एक आदमी ने अपने डॉक्टर से कहा कि उसे लगता है कि उसकी पत्नी बहरी होती जा रही है। डॉक्टर ने उसे एक सरल जांच द्वारा इसे निश्चित करने की सलाह दी। आदमी को युक्ति पसन्द आई और उसने डॉक्टर द्वारा बताई जांच करने का निश्चय किया; जब वह अपने घर पहुंचा तो दरवाज़े पर से ही उसने आवाज़ दी "प्रीय, क्या खाना तैयार है?" कोई उत्तर न सुनने पर वह घर के अन्दर आया और फिर वही प्रश्न दोहराया, फिर भी कोई उत्तर नहीं पाया। फिर वह अपनी पत्नि के निकट उसके ठीक पीछे पहुंचा और तीसरी बार फिर से वही प्रश्न किया। अब उसे अपनी पत्नि का उत्तर सुनाई दे गया - "तीसरी बार कह रही हूं, हां तैयार है"!
ऐसे ही प्राचीन इस्त्राएलियों को लगा कि परमेश्वर बहरा हो गया है, जबकि वास्तविक समस्या उनके साथ थी। इस्त्राएली लोग परमेश्वर की वाचा के लोग थे, और उन्हें अन्धकार में पड़े लोगों को ज्योति दिखाने और उन लोगों को पाप के बन्धनों से बचने का मार्ग दिखाना था, "मुझ यहोवा ने तुझ को धर्म से बुला लिया है, मैं तेरा हाथ थाम कर तेरी रक्षा करूंगा; मैं तुझे प्रजा के लिये वाचा और जातियों के लिये प्रकाश ठहराऊंगा, कि तू अन्धों की आंखें खोले, बंधुओं को बन्दीगृह से निकाले और जो अन्धकार में बैठे हैं उनको कालकोठरी से निकाले। (यशायाह ४२:७)" परन्तु इस्त्राएलियों ने ऐसा नहीं किया, उन्होंने परमेश्वर की आज्ञाओं को नहीं माना (यशायाह ४२:२४)। इस कारण आने वाले न्याय के विष्य में इस्त्राएलियों को चेतावनी देने के लिये परमेश्वर ने यशायाह भविश्यद्वक्ता को भेजा।
यशायाह ने इस्त्राएलियों को समझाया कि उनकी प्रार्थनाएं अन्सुनी क्यों हैं, "सुनो, यहोवा का हाथ ऐसा छोटा नहीं हो गया कि उद्धार न कर सके, न वह ऐसा बहिरा हो गया है कि सुन न सके। परन्तु तुम्हारे अधर्म के कामों ने तुम्हें परमेश्वर से अलग कर दिया है, और तुम्हारे पापों के कारण उसका मुँह तुम से ऐसा छिपा है कि वह नहीं सुनता (यशायाह ५९:१,२)।" पर उसके चेतावनी के सन्देश जैसे बहरे कानों पर पड़े।
परमेश्वर से प्रार्थना का उत्तर न पाने का एक कारण है कि सम्भवतः पाप हमारे कानों को रोक रहा है, इसके विष्य में हमें अपने आप को गंभीरता पूर्वक जांचना चाहिये।
परमेश्वर बहरा नहीं है। - सी. पी. हिया
मेरे दास को देखो जिसे मैं संभाले हूं, मेरे चुने हुए को, जिस से मेरा जी प्रसन्न है। मैं ने उस पर अपना आत्मा रखा है, वह अन्यजातियों के लिये न्याय प्रगट करेगा।
न वह चिल्लाएगा और न ऊंचे शब्द से बोलेगा, न सड़क में अपनी वाणी सुनायेगा।
कुचले हुए नरकट को वह न तोड़ेगा और न टिमटिमाती बत्ती को बुझाएगा, वह सच्चाई से न्याय चुकाएगा।
वह न थकेगा और न हियाव छोड़ेगा जब तक वह न्याय को पृथ्वी पर स्थिर न करे, और द्वीपों के लोग उसकी व्यवस्था की बाट जोहेंगे।
तुम में से कौन इस पर कान लगाएगा? कौन ध्यान धर के होनहार के लिये सुनेगा?
किस ने याकूब को लुटवाया और इस्राएल को लुटेरों के वश में कर दिया? क्या यहोवा ने यह नहीं किया जिसके विरूद्ध हम ने पाप किया, जिसके मार्गों पर उन्होंने चलना न चाहा और न उसकी व्यवस्था को माना?
