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शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

स्त्रोत

इंगलैंड के ब्रिस्टॉल शहर में जौर्ज म्यूलर २००० बच्चों के लिये अनाथालय चलाते थे। एक शाम, यह जानकर कि बच्चों के प्रातः के नाशते तक के लिये अनाथालय में भोजन सामग्री नहीं बची है, उन्होंने अपने सहकर्मियों को बुलाया, और उन्हें स्थिति से अवगत कराया। उसके बाद वे सब प्रार्थना करने बैठे। जब दो, तीन जन प्रार्थना कर चुके तो जौर्ज म्यूलर ने कहा कि "इतना काफी है, अब आईये उठकर प्रार्थना का उत्तर देने के लिये परमेश्वर का धन्यवाद करें"; इसके बाद वे सब अपने अपने स्थानों को विश्राम के लिये चले गये। प्रातः होने पर जब उन्होंने अनाथालय का प्रवेश द्वार खोलने का प्रयास किया तो किसी चीज़ के दबाव के कारण वे उसे खोलने नहीं पाये। कारण जांचने के लिये वे पिछले दरवाज़े से बाहर निकले और अनाथालय का चक्कर लगा कर प्रवेश द्वार पर पहुंचे और कारण देखा - भोजन से भरे हुए कई टोकरे जो द्वार से सटाकर रखे गए थे, जिससे द्वार खुल नहीं पा रहा था। बाद में अनाथालय के एक कार्यकर्ता ने कहा, "हम यह तो जानते हैं कि यह सब भोजन किसने भेजा, बस यह नहीं जानते कि यहां तक लेकर कौन आया।"

यदि हम मसीही विश्वासी अपने जीवन में होने वाली अनपेक्षित घटनाओं के पीछे चलने वाली प्रक्रिया को देख सकते तो पाते कि सब कुछ परमेश्वर द्वारा अद्भुत रीति से नियंत्रित और संचालित है। वह अपने प्रत्येक सन्तान की प्रत्येक आवश्यक्ता को जानता भी है और उसे पूरा करने का इंतज़ाम भी करता है। परमेश्वर कई प्रकार के सन्देशवाहक और साधन अपनी आशीशें अपने बच्चों तक पहुंचाने के लिये प्रयोग करता है। चाहे हम उसके छिपे हुए हाथ को कार्य करते नहीं देख पाते, लेकिन वह सदा हमारे लिये कार्यरत रहता है। कभी कभी हमें लगता है कि हम अपने संसाधनों के बिल्कुल अंत पर आ गये हैं, परन्तु आश्वस्त रहिये, आप का स्वर्गीय पिता स्थिति को भली भांति जानता है, और यह भी कि आपको कब किस चीज़ की आवश्यक्ता है।

जब हम स्त्रोत को जानते हैं और उस पर विश्वास रखते हैं, तो हमें उसके द्वारा उपलब्ध कराने के माध्यम, विधि और समय के लिये चिंतित या विचिलित होने की आवश्यक्ता नहीं है। हमारा दिव्य स्त्रोत ही हमारे मसीही विश्वासी जीवन में शांति और सन्तुष्टि का कारण है। - पौल वैन गौर्डर


परमेश्वर अकसर अपनी सहायता मनुष्यों द्वारा ही उपलब्ध कराता है।

...और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्‍तुएं चाहिएं। - मत्ती ६:३२


बाइबल पाठ: मत्ती ६:२४-३४

कोई मनुष्य दो स्‍वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्‍योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्‍छ जानेगा। तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते।
इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्‍या खाएंगे और क्‍या पीएंगे और न अपने शरीर के लिये कि क्‍या पहिनेंगे? क्‍या प्राण भोजन से, और शरीर वस्‍त्र से बढ़कर नहीं?
आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता उन को खिलाता है, क्‍या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते?
तुम में कौन है, जो चिन्‍ता करके अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
और वस्‍त्र के लिये क्‍यों चिन्‍ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में से किसी के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्‍त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्‍योंकर न पहिनाएगा?
इसलिये तुम चिन्‍ता करके यह न कहना, कि हम क्‍या खाएंगे, या क्‍या पीएंगे, या क्‍या पहिनेंगे?
क्‍योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्‍तुएं चाहिएं।
इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्‍तुएं तुम्हें मिल जाएंगी।
सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्‍योकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था ११-१२
  • मत्ती २६:१-२५

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