने के बाद पड़ौसन ने, जो मेज़बानी में अनुभवी थी, उससे पूछा "क्या यह काफी होगा, या तुम्हें किसी अन्य चीज़ की भी आवश्यक्ता होगी?" युवती ने कहा "मुझे लगता है कि यह काफी होगा।" तब उसकी पड़ौसन ने कुछ और वस्तुएं भी अपने पास से उसे निकाल कर दीं और कहा कि इन्हें भी रख लो, तुम्हें इनकी भी आवश्यक्ता पड़ेगी। बाद में उस युवती ने बहुत धन्यवादी मन से कहा "भला हुआ कि मैं किसी ऐसे के पास गई जो मेरी आवश्यकता को जानती थी, मेरी सहायता करने को तत्पर थी और उसने मुझे वह दिया जिस की मुझे आवश्यक्ता थी, न कि वह जो मैं चाहती थी।"

यह उदाहरण परमेश्वर का हमारे प्रति बर्ताव का कितना अच्छा चित्रण है। बाइबल के पुराने नियम में परमेश्वर के नाम "यहोवा" के साथ उसके किसी विशेष गुण को दर्शाने वाला शब्द जोड़कर उसके नाम के अर्थ को समझाया गया है। इब्राहिम ने जिस जगह बलिदान का मेढ़ा पाया, उस स्थान का नाम "यहोवा यिरे" अर्थात "परमेश्वर उपलब्ध करायेगा" रखा। यह दर्शाता है कि परमेश्वर हमारी आवश्यक्ताओं को पहले से जानता है और उनका प्रबंध भी करके रखता है।

आज भी, अपने पुत्र के बलिदान के द्वारा, उसने समस्त मानव जाति की सबसे बड़ी आवश्यक्ता - पापों से मुक्ति, का प्रबंध उपलब्ध करा रखा है। उसके पुत्र प्रभु यीशु में विश्वास के द्वारा न केवल हमको पापों से मुक्ति और उद्धार मिलता है, वरन परमेश्वर का आत्मा भी हमारे अन्दर आकर बसता है और हमें परमेश्वर की इच्छा पूरी करने की सामर्थ भी देता है।

"जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्‍तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्‍योंकर न देगा।" - रोमियों ८:३२

यहोवा यिरे - उपलब्ध कराने वाला हमारा परमेश्वर। - पौल वैन गोर्डर


जिस काम के लिये परमेश्वर कहता है, उसकी आवश्यक्ताएं उपलब्ध भी कराता है।

और इब्राहीम ने उस स्थान का नाम यहोवा यिरे रखा : इसके अनुसार आज तक भी कहा जाता है, कि यहोवा के पहाड़ पर उपाय किया जाएगा। - उत्पत्ति २२:१४


बाइबल पाठ: रोमियों ८:२६-३४

इसी रीति से आत्मा भी हमारी र्दुबलता में सहायता करता है, क्‍योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए, परन्‍तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।
और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्‍या है क्‍योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्‍छा के अनुसार बिनती करता है।
और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्‍पन्न करती है; अर्थात उन्‍हीं के लिये जो उस की इच्‍छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
क्‍योंकि जिन्‍हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्‍हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्‍वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
फिर जिन्‍हें उस ने पहिले से ठहराया, उन्‍हें बुलाया भी, और जिन्‍हें बुलाया, उन्‍हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्‍हें धर्मी ठहराया, उन्‍हें महिमा भी दी है।
सो हम इन बातों के विषय में क्‍या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्‍तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्‍यों कर न देगा?
परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहराने वाला है।
फिर कौन है जो दण्‍ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था १-३
  • मत्ती २४:१-२८

1 टिप्पणी:

  1. बहोत ही सुंदर विश्लेषण कीया गया हॆ. वचन का रेमा आया हें. परमेश्वर का धन्यवाद हो 🙏

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