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रविवार, 28 अप्रैल 2019

क्रोध



      बात ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर की है, एक प्रातः फिओन मुल्हौलेंड ने पाया कि उसकी कार गायब है। तब उसे एहसास हुआ कि उसने कार को निषिद्ध क्षेत्र में खड़ा किया था, इसलिए उसे उठा कर ले जाया गया है। उसने परिस्थिति पर विचार किया, उसे जो जुर्माने के लिए 600 डॉलर देने पड़ेंगे, उसके बारे में भी सोचा, और निर्णय लिया कि वह कार को वापस लाने के लिए जिस व्यक्ति के साथ संपर्क में आएगा, उसके प्रति क्रोधित नहीं होगा। अपनी भावनाओं को क्रोध में व्यक्त करने के स्थान पर मुल्होलेंड ने उस स्थिति को लेकर एक हास्य कविता भी लिखा डाली, और जब वह कार को छुड़ाने के लिए गया तो वहाँ उपस्थित व्यक्ति को वह कविता पढ़कर सुनाई, और उस व्यक्ति को वह कविता पसन्द भी आई। इस प्रकार एक संभावित झगड़ा होने से बच गया।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन की पुस्तक सिखाती है कि “मुकद्दमे से हाथ उठाना, पुरूष की महिमा ठहरती है; परन्तु सब मूढ़ झगड़ने को तैयार होते हैं” (नीतिवचन 20:3)। झगड़ा वह तनाव है जो दो लोगों के बीच होता है जब वे किसी बात पर असहमत होते हैं, और या तो अन्दर ही अन्दर उबलता रहता है, या विस्फोटक होकर दोनों के मध्य बाहर निकल पड़ता है।

      परमेश्वर ने हमें सब के साथ शांतिपूर्वक रहने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान किए हैं। परमेश्वर का वचन हमें आश्वस्त करता है कि क्रोधित होना किन्तु पाप न करना संभव है (इफिसियों 4:26)। परमेश्वर का पवित्र आत्मा हमें सामर्थ्य देता है कि हम लोगों के प्रति कटु प्रतिक्रया करने, या उन्हें आहात करने करने के लिए हमें उकसाने वाली चिंगारियों से बच कर चल सकें। और प्रभु यीशु मसीह में जब भी हम आवेश में हों या उकसाए जाएँ तो, अनुसरण करने के लिए उपयुक्त उदाहरण पाते हैं (1 पतरस 2:23)। हमारा प्रभु परमेश्वर दयालु, अनुग्रहकारी, क्रोध करने में धीमा, और बहुतायत से प्रेम तथा विश्वासयोग्यता बनाए रखता है (भजन 86:15)। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


क्रोध करने में धीमे रहो।

क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे। - इफिसियों 4:26

बाइबल पाठ: याकूब 1:19-27
James 1:19 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो।
James 1:20 क्योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है।
James 1:21 इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है।
James 1:22 परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं।
James 1:23 क्योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्‍वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है।
James 1:24 इसलिये कि वह अपने आप को देख कर चला जाता, और तुरन्त भूल जाता है कि मैं कैसा था।
James 1:25 पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है।
James 1:26 यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है।
James 1:27 हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्‍लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्‍कलंक रखें।

एक साल में बाइबल:  
  • 1 राजा 3-5
  • लूका 20:1-26



रविवार, 4 नवंबर 2018

विजेता



      हम में से लगभग सभी लोग एक अच्छे प्रशासन की अपेक्षा करते हैं। हम वोट देते हैं, हम कार्य करते हैं, हम उन कारणों के लिए आवाज़ उठाते हैं जिन्हें हम उचित और सही मानते हैं। परन्तु राजनैतिक समाधान लोगों के मनों की दशा को बदलने में असमर्थ रहते हैं।

      प्रभु यीशु के अनुयायियों में से बहुतेरे ऐसे मसीहा की प्रतीक्षा में थे जो रोमी शोषण और दमन का ज़ोरदार राजनैतिक प्रत्युत्तर दे सके। प्रभु यीशु का शिष्य पतरस भी भिन्न नहीं था। परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि जब प्रभु यीशु को पकड़ने के लिए लोग आए, तो पतरस ने अपनी तलवार निकाली और महापुरोहित के सेवक पर वार किया, जिससे उस सेवक का कान कट गया।

      प्रभु यीशु ने तुरंत उसे रोका और उससे कहा “तब यीशु ने पतरस से कहा, अपनी तलवार काठी में रख: जो कटोरा पिता ने मुझे दिया है क्या मैं उसे न पीऊं?” (यूहन्ना 18:11)। इसके कुछ ही घंटों के बाद प्रभु यीशु ने उसका न्याय कर रहे रोमी राज्यपाल से कहा, “...मेरा राज्य इस जगत का नहीं, यदि मेरा राज्य इस जगत का होता, तो मेरे सेवक लड़ते, कि मैं यहूदियों के हाथ सौंपा न जाता: परन्तु अब मेरा राज्य यहां का नहीं” (पद 36)।

      उस पल में जब प्रभु का जीवन अधर में लटका था, उनके द्वारा दिखाया गया संयम, चकित कर देने वाला है, विशेषकर तब जब हम उनके कार्य के द्वारा होने वाले विश्वव्यापी प्रभाव पर विचार करते हैं। भविष्य में एक दिन आएगा जब प्रभु अपनी स्वर्गीय सेनाओं को लेकर युद्ध में उतरेगा; यूहन्ना उसके विषय लिखता है, “फिर मैं ने स्वर्ग को खुला हुआ देखा; और देखता हूं कि एक श्वेत घोड़ा है; और उस पर एक सवार है, जो विश्वास योग्य, और सत्य कहलाता है; और वह धर्म के साथ न्याय और लड़ाई करता है” (प्रकाशितवाक्य 19:11)।

      परन्तु अपने पकड़वाए जाने, दिखावे के मुकद्दमों में इधर से उधर घसीटे जाने, यातनाएं दिए जाने और क्रूस पर चढ़ा कर मारे जाने की घटनाओं में प्रभु यीशु ने अपने स्वर्गीय पिता परमेश्वर की ही इच्छा को पूरा किया। क्रूस की मृत्यु को स्वीकार करने के द्वारा उन्होंने सारे सँसार के सभी लोगों के लिए एक ऐसे घटनाक्रम को आरंभ किया और दिशा दी जो वास्तव में लोगों के हृदयों को बदलता देता है। ऐसा करने में हमारे इस महान विजेता ने मृत्यु तक को पराजित कर दिया। - टिम गुस्ताफ्सन


वास्तविक संयम कमजोरी नहीं है, क्योंकि यह वास्तविक सामर्थ्य से ही संभव है।

इसलिये जब कि लड़के मांस और लोहू के भागी हैं, तो वह आप भी उन के समान उन का सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे। और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्‍व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले। - इब्रानियों 2:14-15

बाइबल पाठ: यूहन्ना 18:10-14, 33-37
John 18:10 शमौन पतरस ने तलवार, जो उसके पास थी, खींची और महायाजक के दास पर चला कर, उसका दाहिना कान उड़ा दिया, उस दास का नाम मलखुस था।
John 18:11 तब यीशु ने पतरस से कहा, अपनी तलवार काठी में रख: जो कटोरा पिता ने मुझे दिया है क्या मैं उसे न पीऊं?
John 18:12 तब सिपाहियों और उन के सूबेदार और यहूदियों के प्यादों ने यीशु को पकड़कर बान्‍ध लिया।
John 18:13 और पहिले उसे हन्ना के पास ले गए क्योंकि वह उस वर्ष के महायाजक काइफा का ससुर था।
John 18:14 यह वही काइफा था, जिसने यहूदियों को सलाह दी थी कि हमारे लोगों के लिये एक पुरूष का मरना अच्छा है।
John 18:33 तब पीलातुस फिर किले के भीतर गया और यीशु को बुलाकर, उस से पूछा, क्या तू यहूदियों का राजा है?
John 18:34 यीशु ने उत्तर दिया, क्या तू यह बात अपनी ओर से कहता है या औरों ने मेरे विषय में तुझ से कही?
John 18:35 पीलातुस ने उत्तर दिया, क्या मैं यहूदी हूं? तेरी ही जाति और महायाजकों ने तुझे मेरे हाथ सौंपा, तू ने क्या किया है?
John 18:36 यीशु ने उत्तर दिया, कि मेरा राज्य इस जगत का नहीं, यदि मेरा राज्य इस जगत का होता, तो मेरे सेवक लड़ते, कि मैं यहूदियों के हाथ सौंपा न जाता: परन्तु अब मेरा राज्य यहां का नहीं।
John 18:37 पीलातुस ने उस से कहा, तो क्या तू राजा है? यीशु ने उत्तर दिया, कि तू कहता है, क्योंकि मैं राजा हूं; मैं ने इसलिये जन्म लिया, और इसलिये जगत में आया हूं कि सत्य पर गवाही दूं जो कोई सत्य का है, वह मेरा शब्द सुनता है।


एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 32-33
  • इब्रानियों 1



बुधवार, 13 जून 2018

शब्द



   एक सभा में बोलने के लिए जब रेबेक्का मंच पर खड़ी हुई तो ख़राब माइक्रोफोन तथा धवनी प्रणाली के कारण, उसका बोला हुआ पहल वाक्य ही सभास्थल में गूंजने लगा। उसके लिए यह कुछ परेशान कर देने वाली बात थी कि उसी के शब्द उसके पास लौट कर आ रहे थे, और उसे अपने आप को अपने शब्दों को गूंजते हुए सुनने को नज़रंदाज़ करने के लिए संयोजित करना पड़ा।

   कल्पना कीजिए कि आप जो भी शब्द बोलें वो गूंजते हुए आपके पास बारंबार लौट कर आएँ। “मैं तुमसे प्रेम करता हूँ”; “गलती मेरी थी”; “प्रभु परमेश्वर आपका बहुत धन्यवाद”; “मैं आपके लिए प्रार्थना कर रहा हूँ” आदि शब्दों को बारंबार सुनते रहना तो अच्छा लगता है; परन्तु हमारे द्वारा कहे गए सभी शब्द भले, या नम्र, या दयालु नहीं होते हैं। उन क्रोध और आवेश में कहे गए शब्दों के विषय क्या कहें, जिन्हें कोई एक बार भी सुनना नहीं चाहता है, बारंबार सुनने की तो बात ही दूर की है। ऐसे शब्द वो होते हैं जिन्हें हम बहुधा वापस ले लेना चाहते हैं, परन्तु ले नहीं पाते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार दाऊद के समान, हमें भी प्रार्थना करनी चाहिए कि परमेश्वर हमारे शब्दों को नियंत्रित करे। दाऊद ने प्रार्थना की, “हे यहोवा, मेरे मुख का पहरा बैठा, मेरे होठों के द्वार पर रखवाली कर” (भजन 141:3)। हमें धन्यवादी होना चाहिए कि परमेश्वर ऐसा करना भी चाहता है। वह हमारी सहायता कर सकता है कि हम क्या बोलें, और हमारे होंठों की रखवाली भी कर सकता है।

   जब हम जो कहते हैं उसपर ध्यान देंगे, अपने शब्दों के लिए प्रार्थना करेंगे, तो परमेश्वर धैर्य के साथ हमें सिखाएगा और हमें आत्म-संयम के लिए सामर्थ्य भी प्रदान करेगा। सबसे उत्तम बात है कि यदि हम असफल भी हो जाएँ तो भी वह हमें क्षमा करने तथा हमारे सहायता करने के लिए सदा तैयार रहता है। - ऐनी सेटास


आत्म-संयम का महत्वपूर्ण भाग है अपने होंठों पर नियंत्रण करना।

यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है। - याकूब 1:26

बाइबल पाठ: भजन 141
Psalms 141:1 हे यहोवा, मैं ने तुझे पुकारा है; मेरे लिये फुर्ती कर! जब मैं तुझ को पुकारूं, तब मेरी ओर कान लगा!
Psalms 141:2 मेरी प्रार्थना तेरे साम्हने सुगन्ध धूप, और मेरा हाथ फैलाना, संध्या काल का अन्नबलि ठहरे!
Psalms 141:3 हे यहोवा, मेरे मुख का पहरा बैठा, मेरे होठों के द्वार पर रखवाली कर!
Psalms 141:4 मेरा मन किसी बुरी बात की ओर फिरने न दे; मैं अनर्थकारी पुरूषों के संग, दुष्ट कामों में न लगूं, और मैं उनके स्वादिष्ट भोजन वस्तुओं में से कुछ न खाऊं!
Psalms 141:5 धर्मी मुझ को मारे तो यह कृपा मानी जाएगी, और वह मुझे ताड़ना दे, तो यह मेरे सिर पर का तेल ठहरेगा; मेरा सिर उस से इन्कार न करेगा।। लोगों के बुरे काम करने पर भी मैं प्रार्थना में लवलीन रहूंगा।
Psalms 141:6 जब उनके न्यायी चट्टान के पास गिराए गए, तब उन्होंने मेरे वचन सुन लिये; क्योंकि वे मधुर हैं।
Psalms 141:7 जैसे भूमि में हल चलने से ढेले फूटते हैं, वैसे ही हमारी हडि्डयां अधोलोक के मुंह पर छितराई हुई हैं।
Psalms 141:8 परन्तु हे यहोवा, प्रभु, मेरी आंखे तेरी ही ओर लगी हैं; मैं तेरा शरणागत हूं; तू मेरे प्राण जाने न दे!
Psalms 141:9 मुझे उस फन्दे से, जो उन्होंने मेरे लिये लगाया है, और अनर्थकारियों के जाल से मेरी रक्षा कर!
Psalms 141:10 दुष्ट लोग अपने जालों में आप ही फंसें, और मैं बच निकलूं।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • एज्रा 6-8
  • यूहन्ना 21



गुरुवार, 25 जनवरी 2018

शब्द


   मेरी बेटी हाल ही में काफी बीमार रही, और उसका पति उसकी बहुत देखभाल करता रहा, उसके साथ बहुत सहयोगी रहा। मैंने अपनी बेटी से कहा, “तुम्हारे पास वास्तव में बहुत बड़ा खज़ाना है।” मेरी बेटी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, “आप ऐसा तब तो नहीं सोचते थे जब मैं ने पहले-पहल उनसे मिलना आरंभ किया था।”

   उसका कहना ठीक था। जब उन दोनों की सगाई हुई थी तब मैं उनके भविष्य के बारे में बहुत चिन्तित था, क्योंकि उन दोनों के व्यक्तित्व इतने भिन्न थे। हमारा परिवार बड़ा है और बहुत बातूनी भी, और मेरी बेटी का मंगेतर स्वभाव से गंभीर और शान्त रहने वाला है। इसलिए इस विषय को लेकर उनके संबंधों के बारे में अपनी मेरी शंकाएं मैंने अपने बेटी के साथ खुलकर व्यक्त की थीं।

   मुझे यह जानकार बहुत ग्लानि हुई कि 15 वर्ष पहले जो मैंने अपनी बेटी से कहा था, वह आज भी उसे स्मरण रखे हुए थी, और मेरे वे शब्द एक अच्छे और आनंदमय संबंध का अन्त कर सकते थे। इस घटना से मुझे सबक मिला कि मुझे अपने शब्दों के बारे में बहुत संयम रखना चाहिए। हम में से कितने ऐसे हैं जो किसी परिवार जन, मित्र या सहकर्मी में दिखने वाली किसी कमी को बड़ी शीघ्रता से बोल देते है; या किसी को उसकी गलतियों को बताने में तो बहुत शीघ्रता दिखाते हैं परन्तु उनकी भलाईयों को व्यक्त करने के प्रति वैसी तत्परता नहीं दिखाते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा है, “वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है...” (याकूब  3:5), परन्तु इस छोटे से अंग से जो शब्द निकलते हैं उनके कारण किसी कार्यस्थल, परिवार, या चर्च में परस्पर संबंध टूट सकते हैं, संघर्ष आरंभ हो सकते हैं, या शान्ति और एकता आ सकती है। इसलिए हमें दाऊद की प्रार्थना: “हे यहोवा, मेरे मुख का पहरा बैठा, मेरे होठों के द्वार पर रखवाली कर!” (भजन 141:3) को अपनी प्रार्थना बना लेना चाहिए, और अपने शब्दों को बहुत सोच-विचार कर बोलना चाहिए। - मेरियन स्ट्राउड


जैसे चान्दी की टोकरियों में सोनहले सेब हों 
वैसे ही ठीक समय पर कहा हुआ वचन होता है। - नीतिवचन 25:11

और मैं तुम से कहता हूं, कि जो जो निकम्मी बातें मनुष्य कहेंगे, न्याय के दिन हर एक बात का लेखा देंगे। क्योंकि तू अपनी बातों के कारण निर्दोष और अपनी बातों ही के कारण दोषी ठहराया जाएगा। - मत्ती 12:36-37

बाइबल पाठ: याकूब  3:1-12
James 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे।
James 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है।
James 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं।
James 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्‍ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं।
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है।
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है।
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं।
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है।
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं।
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं।
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए।
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।


एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 12-13
  • मत्ती 16



रविवार, 14 मई 2017

सुनना


   एक शाम, हमारे छोटे से चर्च में, एक युवा मिशनरी ने प्रवचन दिया। जिस देश में वह और उसकी पत्नि सेवकाई करते थे, उसमें धर्म के नाम पर बहुत उथल-पुथल चल रही थी, और वहाँ की स्थिति बच्चों के लिए बहुत खतरनाक मानी जाती थी। वहाँ की घटनाएं बताते हुए उसने एक आप-बीती हृदय-विदारक घटना का उल्लेख किया, जब उसे अपनी बेटी को एक विद्यालय के हॉस्टल में छोड़कर आना पड़ा और उसकी बेटी उससे बहुत आग्रह करती रही कि वह उसे छोड़कर न जाए।

   उस समय मैं हाल ही में पिता बना था, मुझे एक बेटी की आशीष प्राप्त हुई थी। उस मिशनरी से यह घटना सुन कर मैं अपने आप से बुड़बुड़ाने लगा, "कोई प्रेमी माता-पिता अपनी बेटी को ऐसे अकेला छोड़कर कैसे आ सकते हैं?" उस मिशनरी द्वारा अपना प्रवचन समाप्त करने के समय तक, इस बात को लेकर मैं इतना खिसिया चुका था कि मैंने उस मिशनरी से भेंट करने का निमंत्रण भी ठुकरा दिया, और आवेश में चर्च के बाहर यह कहता हुआ निकला: "मैं प्रसन्न हूँ कि मैं उसके समान नहीं हूँ...।"

   उसी पल, परमेश्वर के पवित्र आत्मा ने मुझे वहीं रोक दिया। मैं अपने मुँह से निकल रहा वाक्य भी पूरा नहीं कर पाया। मैं लगभग वही शब्द दोहरा रहा था जो उस फरीसी ने अपनी प्रार्थना में परमेश्वर से कहे थे: "...हे परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, कि मैं और मनुष्यों की नाईं ..." (लूका 18:11)। मैं अपने आप से बहुत निराश हुआ; और मुझे बोध हुआ कि परमेश्वर भी मुझसे बहुत निराश हुआ होगा!

   उस शाम के बाद से मैंने परमेश्वर से माँगा है कि वह मुझे दूसरों की बात नम्रता और संयम से सुनने वाला बनाए, जब वे अपने हृदय के भाव, अपनी दुःख और पीड़ा, अपने अंगीकार सुनाते हैं। मैं उनकी परिस्थिति और आवश्यकता को समझ सकूँ, न कि जल्दबाज़ी में उन्हें जाँचने वाला या उनपर टिप्पणी करने वाला बनूँ। प्रभु मुझे सुनने का मन दे। - रैंडी किल्गोर


दूसरों का न्याय करने से हम परमेश्वर की निकटता में नहीं बढ़ते हैं।

जब तू परमेश्वर के भवन में जाए, तब सावधानी से चलना; सुनने के लिये समीप जाना मूर्खों के बलिदान चढ़ाने से अच्छा है; क्योंकि वे नहीं जानते कि बुरा करते हैं। बातें करने में उतावली न करना, और न अपने मन से कोई बात उतावली से परमेश्वर के साम्हने निकालना, क्योंकि परमेश्वर स्वर्ग में हैं और तू पृथ्वी पर है; इसलिये तेरे वचन थोड़े ही हों। - सभोपदेशक 5:1-2

बाइबल पाठ: लूका 18:9-14
Luke 18:9 और उसने कितनो से जो अपने ऊपर भरोसा रखते थे, कि हम धर्मी हैं, और औरों को तुच्‍छ जानते थे, यह दृष्‍टान्‍त कहा। 
Luke 18:10 कि दो मनुष्य मन्दिर में प्रार्थना करने के लिये गए; एक फरीसी था और दूसरा चुंगी लेने वाला। 
Luke 18:11 फरीसी खड़ा हो कर अपने मन में यों प्रार्थना करने लगा, कि हे परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, कि मैं और मनुष्यों की नाईं अन्‍धेर करने वाला, अन्यायी और व्यभिचारी नहीं, और न इस चुंगी लेने वाले के समान हूं। 
Luke 18:12 मैं सप्‍ताह में दो बार उपवास करता हूं; मैं अपनी सब कमाई का दसवां अंश भी देता हूं। 
Luke 18:13 परन्तु चुंगी लेने वाले ने दूर खड़े हो कर, स्वर्ग की ओर आंखें उठाना भी न चाहा, वरन अपनी छाती पीट-पीटकर कहा; हे परमेश्वर मुझ पापी पर दया कर। 
Luke 18:14 मैं तुम से कहता हूं, कि वह दूसरा नहीं; परन्तु यही मनुष्य धर्मी ठहराया जा कर अपने घर गया; क्योंकि जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजा 19-21
  • यूहन्ना 4:1-30


शुक्रवार, 11 मार्च 2016

ज़ुबान


   अमेरिका के भूतपुर्व राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन का एक नियम था - आवेश या क्रोध में आकर लिखे गए हर पत्र को भेजे जाने से पहले 24 घंटे उनकी मेज़ पर ही रखे रहना होता था। यदि 24 घंटे के शांत होने के समय के बीत जाने के बाद भी वे उस संबंध में वैसा ही सोचते थे जैसा पत्र लिखने के समय, तब तो पत्र भेज दिया जाता, अन्यथा वह मेज़ की एक दराज़ में डाल दिया जाता। उनके राष्ट्रपति काल के समाप्त होने तक, अनभेजे पत्रों से एक बड़ी दराज़ भर गई थी।

   हैरी टूमैन तो 24 घंटे का संयम रखते थे; किंतु तत्कालिक संचार के इस युग में यदि हम 24 मिनिट का भी बुद्धिमता पूर्ण संयम बरत लें तो ना जाने कितनी बातों में शर्मिंदा होने या उनके लिए पछतावा करने से बच सकते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने मानव इतिहास तथा संसार भर में बार-बार दोहराए जाने वाले प्रसंग - अनियंत्रित ज़ुबान से होने वाले नुकसानों के संबंध में लिखा: "पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है" (याकूब 3:8)।

   जब हम क्रोध या आवेश में आकर बोलते हैं, या फिर कानफूसी द्वारा बात इधर से उधर पहुँचाते हैं, तो हम अपने आप को परमेश्वर द्वारा दी गई नियंत्रण रेखा की सीमा के बाहर पाते हैं। उस संयम का ध्यान करके जो परमेश्वर हमारे प्रति दिखाता है, हमें अपनी ज़ुबान, कलम या कीबोर्ड द्वारा किसी को कुछ कहने या लिखने से पहले वैसे ही संयम का प्रयास करना चाहिए और परमेश्वर का उसके संयम के लिए धन्यवादी होना चाहिए। जब कभी हम अनियंत्रित होकर कुछ कहते या करते हैं, हम मानव होने के कारण अपनी कमज़ोरी और टूटेपन का एहसास दुसरों को करवाते हैं।

