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शुक्रवार, 20 मई 2011

आईये गाएं

संगीत का भक्ति में सदा महत्वपूर्ण स्थान रहा है। परमेश्वर के मन्दिर में आराधना करने वाले भजन गाया करते थे। प्रभु यीशु और उनके चेलों ने प्रभु भोज के बाद भजन गाया (मत्ती २६:३०)। पौलुस ने विश्वासियों को प्रोत्साहित किया कि "आपस में भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने अपने मन में प्रभु के साम्हने गाते और कीर्तन करते रहो" (इफिसीयों ५:१९)।

भजन गाने का उद्देश्य केवल लोगों को आते सन्देश के लिए तैयार करना ही नहीं है, यदि ऐसा होता तो भक्ति संगीत केवल एक व्यर्थ औपचारिकता बन के रह जाता। पौलुस इस प्रकार भजन गाने से कभी सहमत नहीं होता, क्योंकि उसका दृढ़ विश्वास था कि खराई से प्रचार किया गया सुसमाचार ही "उद्धार के निमित परमेश्वर की सामर्थ है" (रोमियों १:१६)। हम भक्ति संगीत द्वारा प्रभावी रूप से परमेश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सकते हैं, अपनी विनतियाँ उसके सामने प्रस्तुत कर सकते हैं और अपने विश्वास की गवाही संसार के सामने रख सकते हैं।

भजन ३३ में इस्त्राएलियों को परमेश्वर के सामर्थी वचन के लिए, उसके कभी असफल न होने वाले मार्गदर्शन के लिए और सदा अपने लोगों के प्रति बनी रहने वाली उसकी देखभाल के लिए स्तुति गाने को कहा गया है। जब पौलुस और सिलास बन्दीगृह में डाल दिये गए थे, उनके पाँव काठ में ठोक दिये गए और कोड़े मार मार कर उनकी पीठ उधेड़ दी गई, तब उस हालत में भी वे भजन गा रहे थे क्योंकि उनके मन उद्धार के आनन्द से भरे हुए थे (प्रेरितों १६:२५)।

यदि हम वास्तव में प्रभु से प्रेम करते हैं, तो हम उत्साहपूर्वक उसके आराधकों के साथ मिलकर उसकी स्तुति अवश्य गाएंगे। जब हम अकेले हों और हमारे हृदय आराधना से भरे हों, तब भी हम ऊँचे स्वर में गा सकते हैं, बिना इस बात की चिंता करे कि हम कैसा गा रहे हैं।

दिल से निकली कैसी भी आराधना परमेश्वर को प्रसन्न करती है। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


संगीत दिल के उन भावों को अभिव्यक्त कर सकता है जिन्हें हम शब्दों में ला पाते, लेकिन जिनके बारे में हम खामोश भी नहीं रह पाते।

हे धर्मियों यहोवा के कारण जयजयकार करो क्योंकि धर्मी लोगों को स्तुति करनी सोहती है। - भजन ३३:१


बाइबल पाठ: भजन ३३:१-११

Psa 33:1 हे धर्मियों यहोवा के कारण जयजयकार करो क्योंकि धर्मी लोगों को स्तुति करनी सोहती है।
Psa 33:2 वीणा बजा बजाकर यहोवा का धन्यवाद करो, दस तार वाली सारंगी बजा बजाकर उसका भजन गाओ।
Psa 33:3 उसके लिये नया गीत गाओ, जयजयकार के साथ भली भांति बजाओ।
Psa 33:4 क्योंकि यहोवा का वचन सीधा है, और उसका सब काम सच्चाई से होता है।
Psa 33:5 वह धर्म और न्याय से प्रीति रखता है, यहोवा की करूणा से पृथ्वी भरपूर है।
Psa 33:6 आकाशमण्डल यहोवा के वचन से, और उसके सारे गण उसके मुंह की श्वास से बने।
Psa 33:7 वह समुद्र का जल ढेर की नाई इकट्ठा करता; वह गहिरे सागर को अपने भण्डार में रखता है।
Psa 33:8 सारी पृथ्वी के लोग यहोवा से डरें, जगत के सब निवासी उसका भय मानें!
Psa 33:9 क्योंकि जब उस ने कहा, तब हो गया; जब उस ने आज्ञा दी, तब वास्तव में वैसा ही हो गया।
Psa 33:10 यहोवा अन्य अन्य जातियों की युक्ति को व्यर्थ कर देता है; वह देश देश के लोगों की कल्पनाओं को निष्फल करता है।
Psa 33:11 यहोवा की युक्ति सर्वदा स्थिर रहेगी, उसके मन की कल्पनाएं पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहेंगी।

एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १०-१२
  • यूहन्ना ६:४५-७१

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