ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 6 मार्च 2011

व्यवस्था का पालन

नियम ही नियमों का उल्लंघन करने को उभारते हैं! किसी बच्चे से कहिये कि वह "उस रखी हुई मिठाई को न खाए" - क्या होगा? वह ललचाई नज़रों से उस मिठाई की ओर देखता रहेगा और फिर लालच में पड़कर मिठाई को खा ही लेगा। यदि उसे जता कर मना नहीं किया गया होता तो शायद वह कभी मिठाई की ओर देखता भी नहीं।

परमेश्वर के पवित्र नियमों के प्रति हमारा भी ऐसा ही बर्ताव होता है। जिन बातों से हमें बचाने के लिये ये नियम दिये गये, उन्हीं बातों को करने के लिये वे हमें उकसा देते हैं। यह इसलिये होता है क्योंकि "पाप और मृत्यु की व्यवस्था" (रोमियों ८:२) हमारे शरीरों में कार्य करती है। पौलुस कहता है कि "...बिना व्यवस्था के मैं पाप को नहीं पहिचानता: व्यवस्था यदि न कहती, कि लालच मत कर तो मैं लालच को न जानता। परन्‍तु पाप ने अवसर पाकर आज्ञा के द्वारा मुझ में सब प्रकार का लालच उत्‍पन्न किया, क्‍योंकि बिना व्यवस्था के पाप मुर्दा है।" (रोमियों ७:७, ८) उस मनाही ने ही मन में सब प्रकार की बुराई को अवसर दिया। परमेश्वर की व्यवस्था तो भली है, पवित्र है, आत्मिक है परन्तु व्यवस्था आज्ञाकारी बनाने में असमर्थ है। व्यव्स्था सही मार्ग को बता तो सकती है, और बताती भी है; पर उस मार्ग पर चलने की सामर्थ नहीं दे सकती। और इसीलिए, मार्ग जानने के बाद भी मार्ग पर न चल पाने के कारण हम व्यवस्था के दोषी ठहरते हैं।

तो कैसे फिर हम परमेश्वर की व्यवस्था का पालन कर सकते हैं, यदि व्यवस्था ही हमें दोषी ठहरा देती है? - प्रभु यीशु मसीह में होकर जो हमें सामर्थ और स्वतंत्रता देता है "सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्‍ड की आज्ञा नहीं: क्‍योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं। क्‍योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्‍वतंत्र कर दिया।" (रोमियों ८:१, २)

इसे इस प्रकार समझिये - वायुयान गुरुत्वाकर्षण की व्यवस्था से बंधा ज़मीन पर रहता है। किंतु जब वह उड़नपट्टी पर वेग से चलना आरंभ करता है तो उसके एक गति को पार करने से वायु प्रवाह और उड़ान के नियमों कि व्यवस्था गुरुत्वाकर्षण के नियमों की व्यवस्था के ऊपर लागू हो जाते हैं और विमान उड़ने लगता है। जब तक वह वायु प्रवाह और उड़ान के नियमों के आधीन होकर उनका पालन करेगा, वह गुरुत्वाकर्षण के नियमों के ऊपर विजयी रहेगा, जैसे ही उड़ान के नियमों का उल्लंघन होगा, गुरुत्वाकर्षण के नियम उसे फिर पृथ्वी पर ले आएंगे। इसी प्रकार जब हम मसीह की आधीनता में हो जाते हैं वह हमें अपने आत्मा द्वारा सामर्थ देता है कि हम पाप और मृत्यु की व्यवस्था के ऊपर जयवंत हो सकें "पर मैं कहता हूं, आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे। क्‍योंकि शरीर आत्मा के विरोध में लालसा करती है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं; इसलिये कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ। और यदि तुम आत्मा के चलाए चलते हो तो व्यवस्था के आधीन न रहे।" (गलतियों ५:१६-१८)

क्‍योंकि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं पर सामर्थ, और प्रेम, और संयम की आत्मा दी है। - डेनिस डी हॉन


पाप और मृत्यु की व्यवस्था के अंधेरे में भटकने वालों को प्रभु का अनुग्रह जीवन की ज्योति में ले चलता है।

क्‍योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्‍वतंत्र कर दिया। - रोमियों ८:२


बाइबल पाठ: रोमियों ८:१-११

सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्‍ड की आज्ञा नहीं: क्‍योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं।
क्‍योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्‍वतंत्र कर दिया।
क्‍योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के कारण र्दुबल होकर न कर सकी, उस को परमेश्वर ने किया, अर्थात अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में, और पाप के बलिदान होने के लिये भेजकर, शरीर में पाप पर दण्‍ड की आज्ञा दी।
इसलिये कि व्यवस्था की विधि हम में जो शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं, पूरी की जाए।
क्‍योंकि शरीरिक व्यक्ति शरीर की बातों पर मन लगाते हैं परन्‍तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं।
शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्‍तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शान्‍ति है।
क्‍योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्वर से बैर रखना है, क्‍योंकि न तो परमेश्वर की व्यवस्था के अधीन है, और न हो सकता है।
और जो शारीरिक दशा में है, वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते।
परन्‍तु जब कि परमेश्वर का आत्मा तुम में बसता है, तो तुम शारीरिक दशा में नहीं, परन्‍तु आत्मिक दशा में हो। यदि किसी में मसीह का आत्मा नहीं तो वह उसका जन नहीं।
और यदि मसीह तुम में है, तो देह पाप के कारण मरी हुई है; परन्‍तु आत्मा धर्म के कारण जीवित है।
और यदि उसी का आत्मा जिस ने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया तुम में बसा हुआ है तो जिस ने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी मरणहार देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है जिलाएगा।

एक साल में बाइबल:
  • व्यवस्थाविवरण १-२
  • मरकुस १०:१-३१

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें