ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

कुछ भी असंभव नहीं

परमेश्वर हमारी प्रत्येक आवश्यक्ता को पूरी कर सकता है। उसके लिये कुछ भी असंभव नहीं है। सारा को यह सत्य सीखना था।

परमेश्वर द्वारा इब्राहीम से उसकी सन्तान के लिये किया गया वायदा उत्पत्ति १७:२१ में लिखा है। इससे अगले अध्याय में, यही वायदा उससे फिर से दोहराया गया जब इब्राहीम अपने डेरे के बाहर परमेश्वर के तीन दूतों से बात कर रहा था। उस समय सारा डेरे के अन्दर इस वार्तालाप को सुन रही थी। उसे अपने बुढ़ापे की अवस्था में पुत्र होने की बात असंभव लगी, "सो सारा मन में हंस कर कहने लगी, मैं तो बूढ़ी हूं, और मेरा पति भी बूढ़ा है, तो क्या मुझे यह सुख होगा? तब यहोवा ने इब्राहीम से कहा, सारा यह कह कर क्यों हंसी, कि क्या मेरे, जो ऐसी बुढिय़ा हो गई हूं, सचमुच एक पुत्र उत्पन्न होगा? क्या यहोवा के लिये कोई काम कठिन है? नियत समय में, अर्थात वसन्त ऋतु में, मैं तेरे पास फिर आऊंगा, और सारा के पुत्र उत्पन्न होगा। " (उत्पत्ति १८:१२-१४)

मसीही विश्वासी होने के नाते हमें भी परमेश्वर की ओर से यही आश्वासन है - "क्या यहोवा के लिये कोई काम कठिन है?" इब्राहिम का परमेश्वर हमारा भी परमेश्वर है और वह सर्वशक्तिमान है। वह सृष्टि का सृष्टिकर्ता है, उसकी सामर्थ से बढ़कर कोई और सामर्थ नहीं है। कोई समस्या उसे विसमित नहीं कर सकती, कोई अवरोध उसे रोक नहीं सकता। हमारा स्वर्गीय पिता प्रत्येक परिस्थिति को नियंत्रित करता है। इस सत्य से हमें कैसा अद्भुत विश्वास और कैसी अद्भुत दिलासा मिलती है।

हमारा सर्वज्ञानी, सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता परमेश्वर सार्वभौमिक है और सब कुछ कर सकता है। जब हम अपनी आवश्यक्ताएं, प्रार्थना में अपने स्वर्गीय पिता के सामने रखते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि वे उसकी इच्छा के अनुरूप हैं, तो उसका आश्वासन हमारे साथ है कि उसका हमारे लिये कुछ भी करना असंभव नहीं है। - रिचर्ड डी हॉन


असंभव के लिये भी परमेश्वर पर भरोसा रखकर ही हम परमेश्वर की सामर्थ को आंक सकते हैं।

क्या यहोवा के लिये कोई काम कठिन है? - उत्पत्ति १८:१४


बाइबल पाठ: उत्पत्ति १८:१-१४

इब्राहीम मम्रे के बांजो के बीच कड़ी धूप के समय तम्बू के द्वार पर बैठा हुआ था, तब यहोवा ने उसे दर्शन दिया:
और उस ने आंख उठाकर दृष्टि की तो क्या देखा, कि तीन पुरूष उसके साम्हने खड़े हैं: जब उस ने उन्हें देखा तब वह उन से भेंट करने के लिये तम्बू के द्वार से दौड़ा, और भूमि पर गिर कर दण्डवत की और कहने लगा,
हे प्रभु, यदि मुझ पर तेरी अनुग्रह की दृष्टि है तो मैं बिनती करता हूं, कि अपने दास के पास से चले न जाना।
मैं थोड़ा सा जल लाता हूं और आप अपने पांव धोकर इस वृक्ष के तले विश्राम करें।
फिर मैं एक टुकड़ा रोटी ले आऊं और उस से आप अपने जीव को तृप्त करें, तब उसके पश्चात्‌ आगे बढें: क्योंकि आप अपने दास के पास इसी लिये पधारे हैं। उन्होंने कहा, जैसा तू कहता है वैसा ही कर।
सो इब्राहीम ने तम्बू में सारा के पास फुर्ती से जाकर कहा, तीन सआ मैदा फुर्ती से गून्ध, और फुलके बना।
फिर इब्राहीम गाय बैल के झुण्ड में दौड़ा, और एक कोमल और अच्छा बछड़ा लेकर अपने सेवक को दिया, और उसने फुर्ती से उसको पकाया।
तब उस ने मक्खन, और दूध, और वह बछड़ा, जो उस ने पकवाया था, लेकर उनके आगे परोस दिया, और आप वृझ के तले उनके पास खड़ा रहा, और वे खाने लगे।
उन्होंने उस से पूछा, तेरी पत्नी सारा कहां है? उस ने कहा, वह तो तम्बू में है।
उस ने कहा मैं वसन्त ऋतु में निश्चय तेरे पास फिर आऊंगा, और तब तेरी पत्नी सारा के एक पुत्र उत्पन्न होगा। और सारा तम्बू के द्वार पर जो इब्राहीम के पीछे था सुन रही थी।
इब्राहीम और सारा दोनो बहुत बूढ़े थे, और सारा का स्त्रीधर्म बन्द हो गया था;
सो सारा मन में हंस कर कहने लगी, मैं तो बूढ़ी हूं, और मेरा पति भी बूढ़ा है, तो क्या मुझे यह सुख होगा?
तब यहोवा ने इब्राहीम से कहा, सारा यह कह कर क्यों हंसी, कि क्या मेरे, जो ऐसी बुढिय़ा हो गई हूं, सचमुच एक पुत्र उत्पन्न होगा?
क्या यहोवा के लिये कोई काम कठिन है? नियत समय में, अर्थात वसन्त ऋतु में, मैं तेरे पास फिर आऊंगा, और सारा के पुत्र उत्पन्न होगा।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन २९-३०
  • मत्ती २१:२३-४६

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें