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रविवार, 19 दिसंबर 2010

क्रोध की घंटी

एक रविवार प्रातः मैं चर्च में कुछ पहले आ गया। मेरी इच्छा थी कि लोगों के आने से पहले मैं वहां कुछ समय शान्त मनन में बिताऊं। चर्च में प्रवेश करने के लिये जैसे ही मैंने दरवाज़े के ताले में चाबी लगाकर घुमाई, खतरे की घंटी की तेज़ आवाज़ ने मुझे घबरा दिया - प्रवेश करने से पहले, मैं चोरों को रोकने वाली खतरे की घंटी को बन्द करना भूल गया था। उस तेज़ आवाज़ ने न केवल मुझे वरन सोते हुए पड़ौस के लोगों को भी जगाकर नाहक परेशान कर दिया।

क्रोध भी कुछ ऐसा ही होता है। हमारे शान्त जीवनों में अचानक किसी बात से खलबली मच जाती है जिससे हमारा क्रोध भड़क उठता है। इससे हमारी अपनी भी, और जो हमारे आसपास होते हैं उनकी भी शान्ति भंग हो जाती है।

कभी कभी क्रोध सकरात्मक होता है; हमारा ध्यान किसी अन्याय की ओर खिंचता है और उस अन्याय के प्रति हमारा क्रोध हमें कुछ सकरात्मक करने को प्रेरित करता है। परन्तु अधिकांशतः हमारा क्रोध किसी स्वार्थ से जुड़ा होता है - हमारी किसी इच्छा का पालन या पूर्ति न होना, हमारे किसी अधिकार की अवेहलना होना, हमारे किसी विशेषाधिकार या सुविधा का हनन होना, इत्यादि।

क्रोध का कारण जो भी हो, यह निशिचित है कि क्रोध को कभी अनियंत्रित तथा सतत नहीं होने देना चाहिये। प्रतिक्रिया से पहले यह जांचना आवश्यक है कि क्रोध उत्पन्न होने का कारण क्या है, फिर उसका समाधान भी परमेश्वरीय विधि के अनुसार होना चाहिये। परमेश्वर के वचन बाइबल बताती है कि हमारा परमेश्वर प्रभु "दयालु और अनुग्रहकारी ईश्वर है, तू विलम्ब से कोप करने वाला और अति करूणामय है।" (भजन ८६:१५) तथा "...दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, और अति करूणामय और सत्य..." (निर्गमन ३४:६) है; एवं मनुष्यों के विष्य में कहती है कि "क्रोधी पुरूष झगड़ा मचाता है, परन्तु जो विलम्ब से क्रोध करने वाला है, वह मुकद्दमों को दबा देता है" (नीतिवचन १५:१८)। "विलम्ब से क्रोध करना वीरता से, और अपने मन को वश में रखना, नगर के जीत लेने से उत्तम है" (नीतिवचन १६:३२)।

इसीलिये पौलुस ने भजनकार के शब्दों को स्मरण दिलाया "क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।" (इफिसियों ४:२६, भजन ४:४) - जो स्टोवैल


अनियंत्रित क्रोध खतरे की घंटी है।

क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे। - इफिसियों ४:२६


बाइबल पाठ: इफिसियों ४:२५-३२

इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्‍योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
और न शैतान को अवसर दो।
चोरी करने वाला फिर चोरी न करे, वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्र्म करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो।
कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।
सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।

एक साल में बाइबल:
  • योना १-४
  • प्रकाशितवाक्य १०

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