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शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2014

विश्वासयोग्य और धर्मी


   यदि आपको कुछ छुपाने की आवश्यकता है तो माईक स्लैट्री के पास आपके लिए समाधान हो सकता है। कोलारैडो स्प्रिंग्स से प्रकाशित होने वाले अखबार द गैज़ट में एक खबर छपी थी कि बहुत वर्ष पहले एक सेल-फोन कंपनी ने उस इलाके में अपने फोन के प्रयोग के लिए माईक की ज़मीन पर एन्टिना लगाना चाहा और उसे एक देवदार के पेड़ का स्वरूप देकर लोगों से छुपाए रखना चाहा। माईक को उस एन्टिना के छुपाने के लिए और बेहतर विचार आया - उसने उस ज़मीन पर एक बनावटी खलिहान खड़ा कर दिया जिसकी दीवारें ऐसे प्लास्टिक से बनी थीं जिन में से होकर रेडियो तरेंगे सरलता से जा सकती थीं। आगे चलकर माईक ने इसी विचार को लेकर अपनी कंपनी स्थापित कर ली जो एन्टिना छुपाने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए तरह तरह के आकर्षक ढाँचे बनाती है। माईक का मानना है कि आज भी उसके अधिकांश पड़ौसी यह नहीं जानते कि उसके खलिहान में वास्तव में है क्या!

   हम में से शायद ही कोई होगा जिसके पास छुपाए रखने के लिए कुछ नहीं हो। जो हम संसार और लोगों से छुपाए रखना चाहते हैं वह हमारे तहखाने या अटारी में जमा हो रही बेकार चीज़ों जैसी हानिरहित वस्तुएं हो सकती हैं, या फिर हमारे व्यक्तिगत जीवन के नैतिक और आत्मिक विफलताएं और दुष्कर्म जैसी हानिकारक बातें, जिन्हें हम ना केवल अन्य लोगों से वरन अपने आप से और परमेश्वर से भी छुपाए रखना चाहते हैं। हम इन्सानों से तो बातों को छुपाए रख सकते हैं, परन्तु परमेश्वर से नहीं; वह हमें और हमारी हर बात को पूरी रीति से भली-भांति जानता और समझता है।

   राजा दाऊद ने परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 32:3-5 में परमेश्वर से अपने पाप छुपाने के प्रयास कि व्यर्थता तथा उन पापों का परमेश्वर के आगे अंगीकार करने से मिलने वाली शान्ति का वर्णन किया है। परमेश्वर हम से बस इतना ही तो चाहता है कि उससे कुछ भी छुपाए रखने या किसी दलील के सहारे किसी अनुचित अथवा गलत बात को सही या न्यायसंगत ठहराने की बजाए हम उसे स्वीकार कर लें, पश्चाताप के साथ उसके लिए परमेश्वर से क्षमा माँग लें "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (1 यूहन्ना 1:9)। हमारा अंगीकार, पश्चाताप और क्षमा याचना ही परमेश्वर के साथ हमारे संबंध की बहाली का मार्ग है। हमारे जीवन में ऐसा कुछ नहीं है जो परमेश्वर से छुपा है, इसलिए उससे कुछ छुपाए रखने के व्यर्थ प्रयत्न करके अपने लिए अशान्ति अर्जित करने की बजाए अंगीकार, पश्चाताप और क्षमा द्वारा शान्ति पा लेने में क्या बुराई है? परमेश्वर पर विश्वास रखें, वह अपने वचन के अनुसार आपके पापों को क्षमा करने और आपको सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। - डेविड मैक्कैसलैंड


जब भी हम अपने पापों को प्रगट करने को तैयार हो जाते हैं, परमेश्वर, प्रभु यीशु में होकर उन्हें क्षमा करने तथा ढ़ाँपने को तैयार हो जाता है।

जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सफल नहीं होता, परन्तु जो उन को मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जायेगी। - नीतिवचन 28:13

बाइबल पाठ: भजन 32
Psalms 32:1 क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढ़ाँपा गया हो। 
Psalms 32:2 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो।
Psalms 32:3 जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गई। 
Psalms 32:4 क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई।
Psalms 32:5 जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।
Psalms 32:6 इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है। निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तौभी उस भक्त के पास न पहुंचेगी। 
Psalms 32:7 तू मेरे छिपने का स्थान है; तू संकट से मेरी रक्षा करेगा; तू मुझे चारों ओर से छुटकारे के गीतों से घेर लेगा।
Psalms 32:8 मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपा दृष्टि रखूंगा और सम्मत्ति दिया करूंगा। 
Psalms 32:9 तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के।
Psalms 32:10 दुष्ट को तो बहुत पीड़ा होगी; परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करूणा से घिरा रहेगा। 
Psalms 32:11 हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित और मगन हो, और हे सब सीधे मन वालों आनन्द से जयजयकार करो!

एक साल में बाइबल: 
  • लूका 18-21


1 टिप्पणी:

  1. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - शनिवार- 01/11/2014 को
    हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः 43
    पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,

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