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सोमवार, 31 जनवरी 2011

विश्वासयोग्य वचनदाता

मान लीजिए कि कोई बहुत धनी व्यक्ति आप को आश्वासन दे कि "मैं ने तुम्हारे लिये २५ लाख रुपये अलग रखे हैं और भविष्य में किसी दिन तुम्हें वे मिल जाएंगे" तो उन रुपयों की प्रतीक्षा में आप अधीर तो हो सकते हैं पर आप वायदा करने वाले व्यक्ति की प्रतिष्ठा के आधार पर जानते और मानते हैं कि रुपये आपको कभी न कभी अवश्य मिलेंगे। किंतु यदि उसी व्यक्ति ने आप से यह कहा होता कि "यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो भविष्य मे शायद मैं तुम्हें कभी २५ लाख रुपये देने का विचार करुंगा" तो आप को वह रुपये पाने की कोई विशेष आशा नहीं होती, क्योंकि रुपयों का मिलना बहुत सी अनिश्चितताओं पर निर्भर हो जाता।

परमेश्वर के विधान में भी ऐसा ही है। उसकी प्रतिज्ञाएं भी स्वर्गीय समयकाल में पूरी हैं, और क्योंकि हम अभी अधूरा ही जानते हैं, इसलिये हमें उनके पूरा होने का सही समय पता नहीं है। लेकिन यह चिंता का विष्य नहीं है क्योंकि हमें पता है कि परमेश्वर अपना वायदा सदा पूरा करता है। उसके वायदे की कीमत कभी कम नहीं होती क्योंकि उन वायदों का आधार उसके चरित्र का असीम धन है। वह कभी बदलता नहीं, कभी भूलता नहीं। हमें उसके वायदों के पूरे होने में विलम्ब तो प्रतीत हो सकता है, लेकिन हम यह भी जानते हैं कि उसका प्रत्येक वायदा उसके वचन के समान खरा है।

हम में से बहुतों को कभी न कभी यह अनुभव अवश्य हुआ होगा कि किसी बात के लिये हम अपने सभी उपाय और संसाधन आज़्मा कर के निरुपाय हो चुके थे और तभी अचानक अद्भुत रीति से परमेश्वर ने सही समय पर अपनी सही सामर्थ प्रकट करी और हमें उस परिस्थिति से निकाल लिया। वह न धीमा था और न ढीला, सहायता का उसका समय और तरीका है और वह उसी के अन्तर्गत काम करता है।

इसलिये हमें विलम्ब के आभास से हतोसाहित नहीं होना चाहिये। हम बस उसके वायदों को स्मरण करते रहें और वह अपने समय और तरीके से उन्हें पूरा करता रहेगा। वह सम्पूर्ण रीति से विश्वासयोग्य वचनदाता है। - पौल वैन गौर्डर


मसीही विश्वासी का भविष्य परमेश्वर के वचन जैसा ही ज्योतिर्मान है।

और अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहें, क्‍योंकि जिस ने प्रतिज्ञा किया है, वह सच्‍चा है। - इब्रानियों १०:२३


बाइबल पाठ: इब्रानियों १०:१९-२५
सो हे भाइयो, जब कि हमें यीशु के लोहू के द्वारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्र स्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है।
जो उस ने परदे अर्थात अपने शरीर में से होकर, हमारे लिये अभिषेक किया है,
और इसलिये कि हमारा ऐसा महान याजक है, जो परमेश्वर के घर का अधिकरी है।
तो आओ हम सच्‍चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक को दोष दूर करने के लिये ह्रृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवा कर परमेश्वर के समीप जाएं।
और अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहें, क्‍योंकि जिस ने प्रतिज्ञा किया है, वह सच्‍चा है।
और प्रेम, और भले कामों में उकसाने के लिये एक दूसरे की चिन्‍ता किया करें।
और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना ने छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन २५-२६
  • मत्ती २०:१७-३४

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