इस कारण उस पर उस ने अपने क्रोध की आग भड़काई और युद्ध का बल चलाया और यद्यिप आग उसके चारों ओर लग गई, तौभी वह न समझा, वह जल भी गया, तौभी न चेता।
एक साल में बाइबल:
ऐसे ही प्राचीन इस्त्राएलियों को लगा कि परमेश्वर बहरा हो गया है, जबकि वास्तविक समस्या उनके साथ थी। इस्त्राएली लोग परमेश्वर की वाचा के लोग थे, और उन्हें अन्धकार में पड़े लोगों को ज्योति दिखाने और उन लोगों को पाप के बन्धनों से बचने का मार्ग दिखाना था, "मुझ यहोवा ने तुझ को धर्म से बुला लिया है, मैं तेरा हाथ थाम कर तेरी रक्षा करूंगा; मैं तुझे प्रजा के लिये वाचा और जातियों के लिये प्रकाश ठहराऊंगा, कि तू अन्धों की आंखें खोले, बंधुओं को बन्दीगृह से निकाले और जो अन्धकार में बैठे हैं उनको कालकोठरी से निकाले। (यशायाह ४२:७)" परन्तु इस्त्राएलियों ने ऐसा नहीं किया, उन्होंने परमेश्वर की आज्ञाओं को नहीं माना (यशायाह ४२:२४)। इस कारण आने वाले न्याय के विष्य में इस्त्राएलियों को चेतावनी देने के लिये परमेश्वर ने यशायाह भविश्यद्वक्ता को भेजा।
यशायाह ने इस्त्राएलियों को समझाया कि उनकी प्रार्थनाएं अन्सुनी क्यों हैं, "सुनो, यहोवा का हाथ ऐसा छोटा नहीं हो गया कि उद्धार न कर सके, न वह ऐसा बहिरा हो गया है कि सुन न सके। परन्तु तुम्हारे अधर्म के कामों ने तुम्हें परमेश्वर से अलग कर दिया है, और तुम्हारे पापों के कारण उसका मुँह तुम से ऐसा छिपा है कि वह नहीं सुनता (यशायाह ५९:१,२)।" पर उसके चेतावनी के सन्देश जैसे बहरे कानों पर पड़े।
परमेश्वर से प्रार्थना का उत्तर न पाने का एक कारण है कि सम्भवतः पाप हमारे कानों को रोक रहा है, इसके विष्य में हमें अपने आप को गंभीरता पूर्वक जांचना चाहिये।
परमेश्वर बहरा नहीं है। - सी. पी. हिया
जो सच्चे मन से उसकी सुनते हैं, परमेश्वर अपने वचन द्वारा उनसे बात करता है।
बाइबल पाठ: यशायाह ४२:१-४, २३-२५मेरे दास को देखो जिसे मैं संभाले हूं, मेरे चुने हुए को, जिस से मेरा जी प्रसन्न है। मैं ने उस पर अपना आत्मा रखा है, वह अन्यजातियों के लिये न्याय प्रगट करेगा।
न वह चिल्लाएगा और न ऊंचे शब्द से बोलेगा, न सड़क में अपनी वाणी सुनायेगा।
कुचले हुए नरकट को वह न तोड़ेगा और न टिमटिमाती बत्ती को बुझाएगा, वह सच्चाई से न्याय चुकाएगा।
वह न थकेगा और न हियाव छोड़ेगा जब तक वह न्याय को पृथ्वी पर स्थिर न करे, और द्वीपों के लोग उसकी व्यवस्था की बाट जोहेंगे।
तुम में से कौन इस पर कान लगाएगा? कौन ध्यान धर के होनहार के लिये सुनेगा?
किस ने याकूब को लुटवाया और इस्राएल को लुटेरों के वश में कर दिया? क्या यहोवा ने यह नहीं किया जिसके विरूद्ध हम ने पाप किया, जिसके मार्गों पर उन्होंने चलना न चाहा और न उसकी व्यवस्था को माना?
इस कारण उस पर उस ने अपने क्रोध की आग भड़काई और युद्ध का बल चलाया और यद्यिप आग उसके चारों ओर लग गई, तौभी वह न समझा, वह जल भी गया, तौभी न चेता।
एक साल में बाइबल:
- भजन३१, ३२
- प्रेरितों के काम २३:१६-३५
बहुत सार्थक पोस्ट...
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