ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

एक विशेष सदगुण


   अपनी पुस्तक Food in the Medieval Times में लेखिका मेलिटा ऐडमसन ने मध्य युग में युरोप के लोगों के भोजन के बारे में बताया है। शिकार करना, केक-पेस्ट्री-पुडिंग आदि व्यंजन बनाना और खाना उस समय के लोगों की रुचि होती थी। इस रुचि के साथ एक समस्या भी थी - पेटुपन, अर्थात अपनी आवश्यकता से अधिक खाना। अत्याधिक खा लेने की प्रवृति साल भर त्यौहारों और मनाए जाने वाले दिवसों की बहुतायत के कारण और भी विकट हो जाती थी। यदि कुछ समय का उपवास भी होता था, तो उसके तुरंत बाद लोग फिर टूट कर भोजन पर जा पड़ते थे।

   इस समस्या के निवारण के लिए धर्मशास्त्री और शिक्षक थोमस एक्वीनस ने मसीही विश्वास के एक सदगुण - संयम को एक विशेष सदगुण का स्थान दिया और उसे जीवन के प्रत्येक पहलू में लागू करने से होने वाली भलाई के बारे में लोगों को सिखाया।

   संयम का यह सदगुण किसी मानवीय दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण उत्पन्न नहीं होता। मसीही विश्वासी के लिए यह सदगुण परमेश्वर के पवित्र आत्मा द्वारा दिए गए आत्मा के फलों में से एक है: "पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्‍द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई व्यवस्था नहीं" (गलतियों ५:२२-२३)। संयम, पवित्र आत्मा द्वारा दी गई वह सामर्थ है जो हमें हर बात में समझ-बूझ के साथ जो और जितना उचित है उतने तक ही करने की योग्यता देती है।

   हम सबको जीवन के हर क्षेत्र में संयम के प्रयोग से लाभ ही मिलता है; चाहे वह भोजन करना, कार्य करना, आराम करना, सेवकाई में जाना या अन्य कुछ भी हो। कोई भी बात जो संतुलन और उचित मात्रा में लभदायक होती है, उसकी अति नुकसान ही देती है। आज अपने जीवन का विशलेषण करके देखिए, कहीं आप किसी बात में उचित और संतुलित की सीमा से बाहर तो नहीं हैं? वह उचित और संतुलित को लागू करने के लिए परमेश्वर से संयम मांगने की प्रार्थना में आपको कुछ पल ही लगाने पड़ेंगे, परन्तु उसके लाभ जीवन भर आपके साथ रहेंगे।

   संयम - पवित्र आत्मा का फल और एक विशेष सदगुण जो जीवन में भलाई ही लेकर आता है। अपने जीवनों में इसे अवश्य ही एक विशेष स्थान दीजिए। - डेनिस फिशर


संयम पाने के लिए परमेश्वर के आत्मा की आधीनता में आ जाईए।

पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्‍द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई व्यवस्था नहीं। - गलतियों ५:२२-२३

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ९:२४-२७
1Co 9:24  क्‍या तुम नहीं जानते, कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्‍तु इनाम एक ही ले जाता है तुम वैसे ही दौड़ो, कि जीतो। 
1Co 9:25  और हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है, वे तो एक मुरझाने वाले मुकुट को पाने के लिये यह सब करते हैं, परन्‍तु हम तो उस मुकुट के लिये करते हैं, जो मुरझाने का नहीं। 
1Co 9:26  इसलिये मैं तो इसी रीति से दौड़ता हूं, परन्‍तु बेठिकाने नहीं, मैं भी इसी रीति से मुक्कों से लड़ता हूं, परन्‍तु उस की नाईं नहीं जो हवा पीटता हुआ लड़ता है। 
1Co 9:27   परन्तु मैं अपनी देह को मारता कूटता, और वश में लाता हूं, ऐसा न हो कि औरों को प्रचार करके, मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूं। 

एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह ४६-४७ 
  • इब्रानियों ६

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें