ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 9 मार्च 2011

व्यवस्था से परे जीवन

एक हीरे की अंगूठी चोरी हो गई। पुलिस ने तलाश आरंभ करी और चोर की शिनाखत भी हो गई, लेकिन पुलिस किसी को पकड़ कर बन्द नहीं कर पाई। चोर के विवरण में पुलिस ने लिखा कि "वह कद में छोटा, तेज़ दौड़ने वाला और बड़ी चतुराई और खामोशी से चल सकने वाला है।" वास्तव में चोर एक सात महीने का बिल्ली का बच्चा था, और उसकी पहिचान धातु पहिचानने वाले यंत्र को उसके शरीर पर घुमाने से हुई और जब उसका एक्स-रे किया गया तो बात प्रमाणित हो गई। क्योंकि बिल्लियां और जानवर कानून से परे होते हैं, उसे चोरी के जुर्म में गिरफतार नहीं किया जा सका।

ऐसा ही कुछ मसीही विश्वासी और परमेश्वर की व्यवस्था के संबंध के साथ भी है। रोमियों के आठवें अध्याय में पौलुस बताता है कि मसीही विश्वासी पर कभी स्वर्गीय न्यायालय में नरक के लिये दोषी ठहराये जाने के लिये मुकद्दमा नहीं होगा। रोमियों ४:८ पौलुस कहता है " धन्य है वह मनुष्य जिसे परमेश्वर पापी न ठहराए" और ऐसे धन्य मनुष्य के लिये वह प्रश्न पूछता है "परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहराने वाला है।" (रोमियों ८:३३)

इसका यह तात्पर्य नहीं है कि क्योंकि मसीही विश्वासी पर व्यवस्था लागू नहीं होती इसलिये वह मनमर्ज़ी करने को स्वतंत्र है और उसका कोई हिसाब नहीं लेगा। मसीही विश्वासी व्यवस्था से परे है क्योंकि मसीह का क्रूस उनकी नरक के अनन्त दण्ड से रक्षा करता है, लेकिन साथ ही यही क्रूस उन्हे मसीह के समान जीने के लिये भी कहता है तथा यह भी कि उनके मसीही जीवन के कार्यों का हिसाब परमेश्वर अवश्य लेगा। " क्‍योंकि अवश्य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के साम्हने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उस ने देह के द्वारा किए हों पाए।" (२ कुरिन्थियों ५:१०) "क्‍योंकि वह समय आ पहुंचा है, कि पहिले परमेश्वर के लोगों का न्याय किया जाए, और जब कि न्याय का आरम्भ हम ही से होगा तो उन का क्‍या अन्‍त होगा जो परमेश्वर के सुसमाचार को नहीं मानते?" (१ पतरस ४:१७)

यदि हम पाप के विष्य में लापरवाह होंगे तो अवश्य ही अपनी अनुशासनहीनता के लिये दुख उठाएंगे, और स्वर्ग में मिलने वाले अपने प्रतिफलों का नुकसान उठाएंगे। परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो कि हम कभी नरक के दण्ड के भागी नहीं होंगे - प्रभु यीशु ने हमें व्यवस्था के श्राप और नरक के दण्ड से बचा लिया है। - मार्ट डी हॉन


जब हम मसीह के गुणों के कारण धर्मी ठहराए जाते हैं, तो मसीह में होकर परमेश्वर हमें निर्दोष देखता है।

परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहराने वाला है। - रोमियों ८:३३


बाइबल पाठ: रोमियों ८:२९-३९

क्‍योंकि जिन्‍हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्‍हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्‍वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
फिर जिन्‍हें उस ने पहिले से ठहराया, उन्‍हें बुलाया भी, और जिन्‍हें बुलाया, उन्‍हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्‍हें धर्मी ठहराया, उन्‍हें महिमा भी दी है।
सो हम इन बातों के विषय में क्‍या कहें यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्‍तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्‍योंकर न देगा?
परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहराने वाला है।
फिर कौन है जो दण्‍ड की आज्ञा देगा मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।
कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्‍या क्‍लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाई गिने गए हैं।
परन्‍तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्‍त से भी बढ़कर हैं।
क्‍योंकि मैं निश्‍चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्‍वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई,
न गहिराई और न कोई और सृष्‍टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।

एक साल में बाइबल:
  • व्यवस्थाविवरण ८-१०
  • मरकुस ११:१९-३३

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें