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शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012

प्रचार या प्रदर्शन

   मेरा एक बहुत वर्षों का पुराना मित्र और मार्गदर्शक अक्सर कहता है कि परमेश्वर के वचन बाइबल के अध्ययन में उसका उद्देश्य सदैव पढ़े गए को अपने व्यावाहरिक जीवन में लागू करना होता है। मैं उसके इस सीखे हुए को जीवन में लागू कीए जाने पर दिए गए ज़ोर की बहुत सराहना करता हूँ, क्योंकि हम जो बाइबल का अध्ययन करके फिर उसे सिखाते, प्रचार करते और उसके बारे में लिखते हैं, उनके लिए इस प्रबल वचन से संबंधित इन गतिविधियों को मात्र एक दिमाग़ी कसरत बना लेना बहुत आसान होता है।

   प्रसिद्ध बाइबल शिक्षक और टीकाकार ओस्वॉल्ड चैम्बर्स ने कहा था: "यह खतरा कि परमेश्वर की सन्तान उसके पवित्र वचन कि महानता और गूढ़ता के विषय में बेपरवाह हो जाए सदा बना रहता है। हम बाइबल की इन अद्भुत सच्चाईयों के बारे में प्रचार तो बहुत करने लगते हैं किंतु यह भूल जाते हैं कि उन्हीं बातों को हमारे जीवनों में प्रदर्शित भी होना चाहिए। सत्य की विवेचना करने को ही सत्य का पालन करना मान लेने की गलती कर बैठना; इस गलतफहमी में जीना कि क्योंकि हम बाइबल की बातों की व्याख्या कर लेते हैं इसलिए हम उनका पालन करने वाले भी हैं, बहुत आसान होता है"।

   प्रभु यीशु के एक चेले याकूब ने अपनी पत्री में मसीही विश्वासियों को लिखा: "पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है" (याकूब १:२५)। मुख्य बात शब्दों या लेखों द्वारा प्रचार करना नहीं वरन पालन करना है; उसे जीवन में जी कर दिखाना है।

  हम जब परमेश्वर के वचन का अध्ययन करें तो हमारे मन में उठने वाला पहला प्रश्न यह नहीं होना चाहिए कि "इसके बारे में क्या और कैसे प्रचार कर सकता हूँ?" वरन यह होना चाहिए कि "मैं इसे अपने जीवन में कैसे प्रदर्शित कर सकता हूँ?" - डेविड मैककैसलैंड


आज्ञाकारिता में उठाया एक कदम उस बात के बारे में वर्षों अध्ययन करने से बढ़कर है। - चैम्बर्स

परन्‍तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं। - याकूब १:२२
 
बाइबल पाठ: याकूब १:२१-२६
Jas 1:21   इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर करके, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है।
Jas 1:22  परन्‍तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं।
Jas 1:23  क्‍योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्‍वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है।
Jas 1:24  इसलिये कि वह अपने आप को देखकर चला जाता, और तुरन्‍त भूल जाता है कि मैं कैसा था।
Jas 1:25  पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है।
Jas 1:26   यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन ३१-३३ 
  • मत्ती २२:१-२२

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