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सोमवार, 23 अप्रैल 2012

कहें सो करें

   एक स्त्री अपने पोते के साथ १०३ मील प्रति घंटा की रफतार से गाड़ी चलाती हुई पकड़ी गई। जब पुलिस ने उस से इसके बारे में पूछा तो उसका उत्तर था कि वह अपने पोते को सिखाना मांग रही थी कि गाड़ी कभी इतनी तेज़ नहीं चलानी चाहिए; संभ्वतः वह उसे सिखाना चाह रही थी कि जो मैं कर रही हूँ उसे नहीं, वरन वह करो जो मैं कह रही हूँ!

   प्रभु यीशु की पृथ्वी की सेवकाई के दिनों में भी धर्म के अगुवों फरीसी और शास्त्रीयों के साथ भी ऐसी ही समस्या थी। प्रभु यीशु के मूल्यांकन में वे आत्मिक दिवलियापन से ग्रस्त थे और उनकी यह दशा ही इस्त्राएली समाज की दयनीय आत्मिक दशा का कारण थी। परमेश्वर की व्यवस्था को लोगों तक पहुँचाने वाले मूसा के उत्तराधिकारी होने के कारण उन्हें लोगों को उस व्यवस्था को सिखाने और समझाने की ज़िम्मेदारी थी जिससे समाज परमेश्वर की विधियों और नियमों का पालन करते हुए परमेश्वर के साथ एक सजीव और खरे संबंध को बना के रह सके (व्यवस्थाविवरण १०:१२, १३)।

   लेकिन उन धर्म के अगुवों के लिए व्यक्तिगत स्वार्थ के अनतर्गत परमेश्वर के वचन की विवेचना और शिक्षा प्रदान करना परमेश्वर के वचन की सच्चाई से अधिक महत्वपूर्ण हो गया था। जो वे प्रचार करते थे, उसका वे स्वयं पालन नहीं करते थे। जिसका पालन करते थे, वह परमेश्वर को महिमा देने के लिए नहीं वरन स्वयं महिमा पाने के लिए होता था। प्रभु यीशु से वे इसीलिए घृणा करते थे क्योंकि प्रभु यीशु उनकी वास्तविकता को पहचानता था और उनकी पोल खोलता रहता था कि वे कैसे ढोंगी, स्वार्थी, दोगले और केवल दिखाने के लिए कार्य करने वाले हैं।

   आज भी प्रभु यीशु के अनुयायी होने का प्रमाण हमारे प्रचार मात्र द्वारा नहीं है, वरन हमारे आचरण द्वारा है। हम प्रभु के लिए तब ही प्रभावी और सच्चे गवाह हो सकते हैं जब हम जो कहें सो कर के भी दिखाएं। क्या आज हम लोगों से परमेश्वर के वचन का प्रचार तो करने, किंतु स्वयं उसी वचन की अवहेलना करने के दोषी हैं? भला हो कि हम केवल शब्दों से ही नहीं, कार्यों से भी प्रभु यीशु के अनुयायी होने की गवाही दें; हमारे जीवन हमारे प्रचार को सजीव दिखाएं। - मार्विन विलियम्स


एक अच्छा सजीव उदाहरण, अपने आप में एक प्रभावी प्रचार होता है।
इसलिये वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना, परन्‍तु उन के से काम मत करना; क्‍योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं। - मत्ती २३:३
बाइबल पाठ: मत्ती २३:१-१२
Mat 23:1  तब यीशु ने भीड़ से और अपने चेलों से कहा।
Mat 23:2  शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं।
Mat 23:3  इसलिये वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना, परन्‍तु उन के से काम मत करना; क्‍योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं।
Mat 23:4  वे एक ऐसे भारी बोझ को जिस को उठाना कठिन है, बान्‍ध कर उन्‍हें मनुष्यों के कन्‍धों पर रखते हैं, परन्‍तु आप उन्‍हें अपनी उंगली से भी सरकाना नहीं चाहते ।
Mat 23:5  वे अपने सब काम लोगों को दिखाने के लिये करते हैं: वे अपने तावीजों को चौड़े करते, और अपने वस्‍त्रों की कोरें बढ़ाते हैं।
Mat 23:6   जेवनारों में मुख्य मुख्य जगहें, और सभा में मुख्य मुख्य आसन।
Mat 23:7  और बाजारों में नमस्‍कार और मनुष्य में रब्‍बी कहलाना उन्‍हें भाता है।
Mat 23:8  परन्‍तु, तुम रब्‍बी न कहलाना, कयोंकि तुम्हारा एक ही गुरू है: और तुम सब भाई हो।
Mat 23:9  और पृथ्वी पर किसी को अपना पिता न कहना, कयोंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्‍वर्ग में है।
Mat 23:10 और स्‍वामी भी न कहलाना, क्‍योंकि तुम्हारा एक ही स्‍वामी है, अर्थात मसीह।
Mat 23:11  जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने।
Mat 23:12  जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा: और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।
एक साल में बाइबल: 
  • २ शमूएल ९-११ 
  • लूका १५:११-३२

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