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शुक्रवार, 23 जुलाई 2010

मुँह खोलने को तैयार

ली एक्लोव और उसकी पत्नि एक कॉफी की दुकान पर बैठे कॉफी पी रहे थे। उनके पास की मेज़ पर चार आदमी बैठे बातें कर रहे थे। उनमें से एक मसीही विश्वास और प्रभु यीशु के पुनरुथान का उपहास कर रहा था।

ली को एहसास था कि प्रभु उसे इस उपहास का उत्तर देने को उभार रहा है, किंतु उसके भय ने उसे ऐसा करने से रोके रखा। अन्ततः उसे निर्णय लेना पड़ा। वह उठकर उन लोगों के पास गया और उनसे बातचीत आरंभ करी, फिर उसने उन्हें प्रभु यीशु के पुनरुथान को प्रमाणित करने वाले ऐतिहासिक प्रमाण दिये।

ऐसी स्थिति में अगर हम हों तो क्या करेंगे? प्रेरित पतरस ने अपने पाठकों को प्रोत्साहित किया कि वे हर परिस्थिति में मसीह यीशु के लिये खड़े होने को तैयार रहें, विशेषकर जब इस के लिये बहुत क्लेशों का सामना करना पड़े। इस तरह के समर्पण के निर्णय में निहित है कि विश्वास की रक्षा करने की परिस्थितियों में मौन न रहें। पतरस ने कहा "जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ" (१ पतरस ३:१५)। उत्तर देने के लिये तैयार रहने के लिये परमेश्वर के वचन को जानना ज़रूरी है। उत्तर नम्रता और परमेश्वरीय भय में देना है, जिससे बैरी और विरोधियों को अपने व्यवहार पर शर्मिंदगी हो।

यदि ली एक्लोव शांत रहा होता, अथवा उसने अशिष्टता से उत्तर दिया होता तो इससे मसीही विश्वास को हानि होती। ली ने बाद में लिखा " हमें हमारे छिपने के स्थानों से निकालने के परमेश्वर के पास तरीके हैं, और जब वह हमें बाहर निकालता है तो हमें उसके लिये मुँह खोलने को तैयार रहना है।" - मार्विन विलियम्स


अपने उद्धारकर्ता और उस में उपल्बध उद्धार के बारे में मौन रहना लापरवाही का जघन्य पाप है।


बाइबल पाठ: १ पतरस ३:१३-२२
और यदि तुम भलाई करने में उत्तेजित रहो तो तुम्हारी बुराई करनेवाला फिर कौन है?
और यदि तुम धर्म के कारण दुख भी उठाओ, तो धन्य हो? पर उन के डराने से मत डरो, और न घबराओ।
पर मसीह को प्रभु जानकर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ।
और विवेक भी शुद्ध रखो, इसलिये कि जिन बातों के विषय में वे जो तुम्हारे मसीही अच्‍छे चालचलन का अपमान करते हैं लज्ज़ित हों।
क्‍योंकि यदि परमेश्वर की यही इच्‍छा हो, कि तुम भलाई करने के कारण दुख उठाओ, तो यह बुराई करने के कारण दुख उठाने से उत्तम है।
इसलिये कि मसीह ने भी, अर्थात अधमिर्यों के लिये धर्मी ने पापों के कारण एक बार दुख उठाया, ताकि हमें परमेश्वर के पास पहुंचाए: वह शरीर के भाव से तो घात किया गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया।
उसी में उस ने जाकर कैदी आत्माओं को भी प्रचार किया।
जिन्‍होंने उस बीते समय में आज्ञा न माना जब परमेश्वर नूह के दिनों में धीरज धरकर ठहरा रहा, और वह जहाज बन रहा था, जिस में बैठकर थोड़े लोग अर्थात आठ प्राणी पानी के द्वारा बच गए।
और उसी पानी का दृष्‍टान्‍त भी, अर्थात बपतिस्मा, यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा, अब तुम्हें बचाता है? (उस से शरीर के मैल को दूर करने का अर्थ नहीं है, परन्‍तु शुद्ध विवेक से परमेश्वर के वश में हो जाने का अर्थ है)।
वह स्‍वर्ग पर जाकर परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठ गया? और स्‍वर्गदूत और अधिकार और सामर्थी उसके आधीन किए गए हैं।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ३३, ३४
  • प्रेरितों के काम २४

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