   यदि मसीह यीशु में विश्वास लाने से होने वाले परिवर्तन को हमें दूसरों को दिखाना है, तो अपनी ज़ुबान को नियंत्रित कर पाने से अधिक कुछ और दिखाने की शायद कोई आवश्यकता नहीं होगी। यदि हम अपनी ज़ुबान को नियंत्रित रख कर परमेश्वर के समान प्रेम और संयम को दुसरों के प्रति दिखाते हैं तो अवश्य ही लोगों का ध्यान खेंचने पाएंगे। - रैंडी किल्गोर


जो अपने मुंह को वश में रखता है वह अपने प्राण को विपत्तियों से बचाता है। - नीतिवचन 21:23

यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है। - याकूब 1:26

बाइबल पाठ: याकूब 3:1-11
James 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे। 
James 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है। 
James 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं। 
James 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्‍ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं। 
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है। 
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। 
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं। 
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है। 
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं। 
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं। 
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए। 
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 14-16
  • मरकुस 12:28-44


सोमवार, 22 अप्रैल 2013

संयम


   प्रसिद्ध अमेरीकी अभिनेता जॉन वेन ने एक बार कहा था, "धीमा बोलें, धीरे बोलें और कम बोलें।" मेरे लिए उनका यह परामर्श मानना कठिन है क्योंकि मैं तेज़ गति से बोलने वाली हूँ, ऊँची आवाज़ में बोलती हूँ और जब बोलती हूँ तो बहुत कुछ कह जाती हूँ। लेकिन अपने शब्दों पर नियंत्रण रखना क्रोध तथा आवेश की स्थिति को काबू में रखने के लिए एक बहुत उपयोगी माध्यम हो सकता है। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि "...हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो" (याकूब 1:19), तथा "कोमल उत्तर सुनने से जलजलाहट ठण्डी होती है, परन्तु कटुवचन से क्रोध धधक उठता है" (नीतिवचन 15:1)।

   बाइबल में न्यायियों के समय की घटना इन शिक्षाओं का जीवता उदाहरण है। न्यायियों की पुस्तक के 8 अध्याय में कुछ इस्त्राएलियों की गिदोन के साथ झड़प हुई। इस्त्राएली क्रोधित थे क्योंकि गिदोन उन्हें अपने साथ लिए बिना ही युद्ध के लिए निकल गया था और मिदियानी सेना को उखाड़ फेंका था - वास्तव में गिदोन परमेश्वर की आज्ञा पर परमेश्वर द्वारा उसे प्रदान किए गए केवल 300 लोगों के साथ ही मिदियानी सेना से युद्ध के लिए गया था। जब उसने मिदियानी सेना को उखाड़ फेंका और मिदियानी तितर-बितर होकर इधर-उधर भागने लगे तब गिदोन ने शेष इस्त्राएल के लोगों को उनका पीछा करके घात करने का सन्देश भेजा। इस जय का मुख्य श्रेय गिदोन को मिलने से बाकी इस्त्राएली चिढ़े हुए थे। गिदोन ने प्रत्युत्तर में उन्हें कोई कटु उत्तर नहीं दिया और ना ही उन पर कोई कटाक्ष किया। इसके विपरीत उसने बड़ी नम्रता से व्यवहार किया और उन इस्त्राएलियों को स्मरण कराया कि मिदियानी राजाओं को पकड़ने वाले और घात करने वाले तो वे ही थे, जबकि गिदोन सैनिकों के साथ ही युद्ध में उलझा था; उसने कहा: "तुम्हारे ही हाथों में परमेश्वर ने ओरब और जेब नाम मिद्यान के हाकिमों को कर दिया; तब तुम्हारे बराबर मैं कर ही क्या सका? जब उसने यह बात कही, तब उनका जी उसकी ओर से ठंड़ा हो गया" (न्यायियों 8:3)। गिदोन ने क्रोधित इस्त्राएलियों को आदर भी दिया और उनके क्रोध को शांत भी किया, और फिर इस्त्राएलियों ने उसे अपना न्यायी भी ठहरा लिया।

   परमेश्वर की सहायता से, अपने शब्दों को नियंत्रण में रखने के द्वारा हम क्रोधित लोगों और विस्फोटक स्थितियों को नियंत्रण में ला सकते हैं और उत्तेजित वातावरण को शांत कर सकते हैं। संयम और नम्रता का व्यवहार लोगों के क्रोध को शांत करने और आपसी मेलजोल को बढ़ाने तथा परमेश्वर की महिमा के लिए एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करने में बहुत उपयोगी होता है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


इससे पहले कि आपकी जीभ दूसरों को कष्ट दे, आप अपनी जीभ को दबा लें।

कोमल उत्तर सुनने से जलजलाहट ठण्डी होती है, परन्तु कटुवचन से क्रोध धधक उठता है। - नीतिवचन 15:1

बाइबल पाठ: न्यायियों 7:24-8:3
Judges 7:24 और गिदोन ने एप्रैम के सब पहाड़ी देश में यह कहने को दूत भेज दिए, कि मिद्यानियों से मुठभेड़ करने को चले आओ, और यरदन नदी के घाटों को बेतबारा तक उन से पहिले अपने वश में कर लो। तब सब एप्रैमी पुरूषों ने इकट्ठे हो कर यरदन नदी को बेतबारा तक अपने वश में कर लिया।
Judges 7:25 और उन्होंने ओरेब और जेब नाम मिद्यान के दो हाकिमों को पकड़ा; और ओरेब को ओरेब नाम चट्टान पर, और जेब को जेब नाम दाखरस के कुण्ड पर घात किया; और वे मिद्यानियों के पीछे पड़े; और ओरेब और जेब के सिर यरदन के पार गिदोन के पास ले गए।
Judges 8:1 तब एप्रैमी पुरूषों ने गिदोन से कहा, तू ने हमारे साथ ऐसा बर्ताव क्यों किया है, कि जब तू मिद्यान से लड़ने को चला तब हम को नहीं बुलवाया? सो उन्होंने उस से बड़ा झगड़ा किया।
Judges 8:2 उसने उन से कहा, मैं ने तुम्हारे समान भला अब किया ही क्या है? क्या एप्रैम की छोड़ी हुई दाख भी अबीएजेर की सब फसल से अच्छी नहीं है?
Judges 8:3 तुम्हारे ही हाथों में परमेश्वर ने ओरब और जेब नाम मिद्यान के हाकिमों को कर दिया; तब तुम्हारे बराबर मैं कर ही क्या सका? जब उसने यह बात कही, तब उनका जी उसकी ओर से ठंड़ा हो गया।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 14-15 
  • लूका 17:1-19


मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

ज्वालामुखी


   उसमें विस्फोटक शक्ति है, अपने मार्ग में आने वाली हर वस्तु को वह भस्म कर डालता है और उसका प्रभाव आणविक विस्फोट के समान विनाशकारी होता है। जब क्रोध किसी व्यक्ति विशेष को निशाना बना कर प्रदर्षित किया जाए तब वह किसी फटते हुए ज्वालामुखी के समान ही होता है। क्रोध के आवेश का वह समय चाहे थोड़े सी देर का ही हो लेकिन अपने पीछे ध्वस्त भावनाएं, आहत संबंध और पीड़ादायक कटु अनुभव छोड़ जाता है जो लंबे समय तक कष्ट देते रहते हैं।

   दुख की बात यह भी है कि वे लोग जिनसे हम प्रेम करते हैं और जिनके साथ हम समय व्यतीत करते हैं, वे ही हमारे क्रोध और आहत करने वाले शब्दों का सबसे अधिक शिकार होते हैं। चाहे हम आवेश में आकर क्रोधित हों या किसी बात से उकसाए गए हों, प्रतिक्रीया के लिए एक चुनाव सदा ही हमारे हाथ में होता है - हमारी प्रतिक्रीया क्रोध में होगी या संयम तथा सहनशीलता के साथ।

   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि "सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए। और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो" (इफिसियों ४:३१-३२)।

   यदि आप क्रोध करने की आदत से परेशान हैं और इसके कारण आपके संबंधों पर प्रभाव आ रहा है तो अपनी इस कमज़ोरी को प्रभु यीशु के हाथों में सौंप दें क्योंकि उसी की सामर्थ से आप इस पर जयवंत हो सकते हैं: "जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं" (फिलिप्पियों ४:१३)। परमेश्वर से अपने अनियंत्रित व्यवहार और क्रोध के लिए क्षमा माँगें और उस से प्रार्थना करें कि वह आपको अपनी भावनाओं और आवेश को नियंत्रित करने की सामर्थ दे तथा दूसरों को अपने से अधिक आदर देने वाला बनाए: "भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो" (रोमियों १२:१०)। अन्य परिपक्व मसीही विश्वासियों से सहायता लें, उनकी संगति में रहें और उनसे सीखें कि उत्तेजित होने पर अपने आप को कैसे संयम में रखें।

   यदि परमेश्वर का आदर करने, उसे प्रसन्न करने तथा उसके प्रेम को दूसरों के सामने प्रदर्शित करने की सच्ची मनोभावना मन में होगी तो अपने ज्वालामुखी समान क्रोध पर जयवन्त भी अवश्य होंगे। - सिंडी हैस कैसपर


दूसरों पर अपना क्रोध उँडेल देना क्रोध से छुटकारा पाने का तरीका नहीं है।

क्रोध करने वाला मनुष्य झगड़ा मचाता है और अत्यन्त क्रोध करने वाला अपराधी होता है। - नीतिवचन २९:२२

बाइबल पाठ: इफिसियों ४:२०-३२
Ephesians 4:20 पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई।
Ephesians 4:21 वरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए।
Ephesians 4:22 कि तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्‍व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्‍ट होता जाता है, उतार डालो।
Ephesians 4:23 और अपने मन के आत्मिक स्‍वभाव में नये बनते जाओ।
Ephesians 4:24 और नये मनुष्यत्‍व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है।
Ephesians 4:25 इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
Ephesians 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
Ephesians 4:27 और न शैतान को अवसर दो।
Ephesians 4:28 चोरी करने वाला फिर चोरी न करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो।
Ephesians 4:29 कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
Ephesians 4:30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।
Ephesians 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
Ephesians 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १३ 
  • मत्ती २६:२६-५०


शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

एक विशेष सदगुण


   अपनी पुस्तक Food in the Medieval Times में लेखिका मेलिटा ऐडमसन ने मध्य युग में युरोप के लोगों के भोजन के बारे में बताया है। शिकार करना, केक-पेस्ट्री-पुडिंग आदि व्यंजन बनाना और खाना उस समय के लोगों की रुचि होती थी। इस रुचि के साथ एक समस्या भी थी - पेटुपन, अर्थात अपनी आवश्यकता से अधिक खाना। अत्याधिक खा लेने की प्रवृति साल भर त्यौहारों और मनाए जाने वाले दिवसों की बहुतायत के कारण और भी विकट हो जाती थी। यदि कुछ समय का उपवास भी होता था, तो उसके तुरंत बाद लोग फिर टूट कर भोजन पर जा पड़ते थे।

   इस समस्या के निवारण के लिए धर्मशास्त्री और शिक्षक थोमस एक्वीनस ने मसीही विश्वास के एक सदगुण - संयम को एक विशेष सदगुण का स्थान दिया और उसे जीवन के प्रत्येक पहलू में लागू करने से होने वाली भलाई के बारे में लोगों को सिखाया।

   संयम का यह सदगुण किसी मानवीय दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण उत्पन्न नहीं होता। मसीही विश्वासी के लिए यह सदगुण परमेश्वर के पवित्र आत्मा द्वारा दिए गए आत्मा के फलों में से एक है: "पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्‍द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई व्यवस्था नहीं" (गलतियों ५:२२-२३)। संयम, पवित्र आत्मा द्वारा दी गई वह सामर्थ है जो हमें हर बात में समझ-बूझ के साथ जो और जितना उचित है उतने तक ही करने की योग्यता देती है।

   हम सबको जीवन के हर क्षेत्र में संयम के प्रयोग से लाभ ही मिलता है; चाहे वह भोजन करना, कार्य करना, आराम करना, सेवकाई में जाना या अन्य कुछ भी हो। कोई भी बात जो संतुलन और उचित मात्रा में लभदायक होती है, उसकी अति नुकसान ही देती है। आज अपने जीवन का विशलेषण करके देखिए, कहीं आप किसी बात में उचित और संतुलित की सीमा से बाहर तो नहीं हैं? वह उचित और संतुलित को लागू करने के लिए परमेश्वर से संयम मांगने की प्रार्थना में आपको कुछ पल ही लगाने पड़ेंगे, परन्तु उसके लाभ जीवन भर आपके साथ रहेंगे।

   संयम - पवित्र आत्मा का फल और एक विशेष सदगुण जो जीवन में भलाई ही लेकर आता है। अपने जीवनों में इसे अवश्य ही एक विशेष स्थान दीजिए। - डेनिस फिशर


संयम पाने के लिए परमेश्वर के आत्मा की आधीनता में आ जाईए।

पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्‍द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई व्यवस्था नहीं। - गलतियों ५:२२-२३

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ९:२४-२७
1Co 9:24  क्‍या तुम नहीं जानते, कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्‍तु इनाम एक ही ले जाता है तुम वैसे ही दौड़ो, कि जीतो। 
1Co 9:25  और हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है, वे तो एक मुरझाने वाले मुकुट को पाने के लिये यह सब करते हैं, परन्‍तु हम तो उस मुकुट के लिये करते हैं, जो मुरझाने का नहीं। 
1Co 9:26  इसलिये मैं तो इसी रीति से दौड़ता हूं, परन्‍तु बेठिकाने नहीं, मैं भी इसी रीति से मुक्कों से लड़ता हूं, परन्‍तु उस की नाईं नहीं जो हवा पीटता हुआ लड़ता है। 
1Co 9:27   परन्तु मैं अपनी देह को मारता कूटता, और वश में लाता हूं, ऐसा न हो कि औरों को प्रचार करके, मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूं। 

एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह ४६-४७ 
  • इब्रानियों ६

गुरुवार, 13 सितंबर 2012

संयम


   दुसरे विश्वयुद्ध के निर्णायक समय में संगठित सेना के सर्वोच्च सेनापति ड्वाईट डी. आईज़नहावर संसार के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति थे। उनके नेतृत्व में, संसार के इतिहास में जल-थल सेना का सबसे बड़ा जमावड़ा, युरोप को नाट्ज़ी प्रभुसत्ता से छुड़ाने के लिए तैयार हुआ। इतनी विशाल सेना का संचालन आईज़नहावर कैसे करने पाए? इस प्रश्न के उत्तर का एक भाग है उनकी अन्य और भिन्न प्रवृत्ति के लोगों के साथ भी मिलकर कार्य कर पाने की विलक्षण प्रतिभा।

   लेकिन जो बात बहुत से लोग नहीं जानते वह यह है कि आईज़नहावर बचपन से ऐसे नहीं थे, वरन इसके विपरीत स्कूल के दिनों में वे अकसर अन्य बच्चों के साथ लड़ते-झगड़ते रहते थे। लेकिन उनकी माता एक बहुत संयमी और ध्यान रखने वाली महिला थीं जो उन्हें परमेश्वर के वचन बाइबल से सिखाती रहती थीं। एक बार जब वे ऐसी ही किसी लड़ाई में लगी आईज़नहावर की चोटों की मरहम-पट्टी कर रहीं थीं तो उन्होंने परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन १६:३२ में लिखे पद को उनके सामने रखा, "विलम्ब से क्रोध करना वीरता से, और अपने मन को वश में रखना, नगर के जीत लेने से उत्तम है"। वर्षों बाद आईज़नहावर ने इसके बारे में लिखा, "माँ से हुए उस वार्तालाप को मैं अपने जीवन के सबसे मुल्यवान समयों में मानता हूँ।" निश्चय ही संयम और क्रोध को वश में करने की उस शिक्षा ही ने आईज़नहावर को दुसरों के साथ मिलकर कार्य करने और प्रभावी होने वाला बनाया और इतनी ऊँचाईयों तक पहुँचाया।

