ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

प्रेम - उद्देश्य एवं प्रतिफल

   परोपकारी एवं मसीही विश्वासी फ्रेड स्मिथ ने अपने परिवार का एक अनुभव बयान किया। उनकी पुत्री - ब्रेन्डा और दामाद - रिक ने एक ऐसे व्यक्ति से दोस्ती करी जो अपराधी होने के कारण जेल से सज़ा काट कर निकला था और अब एक महिला के साथ रह रहा था। दोनो ने उनके लिए उनकी आवश्यक्ता का सामान खरीद कर दिया, रिक ने उस आदमी को नौकरी दी और ब्रेन्डा उस महिला के साथ समय बिताती थी, उसे मसीह यीशु और उसके प्रेम के बारे में बताती थी; वे उन्हें इस बात के लिए भी तैयार कर सके कि ऐसे साथ रहने की अपेक्षा शादि करके साथ रहना बेहतर है, और इस विवाह के होने के लिए रिक और ब्रेन्डा ने अपने घर को भी उन्हें उपलब्ध कराया। लेकिन कुछ दिन पश्चात ही वे दोनो अचानक कहीं चले गए, रिक के लिए एक छोटा पत्र छोड़ गए कि कुछ लोगों द्वारा उनकी हत्या करने के लिए भाड़े पर लिए गए हत्यारे से बचने के लिए उन्हें जाना पड़ रहा है।

   फ्रेड स्मिथ ने अपनी बेटी से पूछा कि इतना समय, साधन, पैसा और सामर्थ व्यय करने के बाद इस रिशते के ऐसे अचानक अन्त हो जाने पर उसे कैसा लगा? ब्रेन्डा की आँखें भर आईं, और वह बोली, "वे चाहे जहाँ भी रहें, जितने दिन भी रहें, लेकिन वे कभी नहीं भूल सकेंगे कि कोई था जिसे उनकी परवाह थी।"

   हम किसी की इसलिए भी सहायता कर सकते हैं क्योंकि हम उनसे प्रत्युत्तर में कुछ चाहते हैं, लेकिन ऐसा प्रेम परमेश्वर को आदर नहीं देता। मसीही प्रेम का एक अनिवार्य गुण है उसका निसस्वार्थ होना। जब हम लोगों के साथ सिर्फ इसलिए भला बर्ताव करते हैं क्योंकि हम उनकी सहायता करना चाहते हैं और अपने प्रभु का आदर करना चाहते हैं, तब हम मसीह यीशु का सा प्रेम प्रदर्शित करते हैं।

    मसीही प्रेम का उद्देश्य संसार में निसस्वार्थ प्रेम प्रदर्शित करना है। यद्यपि मसीही प्रेम का उद्देश्य उसके प्रतिफल नहीं हैं, तौ भी मसीही प्रेम में उसके प्रतिफल निहित भी हैं। ऐसा प्रेम प्रदर्शित करने वालों को संसर से किसी प्रतिफल अथवा मान्यता या सम्मान की अभिलाषा की आवश्यक्ता नहीं है, क्योंकि उसके लिए स्वतः ही स्वर्ग में प्रतिफल तैयार होता रहता है। - हर्ब वैण्डर लुग्ट


स्वार्थी स्वभाव कुछ पा लेने के लिए प्रेम रखता है; किंतु मसीही स्वभाव कुछ दे पाने के लिए।
 
परन्‍तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्‍डों, लंगड़ों और अन्‍धों को बुला। तब तू धन्य होगा, क्‍योंकि उन के पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्‍तु तुझे धमिर्यों के जी उठने पर इस का प्रतिफल मिलेगा। - लूका १४:१३, १४
 
बाइबल पाठ: लूका १४:७-१४
    Luk 14:7  जब उस ने देखा, कि नेवताहारी लोग क्‍यों कर मुख्य मुख्य जगहें चुन लेते हैं तो एक दृष्‍टान्‍त देकर उन से कहा।
    Luk 14:8  जब कोई तुझे ब्याह में बुलाए, तो मुख्य जगह में न बैठना, कहीं ऐसा न हो, कि उस ने तुझ से भी किसी बड़े को नेवता दिया हो।
    Luk 14:9  और जिस ने तुझे और उसे, दोनों को नेवता दिया है: आकर तुझ से कहे, कि इस को जगह दे, और तब तुझे लज्ज़ित होकर सब से नीची जगह में बैठना पड़े।
    Luk 14:10  पर जब तू बुलाया जाए, तो सब से नीची जगह जा बैठ, कि जब वह, जिस ने तुझे नेवता दिया है आए, तो तुझ से कहे कि हे मित्र, आगे बढ़कर बैठ; तब तेरे साथ बैठने वालों के साम्हने तेरी बड़ाई होगी।
    Luk 14:11  और जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा, और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।
    Luk 14:12  तब उस ने अपने नेवता देने वाले से भी कहा, जब तू दिन का या रात का भोज करे, तो अपने मित्रों या भाइयों या कुटुम्बियों या धनवान पड़ोसियों को न बुला, कहीं ऐसा न हो, कि वे भी तुझे नेवता दें, और तेरा बदला हो जाए।
    Luk 14:13  परन्‍तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्‍डों, लंगड़ों और अन्‍धों को बुला।
    Luk 14:14  तब तू धन्य होगा, क्‍योंकि उन के पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्‍तु तुझे धमिर्यों के जी उठने पर इस का प्रतिफल मिलेगा।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ४१-४२ 
  • १ थिस्सलुनिकियों १