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शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

पुनःनिर्देशित

   प्यानो वादक लिओन फ्लेशर ने अपने प्यानो वादन का औप्चारिक आरंभ १६ वर्ष की छोटी आयु में न्यू यॉर्क फिलहारमोनिक वाद्यवृंद के साथ कर लिया। इसके बाद उन्होंने कई अन्तर्राष्ट्रीय संगीत प्रतियोज्ञाताएं भी जीतीं और संसार भर के सर्वोत्तम संगीत गोष्ठियों में अपनी योग्यता प्रमाणित करी और यश पाया। किंतु ३७ वर्ष की आयु में वे नाड़ीतंत्र से संबंधित डिस्टोनिया नामक बिमारी का शिकार हो गए, जिसके कारण उनके दाहिने हाथ ने काम करना बन्द कर दिया। निराशा और एकाकीपन की एक अवधि के पश्चात उन्होंने संगीत सिखाना और वाद्यवृंद संचालन करना आरंभ कर दिया, क्योंकि, जैसा कि उन्होंने स्वयं कहा, उन्हें प्यानो से नहीं संगीत से अधिक प्रेम था।

   जब याकूब का प्रीय पुत्र युसुफ अपने ही भाईयों की ईर्ष्या के कारण, उनके द्वारा गुलामी में बेच दिया गया (उत्पत्ति ३७:१२-३६) तो वह भी अपनी निराशा और कुंठाओं में अकेला और खिसिया हुआ रह सकता था। परन्तु, युसुफ ने ऐसा नहीं किया, वह इन अनापेक्षित तथा विपरीत और निराशाजनक परिस्थितियों में भी परमेश्वर में मग्न रहा, और उत्पत्ति के ३९ अध्याय में हम चार बार लिखा हुआ पाते हैं कि परमेश्वर उसके साथ था (पद २, ३, २१, २३) तथा उसके कार्य परमेश्वर के प्रति उसके विश्वास को दिखाते थे। उसके उत्तम व्यवहार के द्वारा मिस्त्र के उसके स्वामियों ने पहचाना कि परमेश्वर उसके साथ है।

   अवश्य ही यूसुफ अपने गुलामी के समय में अपने अतीत और जीवन में जो कुछ उसने खोया था उसको सोचकर बहुत दुखी होता होगा, किंतु उसने इन बातों को अपने परमेश्वर और उसकी भलाई पर विश्वास पर हावी नहीं होने दिया, और परमेश्वर ने उचित समय पर उसे उन्नति के ऐसे शिखर पहुंचाया जिसकी कल्पना भी उस की सोच समझ से परे थी।

   जब हमारे सपने टूट जाते हैं तो हमारी प्रतिक्रिया कैसी होती है? क्या हम परमेश्वर से अपने सपनों से बढ़कर प्रेम करते हैं? क्या विपरीत और समझ से परे निराशाजनक परिस्थितियां परमेश्वर में हमारे विश्वास को डगमगा देती हैं? वह जो भला ही करने वाला परमेश्वर है, हमारी भलाई के ही लिए हमें संभवतः किसी अन्य ओर ले जाने का प्रयास कर रहा है; क्या हम उसके द्वारा पुनःनिर्देशित होने को तैयार हैं? क्या एक नई दिशा में जाने के उसके निर्देशों का पालन करने को रज़ामन्द हैं? अपने हर बच्चे के लिए परमेश्वर की हर योजना भलाई ही की है। उसके हाथों में समर्पित हो जाईए, आपका भविष्य आपकी कल्पना से भी अधिक भला और महिमामय होगा। - डेविड मैककैसलैंड


मनुष्य मन में अपने मार्ग पर विचार करता है, परन्तु यहोवा ही उसके पैरों को स्थिर करता है। - नीतिवचन १६:९

और यूसुफ अपने मिस्री स्वामी के घर में रहता था, और यहोवा उसके संग था; सो वह भाग्यवान पुरूष हो गया। - उत्पत्ति ३९:२

बाइबल पाठ: उत्पत्ति ३९:१-९
Gen 39:1  जब यूसुफ मिस्र में पहुंचाया गया, तब पोतीपर नाम एक मिस्री, जो फिरौन का हाकिम, और जल्लादों का प्रधान था, उस ने उसको इश्माएलियों के हाथ, से जो उसे वहां ले गए थे, मोल लिया।
Gen 39:2  और यूसुफ अपने मिस्री स्वामी के घर में रहता था, और यहोवा उसके संग था; सो वह भाग्यवान पुरूष हो गया।
Gen 39:3  और यूसुफ के स्वामी ने देखा, कि यहोवा उसके संग रहता है, और जो काम वह करता है उसको यहोवा उसके हाथ से सुफल कर देता है।
Gen 39:4  तब उसकी अनुग्रह की दृष्टि उस पर हुई, और वह उसकी सेवा टहल करने के लिये नियुक्त किया गया : फिर उस ने उसको अपने घर का अधिकारी बना के अपना सब कुछ उसके हाथ में सौप दिया।
Gen 39:5  और जब से उस ने उसको अपने घर का और अपनी सारी सम्पत्ति का अधिकारी बनाया, तब से यहोवा यूसुफ के कारण उस मिस्री के घर पर आशीष देने लगा; और क्या घर में, क्या मैदान में, उसका जो कुछ था, सब पर यहोवा की आशीष होने लगी।
Gen 39:6  सो उस ने अपना सब कुछ यूसुफ के हाथ में यहां तक छोड़ दिया: कि अपके खाने की रोटी को छोड़, वह अपनी सम्पत्ति का हाल कुछ न जानता था। और यूसुफ सुन्दर और रूपवान था।
Gen 39:7  इन बातों के पश्चात ऐसा हुआ, कि उसके स्वामी की पत्नी ने यूसुफ की ओर आंख लगाई, और कहा, मेरे साथ सो।
Gen 39:8  पर उस ने अस्वीकार करते हुए अपने स्वामी की पत्नी से कहा, सुन, जो कुछ इस घर में है मेरे हाथ में है; उसे मेरा स्वामी कुछ नहीं जानता, और उस ने अपना सब कुछ मेरे हाथ में सौप दिया है।
Gen 39:9  इस घर में मुझ से बड़ा कोई नहीं, और उस ने तुझे छोड़, जो उसकी पत्नी है, मुझ से कुछ नहीं रख छोड़ा; सो भला, मैं ऐसी बड़ी दुष्टता करके परमेश्वर का अपराधी क्योंकर बनूं?
 
एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ४९-५० 
  • मत्ती १३:३१-५८

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