   हम सब के जीवनों में ऐसे समय अवश्य ही आएंगे जब किसी अन्य व्यक्ति पर क्रोध और आवेश में आकर कुछ कहने और करने का मन होगा। लेकिन ये ही संयम दिखाने के सबसे बहुमूल्य अवसर हैं जहां परमेश्वर और उसके वचन की सहायता से, अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के समान, हम ना केवल अपने क्रोध को वश में रखना और धैर्य से काम लेना सीख सकते हैं, वरन ऐसा करके संसार के लोगों में प्रभावी और परमेश्वर की महिमा का कारण भी बन सकते हैं।

   एक नम्र और संयमी आत्मा ही प्रभावी और प्रभु को प्रीय आत्मा है। - डेनिस फिशर


जो क्रोध पर जयवन्त है वह एक बहुत प्रबल शत्रु पर जयवन्त है।

विलम्ब से क्रोध करना वीरता से, और अपने मन को वश में रखना, नगर के जीत लेने से उत्तम है। - नीतिवचन १६:३२

बाइबल पाठ: नीतिवचन १६:२१-३३
Pro 16:21  जिसके हृदय में बुद्धि है, वह समझ वाला कहलाता है, और मधुर वाणी के द्वारा ज्ञान बढ़ता है। 
Pro 16:22  जिसके बुद्धि है, उसके लिये वह जीवन का सोता है, परन्तु मूढ़ों को शिक्षा देना मूढ़ता ही होती है। 
Pro 16:23  बुद्धिमान का मन उसके मुंह पर भी बुद्धिमानी प्रगट करता है, और उसके वचन में विद्या रहती है। 
Pro 16:24  मनभावने वचन मधुभरे छते की नाईं प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं। 
Pro 16:25  ऐसा भी मार्ग है, जो मनुष्य को सीधा देख पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है। 
Pro 16:26  परिश्रमी की लालसा उसके लिये परिश्रम करती है, उसकी भूख तो उसको उभारती रहती है। 
Pro 16:27  अधर्मी मनुष्य बुराई की युक्ति निकालता है, और उसके वचनों से आग लग जाती है। 
Pro 16:28  टेढ़ा मनुष्य बहुत झगड़े को उठाता है, और कानाफूसी करने वाला परम मित्रों में भी फूट करा देता है। 
Pro 16:29  उपद्रवी मनुष्य अपने पड़ोसी को फुसलाकर कुमार्ग पर चलाता है। 
Pro 16:30  आंख मूंदने वाला छल की कल्पनाएं करता है, और ओंठ दबाने वाला बुराई करता है। 
Pro 16:31  पक्के बाल शोभायमान मुकुट ठहरते हैं; वे धर्म के मार्ग पर चलने से प्राप्त होते हैं। 
Pro 16:32  विलम्ब से क्रोध करना वीरता से, और अपने मन को वश में रखना, नगर के जीत लेने से उत्तम है। 
Pro 16:33  चिट्ठी डाली जाती तो है, परन्तु उसका निकलना यहोवा ही की ओर से होता है।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन १६-१८ 
  • २ कुरिन्थियों ६

मंगलवार, 3 जुलाई 2012

धीरज


   बचपन की मेरी यादों में से एक है अपने घर के आंगन में लगे बगीचे में घूमते घोंघों को निहारना। मैं इस छोटे से जीव से मन्त्रमुग्ध सा रहता था - उसका कठोर खोल, लिसलिसा शरीर और छोटी छोटी आंखें जो दूर्बीन के समान इधर-उधर घूमती थीं मुझे विस्मित करती रहती थीं; लेकिन जो बात सबसे अधिक विस्मित करती थी वह थी घोंघे की धीमी चाल।

   घोंघे के चलने की गति क्या होती है? एक परीक्षण में यह गति ०.००७५८ मील प्रति घंटा, अर्थात ४० फुट प्रति घंटा आंकी गई। कोई आश्चर्य नहीं कि हम धीमी चाल वालों को "घोंघे की गति से चलने वाला" कहते हैं।

   घोंघा चाहे बहुत धीमी गति से चलता हो, लेकिन उस में एक गुण है - धीरज। चार्ल्स स्परजन, जो १९वीं सदी के महान प्रचारकों में से थे, ने कहा "अपने धीरज के द्वारा ही घोंघा भी नूह के जहाज़ में आ गया।"

   परमेश्वर के वचन बाइब्ल में प्रेरित पौलुस ने सिखाया कि धीरज ही चरित्र निर्माण का आधार है। रोमियों के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उन्होंने लिखा, "केवल यही नहीं, वरन हम क्‍लेशों में भी घमण्‍ड करें, यही जानकर कि क्‍लेश से धीरज, और धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्‍पन्न होती है" (रोमियों ५:३-४)। मूल यूनानी भाषा में प्रयुक्त जिस शब्द का अनुवाद "धीरज" किया गया है उस के अर्थ में "दृढ़ता के साथ स्थिर रहना, विचिलित होकर बदलने वाला नहीं वरन लगातार एक समान बने रहने वाला और सहनशक्ति रखने वाला" भी सम्मिलित थे। यह शब्द उन मसीही विश्वासियों के लिए प्रयुक्त हुआ था जो अनेक कठिन और क्लेशपूर्ण परीक्षाओं के बावजूद मसीही विश्वास में स्थिर बने रहे थे।

   क्या मसीही विश्वास के जीवन में आने वाली बाधाओं और असफलताओं ने आपको निराश कर दिया है, घोंघे के समान धीमा कर दिया है? घोंघे से ही धीरज और लगे रहने का सबक लीजिए। परमेश्वर को आपकी गति नहीं आपकी विश्वासयोग्यता चाहिए। 

   धीरज के साथ परमेश्वर के कार्य में लगे रहिए। - डेनिस फिशर


महान उपलब्धियों के लिए बड़े धीरज की आवश्यक्ता होती है।

केवल यही नहीं, वरन हम क्‍लेशों में भी घमण्‍ड करें, यही जानकर कि क्‍लेश से धीरज, और धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्‍पन्न होती है। - रोमियों ५:३-४

बाइबल पाठ: रोमियों ५:१-५
Rom 5:1  सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें। 
Rom 5:2  जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्‍ड करें। 
Rom 5:3  केवल यही नहीं, वरन हम क्‍लेशों में भी घमण्‍ड करें, यही जानकर कि क्‍लेश से धीरज। 
Rom 5:4  ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्‍पन्न होती है। 
Rom 5:5  और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्‍योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है।

एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब २५-२७ 
  • प्रेरितों १२

बुधवार, 6 जून 2012

नायक

   नैतिकता के आधार पर सेना की कुछ गतिविधियों से आपत्ति रखने वाले कॉर्पोरल डेस्मन्ड डौस अमेरिका के सर्वोच्च सैनिक पदक - Congressional Medal of Honor को पाने वाले ऐसे पहले सैनिक थे। सच्ची लगन और समर्पण वाले प्रभु यीशु मसीह के शिष्य, डौस, का मानना था कि किसी की हत्या करना उनके लिए गलत है, लेकिन वे अपने देश की सेवा से भी चूकना नहीं चाहते थे; इसलिए उन्होंने सेना की चिकित्सा सेवा में भर्ती ली। प्रशिक्षण के दौरान उनके साथ के सैनिक, राइफल ना चलाने के कारण उनका मज़ाक उड़ाते थे। जब रात को सोने से पहले वे अपनी बाइबल पढ़ते और फिर पलंग के किनारे घुटने टेक कर प्रार्थना करते थे, तो वे लोग उनका ठठ्ठा करते थे। किंतु जब युद्ध समय आया तो कहानी बहुत फर्क थी।

   दूसरे विश्वयुद्ध में मई १९४५ में ओकिनावा के युद्ध के समय डौस ने बारंबार अपने जीवन को जोखिम में डाल कर युद्धभूमि में अनेक घायलों की जान बचाई। अपनी इस निस्वार्थ सेवा कार्य के कारण उन्होंने ना केवल उनका आदर और कृतज्ञता प्राप्त करी जिनकी उन्होंने जान बचाई थी, वरन अपने आलोचकों और ठठ्ठा करने वालों से भी प्रशंसा प्राप्त करी। डौस का यह व्यवहार और उसका प्रतिफल, परमेश्वर के वचन बाइबल से उन्हें मिली शिक्षाओं के आधार पर था।

   प्रभु यीशु के चेले प्रेरित पतरस ने अपनी पत्री में प्रभु यीशु के अनुयायीयों को अनुचित और अन्यायपूर्ण आलोचना के विष्य में लिखा, कि वे इस से ना घबराएं, वरन अपने जीवन में परमेश्वर को आदर देते हुए नम्रता के साथ अपनी आशा के विष्य में पूछने वालों को उत्तर देने के लिए तैयार सदा तैयार रहें : "और यदि तुम धर्म के कारण दुख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर उन के डराने से मत डरो, और न घबराओ। पर मसीह को प्रभु जान कर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ" (१ पतरस ३:१४-१५)।

   आज यही व्यवहार, इस मसीह विरोधी और पाप से दुखी संसार के लोगों को, प्रत्येक मसीही विश्वासी के जीवन में दिखना चाहिए जिससे वे परमेश्वर के प्रेम और क्षमा का अनुभव ले सकें, और पापों से फिरने के महत्व को जान सकें। - डेविड मैक्कैसलैंड


भलाई के बदले भलाई करना तो मानवीय, परन्तु बुराई के बदले भलाई करना ईश्वरीय व्यवहार है।

और यदि तुम धर्म के कारण दुख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर उन के डराने से मत डरो, और न घबराओ। - १ पतरस ३:१४

बाइबल पाठ: १ पतरस ३:८-१७
1Pe 3:8  निदान, सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखने वाले, और करूणामय, और नम्र बनो।
1Pe 3:9  बुराई के बदले बुराई मत करो, और न गाली के बदले गाली दो; पर इस के विपरीत आशीष ही दो: क्‍योंकि तुम आशीष के वारिस होने के लिये बुलाए गए हो।
1Pe 3:10  क्‍योंकि जो कोई जीवन की इच्‍छा रखता है, और अच्‍छे दिन देखना चाहता है, वह अपनी जीभ को बुराई से, और अपने होंठों को छल की बातें करने से रोके रहे।
1Pe 3:11  वह बुराई का साथ छोड़े, और भलाई ही करे; वह मेल मिलाप को ढूंढ़े, और उस के यत्‍न में रहे।
1Pe 3:12  क्‍योंकि प्रभु की आंखे धमिर्यों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उन की बिनती की ओर लगे रहते हैं, परन्‍तु प्रभु बुराई करने वालों के विमुख रहता है।
1Pe 3:13   और यदि तुम भलाई करने में उत्तेजित रहो तो तुम्हारी बुराई करने वाला फिर कौन है?
1Pe 3:14   और यदि तुम धर्म के कारण दुख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर उन के डराने से मत डरो, और न घबराओ।
1Pe 3:15   पर मसीह को प्रभु जान कर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ।
1Pe 3:16  और विवेक भी शुद्ध रखो, इसलिये कि जिन बातों के विषय में वे जो तुम्हारे मसीही अच्‍छे चालचलन का अपमान करते हैं लज्ज़ित हों।
1Pe 3:17  क्‍योंकि यदि परमेश्वर की यही इच्‍छा हो, कि तुम भलाई करने के कारण दुख उठाओ, तो यह बुराई करने के कारण दुख उठाने से उत्तम है।


एक साल में बाइबल: 

  • २ इतिहास २५-२७ 
  • यूहन्ना १६

शनिवार, 24 मार्च 2012

सबसे बुरी संभावना

   जब मैं बाइबल स्कूल में पढ़ाता था तो कभी कभी यात्रा के समय अपनी ट्रेन की प्रतीक्षा करते समय, स्टेशन के एक होटल में बैठ कर विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं जांचने में समय व्यतीत करता था। मेरे समान अन्य यात्री भी वहां बैठकर आपने अपने काम में लगे ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे होते थे। ऐसे में एक सामन्य व्यवहार है कि बैठे यात्री दूसरे किसी यात्री की किसी बात पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं देते, शांत रहते हैं। एक दिन ऐसे ही काम करते करते असावधानी में मैंने अपना कॉफी का भरा हुआ बड़ा कप अपने खुले हुए ब्रीफकेस में गिरा लिया और वे सारी उत्तर पुस्तिकाएं उस से खराब हो गईं। मेरे पास बैठा एक अन्य यात्री अपने आप को रोक नहीं सका और सुनाई दे सकने वाली आवाज़ में बोल उठा, "सबसे बुरी संभावना घटित हो ही गई!"

   उस यात्री की यह टिप्पणी तो एक अतिश्योक्ति थी, किंतु यह भी सच है कि हम में से हर एक जन किसी न किसी बात से अबसे अधिक डरता है; वह चाहे आर्थिक हानि हो, या परिवार के किसी सदस्य की हानि, या कैंसर जैसी कोई भयानक बिमारी या फिर कोई कठिनाई, इत्यादि। सबके मन में कुछ न कुछ रहता है जिस के घटित होने की आशंका हमारे मन में दुविधा उत्पन्न करती है।

   परमेशवर के वचन बाइबल में अय्युब की पुस्तक इन सबसे बुरी संभावनाओं के एक धर्मी व्यक्ति अय्युब के जीवन में घटित होने का वर्णन है। भयानक दुखों, असहनीय शारीरिक पीड़ाओं और समझ से बाहर परिस्थितियों में भी अय्युब ने परमेश्वर की भूमिका को सही रूप में समझा और कहा: "परन्तु वह जानता है, कि मैं कैसी चाल चला हूँ; और जब वह मुझे ता लेगा तब मैं सोने के समान निकलूंगा" (अय्युब २३:१०)। अय्युब के इस बुद्धिमानी से भरे कथन से हम दो बातें सीख सकते हैं: पहली यह कि हम जिससे सबसे अधिक आशंकित रहते हैं वही हमारे चरित्र कि परीक्षा और हमें सुधारने के लिए प्रयोग किया जा सकता है; और दूसरी यह कि हर परिस्थिति और परेशानी में परमेश्वर अपने बच्चों के साथ है और उस से पार निकल पाने के योग्य सामर्थ तथा सहायता देता है।

   प्रभु यीशु में विश्वास और पापों से पश्चाताप द्वारा परमेश्वर की संतान बनकर परमेश्वर से चिपटे रहें। वह सदा अपने वाय्दों में पक्का और अटल रहा है; उसने अपने बच्चों के पक्ष में होकर और सदैव उनकी भलाई ही के लिए कार्य करने का वायदा किया है, हमारी सबसे बुरी संभावना में भी। - डेनिस फिशर


