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मंगलवार, 8 मार्च 2011

प्रेम की व्यवस्था

एक दम्पति साथ तो रहते थे परन्तु उनमें आपसी प्रेम नहीं था। उनका साथ रहना प्रेम का नहीं वरन एक दम्पति का बन्धन था। पति बहुत कठोर और हावी होकर रहने वाला था। उसने अपनी पत्नि के पालन करने के लिये एक सूचि बना कर उसे दे दी। उसने पत्नि को मजबूर किया कि वह उस सूचि को प्रतिदिन पढ़े और पूरी तरह से उसका पालन करे। पत्नि को प्रातः कब उठना है, कब पति के लिये कैसा भोजन तैयार करना और परोसना है, घर का काम और देखभाल कब और कैसे करनी है आदि सब उस सूचि में दर्ज था और पत्नि को कोई काम उस सूची से बाहर या निर्धारित रीति के अलावा करने की अनुमति नहीं थी। पत्नि इसी तरह पिसती हुई समय बिताती रही।

कुछ समय पश्चात पति की मृत्यु हो गई और तब पत्नि पति की उस नियमों की व्यवस्था से स्वतंत्र हो सकी। एक मनुष्य ने उस स्त्री को चाहा और उससे शादी कर ली। यह नया पती अपनी पत्नि की खुशी के लिये यथासंभव करता और अपने प्रेम तथा उसके प्रति अपनी प्रशंसा से लगातार उसे अवगत कराता रहता। पत्नि भी पति का प्रेम पाकर अपने पति को प्रसन्न रखने के लिये अपनी ओर से जो कुछ बन पड़ता करती रहती। एक दिन घर की सफाई करते हुए, एक दराज के कोने में पड़ी उसे अपने पहले पति द्वारा दी गई सूचि मिली। उसने उस सूचि को फिर से पढ़ा, और उसे एहसास हुआ कि अब भी वह अपने पति के लिये वही सब कुछ कर रही है जो उसके पहले पति ने उस सूची में लिख कर उसे दिया था; फर्क केवल यह था कि अब वह किसी मजबूरी या दबाव में नहीं वरन अपने पति के प्रेम के प्रत्युत्तर में दिल से और खुशी से करती थी कि उसका पति प्रसन्न रहे।

प्रभु यीशु ने भी हमसे पहले प्रेम किया, इतना प्रेम कि हमारी पाप की दशा में भी हमारे लिये अपनी जान दे दी जिससे कि हम पाप से स्वतंत्र हो सकें। हम अब प्रभु पर विश्वास करके, नियमों की व्यवस्था से स्वतंत्र होकर उसके प्रेम के प्रत्युत्तर में किसी मजबूरी से या रीति निभाने के लिये नहीं, परन्तु प्रेम में होकर उसकी सेवा और आराधना करते हैं। यही प्रेम की व्यवस्था है। - रिचर्ड डी हॉन


व्यवस्था की आधीनता में मसीह की सेवा कर्तव्य निभाना है, प्रेम की आधीनता में आनन्द है।

क्‍योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है... - २ कुरिन्थियों ५:१४


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ५:१०-१५

क्‍योंकि अवश्य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के साम्हने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उस ने देह के द्वारा किए हों पाए।
सो प्रभु का भय मानकर हम लोगों को समझाते हैं और परमेश्वर पर हमारा हाल प्रगट है और मेरी आशा यह है, कि तुम्हारे विवेक पर भी प्रगट हुआ होगा।
हम फिर भी अपनी बड़ाई तुम्हारे साम्हने नहीं करते वरन हम अपने विषय में तुम्हें घमण्‍ड करने का अवसर देते हैं, कि तुम उन्‍हें उत्तर दे सको, जो मन पर नहीं, वरन दिखवटी बातों पर घमण्‍ड करते हैं।
यदि हम बेसुध हैं, तो परमेश्वर के लिये और यदि चैतन्य हैं, तो तुम्हारे लिये हैं।
क्‍योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए।
और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपके लिये न जीएं परन्‍तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा।

एक साल में बाइबल:
  • व्यवस्थाविवरण ५-७
  • मरकुस ११:१-१८

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