जीवित परमेश्वर अपने बाचों के जीवन से भय निकालने में सक्षम है।

परन्तु वह जानता है, कि मैं कैसी चाल चला हूँ; और जब वह मुझे ता लेगा तब मैं सोने के समान निकलूंगा। - अय्युब २३:१०
बाइबल पाठ: अय्युब १:१-५,१३-२२
Job 1:1  ऊज़ देश में अय्यूब नाम एक पुरुष था; वह खरा और सीधा था और परमेश्वर का भय मानता और बुराई से परे रहता था।
Job 1:2  उसके सात बेटे और तीन बेटियां उत्पन्न हुई।
Job 1:3  फिर उसके सात हजार भेड़-बकरियां, तीन हजार ऊंट, पांच सौ जोड़ी बैल, और पांच सौ गदहियां, और बहुत ही दास-दासियां थीं; वरन उसके इतनी सम्पत्ति थी, कि पूरबियों में वह सब से बड़ा था।
Job 1:4  उसके बेटे उपने अपने दिन पर एक दूसरे के घर में खाने-पीने को जाया करते थे, और अपनी तीनों बहिनों को अपने संग खाने-पीने के लिये बुलवा भेजते थे।
Job 1:5  और जब जब जेवनार के दिन पूरे हो जाते, तब तब अय्यूब उन्हें बुलवाकर पवित्र करता, और बड़ी भोर उठकर उनकी गिनती के अनुसार होमबलि चढ़ाता था; क्योंकि अय्यूब सोचता था, कि कदाचित्‌ मेरे लड़कों ने पाप करके परमेश्वर को छोड़ दिया हो। इसी रीति अय्यूब सदैव किया करता था।
Job 1:13  एक दिन अय्यूब के बेटे-बेटियां बड़े भाई के घर में खाते और दाखमधु पी रहे थे;
Job 1:14  तब एक दूत अय्यूब के पास आकर कहने लगा, हम तो बैलों से हल जोत रहे थे, और गदहियां उनके पास चर रही थीं,
Job 1:15  कि शबा के लोग धावा करके उनको ले गए, और तलवार से तेरे सेवकों को मार डाला; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।
Job 1:16  वह अभी यह कह ही रहा था कि दूसरा भी आकर कहने लगा, कि परमेश्वर की आग आकाश से गिरी और उस से भेड़-बकरियां और सेवक जलकर भस्म हो गए; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।
Job 1:17  वह अभी यह कह ही रहा था, कि एक और भी आकर कहने लगा, कि कसदी लोग तीन गोल बान्धकर ऊंटों पर धावा करके उन्हें ले गए, और तलवार से तेरे सेवकों को मार डाला; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।
Job 1:18  वह अभी यह कह ही रहा था, कि एक और भी आकर कहने लगा, तेरे बेट-बेटियां बड़े भाई के घर में खाते और दाखमधु पीते थे,
Job 1:19  कि जंगल की ओर से बड़ी प्रचणड वायु चली, और घर के चारों कोनों को ऐसा झोंका मारा, कि वह जवानों पर गिर पड़ा और वे मर गए; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।
Job 1:20 तब अय्यूब उठा, और बागा फाड़, सिर मुंड़ाकर भूमि पर गिरा और दणडवत्‌ करके कहा,
Job 1:21  मैं अपनी मां के पेट से नंगा निकला और वहीं नंगा लौट जाऊंगा; यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया, यहोवा का नाम धन्य है।
Job 1:22  इन सब बातों में भी अय्यूब ने न तो पाप किया, और न परमेश्वर पर मूर्खता से दोष लगाया।
एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू १६-१८ 
  • लूका २:१-२४

शनिवार, 10 सितंबर 2011

संयम

   गाड़ी चलाने का लाईसेंस मिलने की आयु से पहले मुझे गाड़ी चलाने के बारे में सोचने मात्र से ही अजीब सा डर लगता था। मुझे लगता था कि अपने सामने खुली सड़क देखकर मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पाऊंगा और जितनी तेज़ संभव हो उतनी तेज़ गाड़ी चलाने लगूंगा। मुझे लगता ही नहीं था कि मुझ में इतना आत्म संयम होगा कि मैं नियमों और परिस्थितियों की आज्ञा से अधिक तेज़ गाड़ी को न चलाऊं। लेकिन जब समय आने पर मुझे गाड़ी चलाने का लाईसेंस मिला, तो साथ ही मैंने यह भी जाना कि गाड़ी को नियंत्रित करना मेरे वश में है न कि मैं गाड़ी के वश में हूँ। यद्यपि मैं गाड़ी का एक्सलरेटर पूरा दबाकर तेज़ चला सकता हूँ, लेकिन इसका यह तात्पर्य नहीं है कि मुझे ऐसा करना ही है; कर पाने की क्षमता या संभावना अनिवार्यतः करना नहीं है।

   यही जीवन में होने वाले पापों के लिए भी लागू होता है। लोग बहाने बनाते हैं कि उनके सामने अचानक संयम की सीमा से बाहर परीक्षा आ गई, और वे पाप कर बैठे। कभी कोई पाप के लिए यह भी बहाना बनाता है कि जिस समय किसी बात की उन्हें बहुत आवश्यक्ता थी उसे पाने का सरल मार्ग उन्हें मिल गया, चाहे वह अनुचित ही था, लेकिन यदि अवसर आवश्यक्ता का पूरक हो गया तो इसमें बुरा क्या है?

   प्रभु यीशु पर आई परीक्षाओं के अध्ययन से हम सीखते हैं कि जब भी पाप और गलती करने की परीक्षा आएगी, परमेश्वर उसका सामना करने की सामर्थ और उससे निकासी का मार्ग भी देगा। परमेश्वर हमसे आशा रखता है कि हम ऐसी परिक्षाओं और परिस्थितियों की पहचान में सक्षम हों तथा इस बात का भी बोध रखें, जैसे अपनी परीक्षा के समय प्रभु यीशु ने रखा, कि हम भी परीक्षा से निकलने और पाप से बचने के लिए उसके वचन और उसकी आत्मा की सामर्थ पर प्रभु यीशु के समान भरोसा रख सकते हैं।

   हमारा मसीह यीशु में विश्वास और उससे उत्पन्न संयम हमें हर परीक्षा तथा पाप करने की लालसा से बचा कर रख सकता है। - मार्ट डी हॉन

प्रत्येक परीक्षा परमेश्वर की निकटता में आने का अवसर है।

तब उस समय आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि इब्‍लीस से उस की परीक्षा हो। - मत्ती ४:१
बाइबल पाठ: लूका ४:१-१३
    Luk 4:1  फिर यीशु पवित्र आत्मा से भरा हुआ, यरदन से लौटा और चालीस दिन तक आत्मा के सिखाने से जंगल में फिरता रहा; और शैतान उस की परीक्षा करता रहा।
    Luk 4:2  उन दिनों में उस ने कुछ न खाया और जब वे दिन पूरे हो गए, तो उसे भूख लगी।
    Luk 4:3  और शैतान ने उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो इस पत्थर से कह, कि रोटी बन जाए;
    Luk 4:4  यीशु ने उसे उत्तर दिया कि लिखा है, मनुष्य केवल रोटी से जीवित न रहेगा।
    Luk 4:5  तब शैतान उसे ले गया और उस को पल भर में जगत के सारे राज्य दिखाए।
    Luk 4:6  और उस से कहा मैं यह सब अधिकार, और इन का वैभव तुझे दूंगा, क्‍योंकि वह मुझे सौंपा गया है: और जिसे चाहता हूं, उसी को दे देता हूं।
    Luk 4:7  इसलिये, यदि तू मुझे प्रणाम करे, तो यह सब तेरा हो जाएगा।
    Luk 4:8  यीशु ने उसे उत्तर दिया, लिखा है कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर और केवल उसी की उपासना कर।
    Luk 4:9  तब उस ने उसे यरूशलेम में ले जाकर मन्‍दिर के कंगूरे पर खड़ा किया, और उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को यहां से नीचे गिरा दे।
    Luk 4:10  क्‍योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्‍वर्गदूतों को आज्ञा देगा, कि वे तेरी रक्षा करें।
    Luk 4:11  और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे ऐसा न हो कि तेरे पांव में पत्थर से ठेस लगे।
    Luk 4:12  यीशु ने उस को उत्तर दिया, यह भी कहा गया है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना।
    Luk 4:13  जब शैतान सब परीक्षा कर चुका, तब कुछ समय के लिये उसके पास से चला गया।
एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन ८-९ 
  • २ कुरिन्थियों ३